संगीत दिलो-दिमाग़ को बहुत सुकून देता है… अगर भक्ति संगीत की बात की जाए, तो यह रूह की गहराई तक में उतर जाता है… हमारी पसंद के बहुत से भक्ति गीत हैं, जिन्हें सुनते हुए हम उम्र बिता सकते हैं… ऐसा ही एक गीत है- मंगल भवन अमंगल हारी… 1975 में आई फ़िल्म गीत गाता चल में इसे सचिन पर फ़िल्माया गया था… इस गीत को जब भी सुनते हैं, एक अजीब-सा सुकून मिलता है… लगता है सिर्फ़ हम हैं और राम… तीसरा वहां कोई नहीं है…
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम- 2
हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम…
बहरहाल, हम यह गीत सुनते हैं…