भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद कैफ व मोहम्मद समी पर आजकल उनके कुछ मुसलमान भाई ही बुरी तरह से बरस रहे हैं। पहले समी से पूछा गया कि उन्होंने पत्नी के ऐसे फोटो ‘पोस्ट’ क्यों किए, जिनमें हिजाब का कोई ख्याल नहीं रखा गया और अब मो. कैफ पर यह कहकर हमला किया जा रहा है कि वे मुसलमान होकर सूर्य नमस्कार क्यों करते हैं? और अपने सूर्य नमस्कार के फोटो भी उन्होंने क्यों पोस्ट किए हैं? इन चित्रों पर एतराज करने वाले मुसलमान मित्रों का कहना है कि यह कैफ का इस्लाम-विरोधी काम है।
कैफ घबराए नहीं। उन्होंने फिर चौका मार दिया। उन्होंने अपने आलोचकों को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार में शरीर की कसरत इतनी अच्छी हो जाती है कि शरीर के हर अंग के स्वस्थ रहने का इंतजाम अपने आप हो जाता है। ये सब फायदे भी हैं और यह सब ऐसा है कि हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा आय। ऐसी कसरत में न बड़ी-बड़ी मशीनें चाहिए और न ही कोई खर्चीला ताम-झाम! कैफ का कहना है कि इस के बीच मजहब को क्यों घसीटा जा रहा है? कसरत से मजहब का क्या लेना देना?
कैफ का तर्क ठीक है लेकिन जिन्होंने उस पर एतराज किया है, हमें उनके तर्क पर भी ध्यान देना है। उनका कहना है कि सूर्य को नमस्कार करना ही जड़-पूजा है, मूर्ति-पूजा है, बुतपरस्ती है। यह इस्लाम के खिलाफ है। पहली बात यह कि नमस्कार करना पूजा नहीं है। और फिर सूर्य को नमस्कार करना पूजा है याने उसकी तरफ देखकर कसरत करना पूजा है तो मगरिब की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ना क्या पूजा नहीं है? वह पश्चिम दिशा की पूजा हो गई और मक्का-मदीना की भी पूजा हो गई। न पश्चिम दिशा अल्लाह है और न ही मक्का-मदीना ! दोनों ही जड़ हैं। इसके अलावा नमाज क्या है? उसमें और सूर्य नमस्कार में थोड़ा ही फर्क है? नमाज से बढ़िया तरीका क्या है, ईश्वर-प्रार्थना करने का? जो दिन में पांच बार नमाज पढ़ ले, वह बीमार ही क्यों हो? तन और मन दोनों शुद्ध !
यदि आप उसे सूर्य-नमस्कार न कहना चाहें तो न कहें। उसे आप हिंदी नमाज कह लीजिए। भारतीय मुसलमान दोनों पढ़ें, अरबी नमाज और हिंदी नमाज़! नमाज और नमस में फर्क कितना है? नमाज में परमात्मा का स्मरण है। उसकी रहमत से बने सूर्य का स्मरण है, सूर्य नमस्कार में ! बस भाषा का फर्क है। क्या भाषा बदलने से परमात्मा बदल जाता है? आसन, प्राणायाम, योग और ध्यान को मजहब के बाड़ों में बांधना कहा तक ठीक है। यह तो वैसे ही हैं, जैसे दवाई होती है। दवाई किस देश में बनी, किस मजहब के डाक्टर ने दी, वह आयुर्वेदिक है या यूनानी या एलोपेथिक- क्या ये सवाल हम पूछते हैं? दवा वही है, जो दर्द को हरे। दवा की कोई जात नहीं होती। सूर्य नमस्कार बस एक कसरत भर है। उसकी जात क्या पूछना? उसका मजहब क्या पूछना?