नई दिल्ली। भारत-अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) से पाकिस्तान-चीन के मीडिया में एक तूफान खड़ा कर दिया है। इस समझौते पर दोनों देशों के मीडिया का कहना है कि एशिया में चीन के बढ़ते असर को देखते हुए अमेरिका और भारत ने इस समझौते का खेल रचा जो भारत क लिए ठीक नहीं है। चीनी मीडिया ने बेझिझक यह तक कहा कि पाकिस्तान से रिश्ते न बन पाने पर मोदी अब खुलकर शत्रुता पर उतर आए हैं। वहीं, अमेरिकी मीडिया का कहना है कि भारत-अमेरिका के बीच लगातार सैनिक साझेदारी बढ़ रही है। क्या है चीन और पाकिस्तान का मानसिक संतुलन खोने का राज :
ज्ञात हो कि वॉशिंगटन में सोमवार को डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और उनके अमेरिकी काउंटरपार्ट एश्टन कार्टन ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते का मूल उद्देश्य चीन की ताकत को विशेषकर समुद्र में बढ़ने से रोकना है। समझौते के अनुसार , दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के इक्विपमेंट्स और नेवल-एयरबेस का प्रयोग कर सकेंगी।
इसके साथ इस LEMOA के तहत, दोनों देश एक-दूसरे से पानी और खाने जैसे स्रोतों का भी आदान-प्रदान कर सकेंगे । समझौते के मायने भारत की धरती पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती नहीं है।
गत 15 अगस्त के भाषण में मोदी ने बलूचिस्तान पर चीन और पाकिस्तान को एक साथ घेरने का भरपूर प्रयास किये । इसी के बाद से लंदन में चीनी दूतावास पर बलूच नेता प्रदर्शन कर रहे हैं।
और तो और बलूचिस्तान, सिंध और पीओके में भी पाक के खिलाफ प्रदर्शन उग्र और तेज हो गये हैं। वहां के नेता खुलकर सामने आ रहे हैं। इसके साथ पाक के दमन भी काफी तेज हो गए हैं।
चीन मीडिया के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- अमेरिका का पिछलग्गू बनता जा रहा है भारत । आगे वह लिखता है कि “यह बेशक अमेरिका-भारत के बीच सैन्य साझेदारी की लंबी छलांग होगी। लेकिन ऐसा समझौता करने से भारत अपनी रणनीतिक आजादी खो सकता है और अमेरिका का पिछलग्गू बनता जा रहा है।’मोदी पाकिस्तान के साथ रिश्ते को सुधारने के प्रयासों के बाद अपना धीरज खो चुके हैं और उन्होंने अपना इरादा बदलकर शत्रुता वाला भाव अपना लिया है।”
वहीं अमेरिकी मैग्जीन फोर्ब्स ने इस पैक्ट को ‘वॉर पैक्ट’ बताते हुए कहा है कि भारत अपने शीत युद्ध के साथी रूस के पाले से निकल कर अमेरिका की तरफ जा रहा है।
और पाक के न्यूजपेपर डॉन ने लिखा- चीन को रोकने के लिए यह वॉर पैक्ट, पाक-चीन पर सीधा असर पड़ेगा ।
“अमेरिका और भारत लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट के तहत दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का प्रयोग कर सकेंगे। अमेरिकी सेना और उसकी वायुसेना के लिए भारत के सैन्य अड्डों से लड़ना आसान होगा।”
”भारत भी पूरी दुनिया में अमेरिकी बेस का इस्तेमाल कर सकता है। इसका सीधा असर पाकिस्तान और चीन पर पड़ेगा।”
अखबार ने अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स में छपे एक आर्टिकल का हवाला भी दिया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन सावधान हो जाएं। इस हफ्ते भारत और अमेरिका बहुत बड़ा सैन्य समझौता कर सकते हैं।
अमेरिका की फोर्ब्स मैगजीन ने लिखा- मोदी रूस को नजरअंदाज कर आगे बढ़ रहे हैं…।
“चीन को अपनी मुट्ठी में रखने के लिए ओबामा प्रशासन के कार्यकाल का यह एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता है। इससे भविष्य में भारत को चीन के सामने खड़े होने के लिए मजबूत आधार मिलेगा।” वैसे यह समझौता पाकिस्तान और चीन की नीद हराम कर दी है।