बजट 2017–18 निर्णायक कदम, अभिनव पहल तथा दूरगामी नीतियों के लिए जाना जाएगा। औपनिवेशिक परंपराओं से अलग भारतीय आवश्यकता के अनुरूप उठाए गए कदमों से बजट सही मायनों में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेगा। एक महीने पहले बजट प्रस्तुत कर तथा योजना और गैर–योजना वर्गीकरण को हटाकर संसाधनों का अधितम उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। रेल बजट को मुख्य बजट का अंग बनाने से पूरे परिवहन प्रणाली के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का निर्माण होने में सहायता मिलेगी। यह बजट मोदी सरकार की दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है, जिसमें परिवर्तनकारी पहलों से भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर ले जाया जा सकेगा। अर्थव्यवस्था को दिशाहीनता, नीतिगत पंगुता, भ्रष्टाचार और बिचौलियों की जकड़ से मुक्त कराकर परिणामकारक, पारदर्शी और गतिशील बनाने का श्रेय कोई भी सहज रूप से मोदी सरकार को देगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा नीत राजग सरकार ने दो–ढाई वर्षों में ही हर ओर व्यापक परिवर्तन किए हैं।
केन्द्रीय वित्त मंत्री जब इस वर्ष का बजट प्रस्तुत करने के लिये खड़े हुए, तब इस वर्ष के ‘परिवर्तनकारी, ऊर्जावान एवं स्वच्छ भारत’ के एजेंडे से पूरे देश में एक नया उत्साह भर िदया। मोदी सरकार ने सुशासन एवं सरकारी कार्य प्रणाली में अनेक गुणवत्तापूर्ण बदलाव किए हैं। इन सकरात्मक बदलावों से समाज में एक नई ऊर्जा पैदा हुई है, जिससे कमजोर, वंचित, युवा एवं महिला राष्ट्रीय जीवन में अपना योगदान करने में स्वयं को सक्षम महसूस कर रहे हैं। गरीबों के अधिकारों पर डाका डाल कर फल–फूल रहे भ्रष्टाचार, कालाधन एवं काली अर्थव्यवस्था के विरुद्ध मोदी सरकार ने युद्ध छेड़ रखा है। कांग्रेस की सरपरस्ती में चल रहे इस व्यवस्था से इनमें कई प्रकार के निहित स्वार्थ जड़ जमा चुके हैं तथा इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। देश के गरीबों को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार अब इन पर चोट कर रही है।
इस वर्ष के बजट ने ग्रामीण क्षेत्र में गरीब, किसान, दलित, आदिवासी, सीमांत एवं वंचित वर्गों के लिए दूरगामी योजनाओं के माध्यम से भारी राशि की व्यवस्था की है। यह पहली बार है कि मोदी सरकार के हर बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भारी निवेश किया जा रहा है तथा ग्रामीण भारत केन्द्रीय बजट की मुख्य प्राथमिकता बन चुकी हैं। ग्रामीण भारत की अनदेखी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव कमजोर हुई है, जिससे कृषि को भारी नुकसान तो हुआ ही साथ में गांवों से पलायन के कारण शहरी जीवन पर भी भारी असर पड़ा है। इससे पूरी अर्थव्यवस्था दबाव में आ गयी है। इससे देश में भयानक सामाजिक–आर्थिक संकट खड़े हुए हैं। किसानों की आय 2022 तक दुगुनी करने, सिंचाई में भारी निवेश, मनरेगा को प्रभावी बना कर और कृषि में व्यापक बीमा तथा अभिनव तकनीकों को प्रोत्साहित कर मोदी सरकार पूर्व की गलतियों को तेजी से सुधारने में लगी हुई है।
सरकार के आलोचक तक अब यह मानने को बाध्य है कि बजट परिवर्तनकारी एवं भविष्योन्मुखी है। भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां देने में ‘परिवर्तनकारी, ऊर्जावान, एवं स्वच्छ भारत’ का घोषवाक्य अवश्य सफल होगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सरकार में वह दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति है जिससे वह समस्याओं को देखने का नजरिया बदलने का दम रखती है। अब तक की थकी–थकाई मानसिकता, जिसमें भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी तथा काली अर्थव्यवस्था फल–फूल रही थी, के स्थान पर वित्तीय समझ, आर्थिक सजगता एवं परिणामकारी शासन ने ले लिया है। इसका परिणाम यह है कि कांग्रेस नीत यूपीए शासन में जो मुद्रास्फीति दहाई का आंकड़ा पार करती थी, अब निरंतर इस पर लगाम कसी जा चुकी है। विकास दर जो लुढ़क रही थी, अब तेजी से ऊपर उठा है और कालेधन एवं भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जा रही है। आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता सितारा बनकर उभरा है तथा सर्वाधिक तेज विकास वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है। इस वर्ष के बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था उन शक्तियों को प्राप्त करेगी, जिससे आने वाले वर्षों में एक बड़ी छलांग लगाने में देश सक्षम होगा।
shivshakti@kamalsandesh.org