हेग के अन्तरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर के मामले में चीन को चित कर दिया है। उसका फैसला यह है कि छह देशों को छूनेवाले इस समुद्र पर चीन का एकाधिकार नहीं हो सकता। चीन की इस दादागीरी को फिलीपीन्स ने चुनौती दी थी। फिलीपीन्स के स्कारबरो द्वीप पर चीन ने कब्जा कर लिया था और इस समुद्र में फैले हुए कई चट्टानी इलाकों पर अपने हवाई अड्डे बना लिये थे। समुद्र किनारे के अन्य देशों वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के साथ भी चीन की झड़पें होने लगी थीं। 1980 में वियतनाम के 60 नाविकों को चीन ने मार गिराया था। वियतनाम के साथ मिलकर भारत भी इस समुद्र में से तेल निकालने पर काफी पैसा लगा रहा है। भारत के चार युद्धपोत भी इस समुद्र की सैर कर आए हैं।
चीन के खिलाफ फिलीपीन्स ने अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में जो मुकदमा लगाया था, उसमें पांच राष्ट्रों के प्रतिनिधि जजों ने सर्वसम्मति से चीन के दावों को गलत ठहराया है। उन सभी जजों का मानना है कि चीन ऐसे कोई प्रमाण उपस्थित नहीं कर सका है, जिनसे यह सिद्ध हो सके कि इस समुद्र में चीन का 200 किमी का अनन्य आर्थिक क्षेत्र मान लिया जाए। इस समुद्र के 85 प्रतिशत हिस्से पर चीन के एकाधिकार की बात को जजों ने रद्द कर दिया। जजों ने यह भी कहा कि इस समुद्र में जो प्राकृतिक संपदा है (गैस, तेल आदि), उस पर सभी सीमावर्ती राष्ट्रों का अधिकार है। जजों ने चीन द्वारा की जा रही धींगामुश्ती की भी निंदा की है।
चीन ने इस फैसले को रद्द कर दिया है। उसने कहा है कि यह एकतरफा है और अमेरिकी इशारे पर किया गया है। फिलीपीन्स का तो बहाना है। इस समुद्र पर असली कब्जा अमेरिका करना चाहता है। न्यायाधिकरण ने कानून का उल्लंघन किया है जबकि असलियत यह है कि संयुक्तराष्ट्र के समुद्री कानून समझौते पर चीन ने दस्तखत किए हैं। यह ठीक है कि इस फैसले के विरुद्ध जाने पर चीन को दंडित नहीं किया जा सकता लेकिन इससे चीन की छवि खराब होगी। उसे उद्दंड राष्ट्र माना जाएगा। इसी तरह का फैसला जब बांग्लादेश के पक्ष में और भारत के खिलाफ आया तो भारत ने उसे मान लिया। लेकिन चीन तो चीन है। वह मनमानी करता है। जो चीन एनएसजी के मामले में भारत पर उपदेश झाड़ रहा था, क्या अब उसकी बोलती बंद नहीं हो जाएगी? कोई आश्चर्य नहीं कि इस दक्षिण चीन सागर के जरिए होनेवाले पांच ट्रिलियन डाॅलर के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी चीन सीधा हस्तक्षेप करने लगे। बस, संतोष की बात यही है कि चीन और फिलीपीन्स दोनों गाली-गुफ्ता नहीं कर रहे हैं। वे दोनों बातचीत के द्वारा सारे मामले को हल करने का एलान कर रहे हैं।