विदेशों में छिपे काले धन के बारे में ‘पनामा पेपर्स’ ने ऐसा तहलका मचाया है कि उसने ‘विकीलीक्स’ को भी पीछे छोड़ दिया है। यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि यह विशाल भंडाफोड़ किसी सरकार ने नहीं किया है। यह भारत सरकार के लिए तो और भी लज्जा का विषय है, क्योंकि चुनाव के दौरान भाजपा के लिए काला धन काफी बड़ा मुद्दा था। सरकार ने विदेशों में छिपे काले धन को पकड़ने के लिए कई कमेटियां बनाई हुई हैं और वित्त मंत्रालय के सैकड़ों कर्मचारी इसी काम में लगे हुए हैं लेकिन काले धन के इस छिपे खजाने को उजागर किया है, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और दुनिया के अन्य 370 पत्रकारों ने। याने इस देश में कार्यपालिका के मुकाबले खबरपालिका ज्यादा कारगर सिद्ध हो रही है लेकिन भारत ही नहीं अन्य महाशक्ति और महान लोकतंत्र कहलवाने वाले राष्ट्रों में भी वहां के अखबारों ने वहां की सरकारों को मात दे दी है।
जो काली सूची सामने आई है, उसमें भारत के 500 से भी ज्यादा नाम हैं लेकिन आश्चर्य हैं कि किसी बड़े नेता या पार्टी का नाम क्यों नहीं है? क्या ऐसा इसलिए तो नहीं कि नेता लोग काफी चतुर होते हैं। वे अपना पैसा दूसरों के नाम से छुपा रखते हैं। दूसरे सिर्फ पैसा छुपाते है, ये नेता पैसा और नाम दोनों छुपाते हैं।
हमारे नेताओं के मुकाबले रुस, चीन, ब्रिटेन, पाकिस्तान, मिस्र, आइसलैंड आदि के नेता ज़रा कच्चे खिलाड़ी मालूम पड़ते हैं। उनके नाम जग-जाहिर हो रहे हैं। वे सब इन खबरों का खंडन कर रहे हैं। कुछ नेताओं और हमारे कुछ व्यापारियों ने अपने पक्ष में दो-टूक तर्क भी दिए हैं। हो सकता है कि पनामा में खुले उनके खाते आपत्तिजनक न हों। पिछली सरकार ने विदेशी खातों के लिए तरह-तरह की छूटें भी दे रखी थीं। इसीलिए यह अच्छा हुआ कि वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री को श्रेय देते हुए तत्काल जांच कमेटी बिठा दी है। आशा है, यह कमेटी द्रोपदी का चीर नहीं सिद्ध होगी।
सिर्फ रपट आना ही काफी नहीं होगा। विदेशी खाते सिर्फ उन्हीं लोगों के नहीं होते, जिन्होंने व्यापार या उद्योग से सचमुच पैसे कमाए हैं बल्कि उन नेताओं, तस्करों, अपराधियों, आतंकवादियों और दलालों के भी होते हैं, जिनकी कमाई सचमुच काली होती है। यह काली कमाई देशद्रोह से कम नहीं है। इसकी सजा सिर्फ अर्थदंड से पूरी नहीं होती। इन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इनकी और इनके परिवार की समस्त चल-अचल संपत्ति जब्त की जानी चाहिए और इनके अपराध के अनुपात में इन्हें आजीवन कारावास तक भुगतना चाहिए। काले धन से चलने वाली राजनीति के कारिंदे पता नहीं ऐसे मामलों में कुछ कर पाएंगा या नहीं?