दिल्ली में भव्य आदिवासी कार्निवल का उद्घाटन प्रधानमंत्री करेंगे
केन्द्रीय जनजाति मामलों के राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर ने कहा कि आदिवासी जनजीवन को हिंसा से मुक्त करने के लिए आदिवासियों का समग्र विकास अपेक्षित है। इन आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास को प्राथमिकता दिया जाना जरूरी है। हम इस दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी कौशल को देश और दुनिया में पहुंचाने की दिशा में प्रयत्न करेेंगे जिससे आदिवासी क्षेत्रों की असाधारण तरक्की हो सकेगी।
श्री भाभोर सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय की सन्निधि में 10 पं. पंत मार्ग पर आयोजित विचार संगीति में उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने 26 अक्टूबर 2016 को दिल्ली में आयोजित भव्य आदिवासी कार्निवल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे एवं देश भर के आदिवासी क्षेत्रों का इसमें प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने गणि राजेन्द्र विजय को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया। इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक एवं समृद्ध सुखी परिवार के संपादक श्री ललित गर्ग ने श्री भाभोर को साहित्य एवं पत्रिका भेंट करते हुए सुखी परिवार अभियान के द्वारा गुजरात के आदिवासी अंचल में संचालित की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी। श्री भाभोर ने कहा कि आदिवासी उत्थान और उन्नयन के लिए सुखी परिवार अभियान जैसा रचनात्मक संगठन आगे आया है यह प्रसन्नता की बात है। आज सरकारी योजनाओं को सही रूप में क्रियान्वित करने के लिए ऐसे संगठनों और संस्थाओं की आवश्यकता है जो सही अर्थ में लोगों का कल्याण कर सके। उन्होंने गणि राजेन्द्र विजयजी के प्रयत्नों की सराहना की।
गणि राजेन्द्र विजय ने आदिवासी अंचल में संचालित हो रही जनकल्याणकारी गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अहिंसा आज विश्व की जरूरत बन गया है। हिंसा के इस युग में अहिंसा की स्थापना के लिए संतों के साथ-साथ सत्ता को भी प्रयास करने चाहिए। आर्थिक व्यवस्था बदले बिना कोई भी व्यवस्था सफल नहीं हो सकती।
गणि राजेन्द्र विजय ने गुजरात के आदिवासी अंचल कवांट, बलद, बोडेली आदि में सुखी परिवार फाउंडेशन के द्वारा संचालित शिक्षा, सेवा, जनकल्याण, बालिका उत्थान आदि के व्यापक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आज हिंसा का सबसे बड़ा कारण अभाव है। अभाव और विषमता के रहते अहिंसा की आशा करना व्यर्थ है।