भाग दो :
रविन्द्र कुमार द्विवेदी के कलम से
भाजपा व संघ के कार्यकर्ताओं में आक्रोश
परियत,जौनपुर(उप्र)। 2022 को होली को बरसठी थानाध्यक्ष राम सरीख गौतम (पीएनओ संख्या: 960600467) ने राष्ट्रीय स्वयं संघ के एक कार्यकर्ता को जमकर पीटा क्योंकि उसकी यही गलती थी कि उसने 112 नंबर पर अवैध बुचड़खाना की शिकायत कर दिया था। ज्ञात हो कि वो यह शिकायत आज से नहीं कर रहे हैं बल्कि वे 2020 से उपरोक्त बूचड़खाना को हटवाने के लिए प्रयासरत हैं मगर बूचड़खाना वाले की हथियार लहराकर धमकी फिर भ्रष्ट पुलिसवालों की धमकी से वो पहले से ही झेल रहे थे।
वैसे जब थानाध्यक्ष राम सरीख को उपरोक्त 112 नंबर के कॉल का पता चला तो उन्होंने पहले उन्होंने किसी थाना के पुलिस के फोन से भरत तिवारी को फोन कर धमकाया, बत्तमीजी से बात किया और डराया फिर जो 100 नंबर की जिप्सी घूमती है उसके किसी कांस्टेबल के फोन पर थानाध्यक्ष ने कॉल किया वो और उस पुलिस ने भरत तिवारी को फोन देकर बरसठी थानाध्यक्ष से बात कराया थानाध्यक्ष राम सरीख गौतम (पीएनओ संख्या: 960600467) फोन पर गंदी-गंदी गालियां देने लगे तेरी मॉं की चो$&&$$$%, माधर$&&$$$%, भोष$&&$$$% वाले साले वो अपना बूचड़खाना चला रहा है तो तुझे क्या दिक्कत है, रूक अभी आता हूं तुझे बताता हूं। ऐसे में भरत तिवारी समझ गए कि अब हमें थानाध्यक्ष राम सरीख गौतम (पीएनओ संख्या: 960600467) मारेगा हो सके तो किसी न किसी फर्जी मामले में फंसा सकता है, इसलिए थानाध्यक्ष की बुरी मंशा समझकर घर से बाहर नहीं निकल रहे थे, बार-बार बुलाने पर नहीं घर से निकले क्योंकि वे थानाध्यक्ष की गलत नियत को वे पहले ही भली-भांति भांप गए थे। इसलिए बरसठी के तानाशाह, भ्रष्ट थानाध्यक्ष ने अपने साथियों के साथ घर में घुसके मारा जो कि एकदम सच है जिसका भारत वार्ता के पास प्रमाण भी आ गया है।
अब प्रश्न यह उठता है कि भरत तिवारी जो संघ के सक्रिय कार्यकर्ता थे उन्हें क्यों निर्दयता पूर्वक पीटा गया
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पुलिस उत्पीड़न के शिकार संघ कार्यकर्ता भरत
आखिर संघी कार्यकर्ता को क्यों मारा गया बरसठी थानाध्यक्ष ने, उसका एक ही कारण है कि थानाध्यक्ष राम सरीख गौतम (पीएनओ संख्या: 960600467) के देख-रेख में अवैध बूचड़खाना चल रहा था जिससे उनकी मोटी कमाई होती थी क्योंकि विवादित अवैध मिनी बूचड़खाना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बनाए मानदंडों पर खरा नहीं उतरता था और तो और जैसे ही थानाध्यक्ष को पता चला कि भरत तिवारी बूचड़खाने के पीछे पड़ गया है वो अपने लाव लश्कर के साथ पहुंच गए उसे बल भर मारा। भ्रष्टाचारी थानाध्यक्ष ने लात, घूंसा, थप्पड़ जो भी हो सकता था उसे जमकर धुना, इतना ही नहीं उसकी बेटी और पत्नी बीच—बचाव कर रही थी उन्हें भी नहीं छोड़ा, उनको भी बुरी तरह मारा और अपमानित किया।
ज्ञात हो कि संघ कार्यकर्ता का परिवार अटल जी के समय से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ है उनके माता-पिता बहुत ही आध्यात्मिक व संस्कारी थे। उनका पूरा परिवार गॉंव में बहुत सम्मानित है। स्वयं भरत तिवारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय वर्ग शिक्षित हैं।
इससे पूर्व बलवंत नाम के सिपाही ने भी तिवारी को धमकी दिया था
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इसके पहले जब भरत तिवारी ने 17 अक्टूबर, 2021 को बरसठी पुलिस में शिकायत किया था तो बलवंत (Pno Number : 112501277) नाम का सिपाही अपने साथी अश्वनी कुमार के साथ आकर भरत तिवारी को ललकारा था कि पंडित आप हम लोगों का कुछ नहीं कर सकते इसलिए बूचड़खाना जैसे चल रहा है आगे भी चलता रहेगा, आप जैसे लोग हम लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। ज्यादा दिक्कत करोगे तो किसी फर्जी मामले में अंदर करवाकर कहानी समाप्त करवा देंगे तब भरत तिवारी ने विवाद न बढ़े चुप रहना ठीक समझा था।
जनता, समाजसेवीजनों की उपरोक्त मामले पर प्रतिक्रिया :
. चंद्र शेखर सिंह
भरत तिवारी व उनके पूरे परिवार के पिटाई वाले मामले पर भाजपा के वरिष्ठ क्षेत्रीय नेता चंद्र शेखर सिंह ने कहा कि संघ कार्यकर्ता भरत तिवारी व उनके पत्नी के बदसलूकी के मामले को इसकी जांच उच्चस्तरीय जांच किसी अन्य दूर के थाने की पुलिस से निष्पक्ष कराना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए और इसमें चाहे पक्ष या विपक्ष जो भी दोषी हो उसके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। जब थानाध्यक्ष के उपर पीटने का आरोप है और उन्हीं के नीचे काम करने वाला सिपाही जांच करेंगे तो न्याय कैसे होगा।
. पं0 बाबा नंद किशोर मिश्रा
वहीं, अखिल भारत हिन्दू महासभा के अध्यक्ष पं0 बाबा नंद किशोर मिश्रा का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के शासन काल में यदि वर्दीधारी अधिकारी यह समझते हैं कि उन्हें अत्याचार करने का लाइसेंस मिल गया तो ऐसा सोचना भी गलत होगा, योगी जी का शासन राम राज्य का शासन है चाहे वर्दीधारी हो या समाज का कोई बड़ा आदमी यदि अपराध करेगा तो वह दण्डित होगा। होली का त्योहार सद्भाव का त्योहार होता है। होली के दिन चाहे राजा हो या रानी, चाहे कोई भी बड़ा हो या छोटा सब समान होता है, सब एक दूसरे के गले मिलते हैं। ऐसे में एक थानाध्यक्ष व उसके साथी सिपाहियों द्वारा एक समाज में प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार के घर में घुसकर मारना—पीटना, महिलाओं के बाल पकड़कर घसीटना, उन्हें बेपर्दा करना कहां की सभ्यता है, ऐसा करने वाला केवल अपराधी होता है, ऐसे दुर्दांत अपराधी कुकृत्य करने वाले अधिकारियों को विजिलेंस जांच करवाकर हमेशा के लिए पदमुक्त करना चाहिए। ऐसे थानाध्यक्ष जो गॉंव, प्रदेश व देश का माहौल खराब कर रहा हो, उसे छुट्टा नहीं छोड़ना चाहिए। माननीय मुख्यमंत्री जी को कड़ा से कड़ा ऐक्शन लेना चाहिए, वर्ना पुन: सद्भाव बिगड़ने की पूर्ण आशंका है क्योंकि हमें पता चला है कि इस उपरोक्त अधिकारी को पहले भी वाराणसी में लाइन हाजिर किया जा चुका है।
. सदाशिव तिवारी
और, समाजसेवी सदाशिव तिवारी का कहना है कि भरत तिवारी जी व उनके पूरे परिवार के साथ बरसठी पुलिस ने उनके घर में घुसकर जो किया वो बेहद निंदनीय है लेकिन बलवंत नाम के सिपाही ने जो भरत तिवारी को ललकारा जैसा कि भरत तिवारी ने 17 अक्टूबर, 2021 को बरसठी पुलिस में शिकायत किया था तो बलवंत नाम का सिपाही अपने साथी के साथ आकर भरत तिवारी को ललकारा था कि पंडित आप हम लोगों का कुछ नहीं कर सकते इसलिए बूचड़खाना जैसे चल रहा है आगे भी चलता रहेगा, आप जैसे लोग हम लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। ज्यादा दिक्कत करोगे तो किसी फर्जी मामले में अंदर करवाकर कहानी समाप्त करवा देंगे तब भरत तिवारी ने विवाद न बढ़े चुप रहना ठीक समझा था, ऐसा कहने वाला बलवंत भी बहुत दोषी है क्योंकि मारने वाले से बड़ा दोषी ललकारने वाला होता है, यदि ऐसे भ्रष्ट पुलिसवालों के विरूद्ध अविलंब कुछ नहीं होगा तो हम लोगों के पास आंदोलन करने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा, इसलिए मैं बलवंत के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही हो, भरत तिवारी व उनके पूरे परिवार के साथ हुए अत्याचार की जांच किसी उच्च स्तरीय संस्था द्वारा करवाकर दोषियों के उपर तत्काल ऐक्शन होना चाहिए। ।
. डॉक्टर यशवंत गुप्ता
ग्रॉमीण पत्रकार संघ,उप्र के अध्यक्ष डॉक्टर यशवंत गुप्ता का कहना है कि पुलिस द्वारा घर में घुसकर मारना कोई नया मामला नहीं है इससे पहले अच्छे-अच्छे लोगों को घर में घुसकर मारने का मामला आ चुका है। ऐसे पुलिस अपने आपको वर्दी की ताकत दिखाते हुए ये मानते हैं कि उन्हें गुंडई करने का लाइसेंस मिल गया है। इस तरह की कुसंस्कृति को सरकार को तुरंत संज्ञान में लेकर बंद करवाना चाहिए क्योंकि इससे सरकार की बदनामी होती है।
मीट बिक्री को लेकर योगी सरकार के कुछ नियम, इन शर्तों को करना होगा पूरा तभी खुलेगी दुकान :
1. मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 50 मीटर की दूरी पर हो। धार्मिक स्थल के मेनगेट से 100 मीटर की दूरी हो।
2. मीट की दुकान सब्जी या मछली की दुकान के पास नहीं होगी।
3. मीट दुकान के अंदर जानवर या पक्षी नहीं काटे जाएंगे।
4. मीट की दुकानों पर काम करने वालों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।
5. मीट की क्वॉलिटी पशु डॉक्टर से प्रमाणित करवानी होगी।
6. शहरी इलाकों में सर्किल ऑफिसर, नगर निगम और फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से एनओसी लेनी होगी।
7. ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए एनओसी देंगे।
8. मीट दुकानदार बीमार या प्रेगनेंट जानवर नहीं काट सकेंगे।
9. मीट दुकानदार हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करवाएंगे।
10. मीट काटने के चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के होंगे।
11. मीट दुकान में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होगी।
12. बूचडख़ानों से खरीदे गए मीट का पूरा हिसाब-किताब रखना होगा।
13. मीट इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाडिय़ों में ही बूचडख़ानों से ढोया जाए।
14. मीट को जिस फ्रिज में रखा जाएगा उसका दरवाजा पारदर्शी होगा।
15. मीट की दुकान में गीजर जरूरी होगा।
16. दुकान के बाहर पर्दे या गहरे रंग ग्लास लगा हो ताकि किसी को मीट नजर न आए।
17. एफएसडीए के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस रद्द हो जाएगा।
इनमें से उपरोक्त किसी मानदंडों का बूचड़खाने में पालन नहीं होता था बस पुलिस अपना पैसा वसूलती थी उसे जनता के स्वास्थ्य व सरकार से कोई मतलब नहीं था।