दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई)' ने कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व प्रकोप के कारण देशव्यापी तालाबंदी के मद्देनजर भारत सरकार ने मार्च 2020 में नियमित मासिक खाद्य आपूर्ति के अलावा लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न के वितरण की घोषणा की थी। इस अतिरिक्त खाद्यान्न की व्यवस्था इसलिए की गयी थी ताकि गरीब, जरूरतमंद और कमजोर परिवारों को देशव्यापी तालाबंदी और आर्थिक परेशानियों का सामना करने में सुगमता हो।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को मानवीय स्पर्श के साथ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए उनकी दूरदृष्टि, नवाचार और पथप्रदर्शक विचारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' योजना के तहत कोविड महामारी के प्रकोप के बीच गरीबों और कमजोरों को बचाने के लिए इस महामारी के प्रारंभिक चरण में पीएम-जीकेएवाई योजना शुरू करके एक बार फिर इसे साबित किया। इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रति माह 5 किलो चावल/गेहूं और 1 किलो मुफ्त दाल प्रदान की गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीएम-जीकेएवाई योजना ने महामारी के दौरान भारत के लगभग 81.35 करोड़ जरूरतमंद और सबसे गरीब लोगों को लाभ पहुंचाया है।
आज देश मोदी सरकार के मूल मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के साथ आगे बढ़ रहा है, जो अंत्योदय के सिद्धांत या शासन की मूल भावना के रूप में अंतिम व्यक्ति के उत्थान द्वारा निर्देशित है। इस सिद्धांत को चरित्रार्थ करते हुए सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों और ऐसे परिवारों जिनकों विधवाओं या मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों, विकलांग व्यक्तियों या 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों द्वारा चलाया जा रहा है, उनको योजना के लाभार्थियों के रूप में शामिल किया है। सभी आदिवासी परिवार, भूमिहीन खेतिहर मजदूर, सीमांत किसान, ग्रामीण कारीगर और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति भी इस योजना के हिस्सा रहे।
कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व प्रकोप के कारण देशव्यापी तालाबंदी के मद्देनजर भारत सरकार ने मार्च 2020 में नियमित मासिक खाद्य आपूर्ति के अलावा लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न के वितरण की घोषणा की थी। इस अतिरिक्त खाद्यान्न की व्यवस्था इसलिए की गयी थी ताकि गरीब, जरूरतमंद और कमजोर परिवारों को देशव्यापी तालाबंदी और आर्थिक परेशानियों का समाना करने में सुगमता हो
यह योजना शुरू में प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा मौजूदा 'प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना' के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी और इसे अप्रैल से जून, 2020 की अवधि के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये की लागत से शुरु किया गया था। इस कल्याणकारी योजना के तहत मई, 2020 के अंत तक खाद्य मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक 740 करोड़ लाभार्थियों को लाभ मिला और इसने देश में व्यापक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।
इस योजना की सफलता से उत्साहित प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इसको नवंबर, 2020 तक बढ़ा दिया, जिसके लिए 90,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और 80 करोड़ लोगों को इसमें शामिल करने का लक्ष्य रखा गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना का पहला चरण अप्रैल से जून, 2020, दूसरा चरण क्रमशः जुलाई से नवंबर, 2020, तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक और चौथा चरण जुलाई से नवंबर, 2021 तक लागू किया गया। पीएम-जीकेएवाई चरण एक से चार के तहत भारत सरकार ने कुल 600 एलएमटी खाद्यान्न राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को आवंटित किया, जो लगभग 2.07 लाख करोड़ रुपये खाद्य सब्सिडी के बराबर है। रिपोर्ट के अनुसार, पीएम-जीकेएवाई-IV के तहत कुल 93.8 प्रतिशत खाद्यान्न ले लिया गया है और क्रमशः लगभग 74.64 करोड़ लाभार्थियों को वितरित किया गया है।
हाल ही में प्रधानमंत्री ने 53344.52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी लिए कुल 163 एलएमटी खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जा रहा है। पहले के चरणों के अनुरुप पीएम—जीकेएवाई-V का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है। सरकार पीएम-जीकेएवाई के चरण I से V तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।
मोदी सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी जरूरतमंदों तक पहुंचे। सरकार की इस योजना के साथ भारत दुनिया का एकमात्र देश बन गया है जो बिना किसी भेदभाव के 24 महीने के लिए 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान कर रहा है। इस उदार नजरिये और इसके जबरदस्त परिणाम के कारण पूरी दुनिया ने 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' के लाभों को स्वीकार किया है।
इस योजना की सराहना करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा, “पीएम मोदी ने न केवल स्वास्थ्य के मुद्दों को हल किया है, बल्कि आर्थिक मुद्दों पर भी ध्यान िदया है और इसे अन्य देशों द्वारा दोहराया जाना चाहिए।”
सार्वभौमिक पीएम-जीकेएवाई योजना की सराहना करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, ‘‘भारत ने दो कदम उठाए हैं- प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और आत्म निर्भर भारत- जो देश के आर्थिक मुद्दों का ख्याल रख रहे हैं और यह सराहनीय है।”
निस्संदेह, पिछली सदी के दौरान पूरी दुनिया के सामने कोविड-19 महामारी एक बड़ा संकट था और आज भी है, जिसने दुनिया के सबसे उन्नत देशों को भी नहीं बख्शा। पिछले अनुभव बताते हैं, जब भी कोई बड़ी त्रासदी इतनी बड़ी आबादी पर आती है, तो इससे समाज में अस्थिरता पैदा होती है। हालांकि, प्रधानमंत्री श्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो किया उसने सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। ऐसे कठिन समय में भी भारत ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि एक भी गरीब व्यक्ति भूखा न रहे। इसके अतिरिक्त, भारत ने महामारी के दौरान गरीब, असहाय, बुजुर्ग लोगों को सीधे उनके बैंक खातों में वित्तीय सहायता भी प्रदान की। प्रवासी श्रमिकों के लिए 'वन नेशन वन राशन कार्ड' की सुविधा शुरू की गई, ताकि यह प्रवासी देश में कहीं भी रहें, उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
मानवीय, संवेदनशीलता को सर्वोपरि रखते हुए गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से सभी को साथ लेकर चलने के पीएम श्री मोदी के प्रयासों ने निश्चित रूप से इस कठिन समय में देश के गरीब, जरूरतमंद, छोटे किसानों और छोटे व्यापारियों को बहुत ताकत दी है। पिछले दो वर्षों में वितरित इस मुफ्त राशन ने यह निश्चित किया कि महामारी के इस दौर में गरीबों पर आने वाले संकट को कम किया जा सके और उनके जीवन और आजीविका में सहयोग किया जा सके। जनता का विश्वास प्रधानमंत्री श्री मोदी के शासन की आधारशिला है जो एक ‘नए भारत’ की परिकल्पना को आगे बढ़ाता है और एक ऐसा भारत का निर्माण के लिए रास्ता प्रशस्त करता है जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए पहले से कहीं अधिक दृढ़ और आत्मविश्वास से परिपूर्ण है।