मैं इस योग का विरोधी क्यों हूं ?

आचार्य विष्णु श्रीहरि 
 

 मुसलमानों ने योग को लव जिहाद और धर्म परिवर्तन का हथकंडा बना डाला

 

    योग दिवस पर मैंने योग नहीं राष्ट्र चिंतन किया। योग तो साधु संत, अच्छे मनुष्य के साथ ही साथ भ्रष्ट, हिंसक, म्लेच्छ, कालाबजारी करने वाले,अपराधी, बलात्कारी और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में रिश्वत लेने वाले अफसर भी कर रहे हैं। जब नरेन्द्र मोदी से लेकर करोड़ों लोग योग कर रहे हैं तब मैं राष्ट्र चिंतन कर रहा था, राष्ट की वर्तमान चुनौतियों का आकलन कर रहा था। आखिर क्यों? योग पर मेरी समझ थोड़ी दूसरी है, आपके लिए नकरात्मक जैसी है। क्योंकि इस योग में आत्मशुद्धि नहीं है, आत्ममंथन नहीं है, शुचिता नहीं है, सिर्फ और सिर्फ फैशनबाजी है, दिखावा है और इस उपभोगवाद की संस्कृति में अपने अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझने की चालांकी होती है, तथाकथित बडों जैसे भ्रष्ट अधिकारियों, भ्रष्ट राजनेताओं, खूखांर अपराधियों और खूंखार माफियों के बगल में बैठ कर अपने आप को गर्वान्वित करने और घोषित करने का भाव निहत होता है। पर मैं वर्तमान में जीता हूं, वास्तविकता में सक्रिय रहता हूं, मूर्खता अपने ऊपर हावी नहीं होने देता, आयातित हिंसक संस्कृति हमेशा मेरी दृष्टि मे होती है, उसके खतरे और चुनौतियां हमारे सामने होती है।

     योग के सर्वोत्तम गुरू रामदेव हैं। रामदेव को यह श्रेय जाता है कि उसने इस योग को विश्वव्यापी बना दिया। नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट संघ से योग दिवस भी घोषित करवा दिया। हर साल भारत सरकार योग को बढावा देने के लिए योग दिवस का आयोजन करती है। पर योग के सर्वोत्तम गुरू रामदेव का हस्र शायद आप भूल गये होंगे। रामदेव रामलीला मैदान से सलवार शमीज पहन कर यानी औरत बन कर भाग गए थे । उसने भूख हडताल की थी पर चैबीस घंटे के पहले ही उसकी हालत खराब हो गयी थी। मरन्नासन स्वास्थ्य को देखते हुए पुलिस ने रामदेव की भूख हडताल तोड़वा दी थी। कोई योग कर्ता दारा सिंह नही बन पाता, कोई योग कर्ता ओलंपिक गोल्ड मेडल नही ला पाता, क्यों? जिमनास्टिक करीब योग का ही एक रूप है। जैमनास्टिक में यूरोपीय देश ओलम्पिक मैडल जीत लेते हैं पर भारत में योग गुरू एक भी ऐसा जिमनास्टिक खिलाडी क्यों नहीं पैदा कर पाते जो ओलम्पिक मैडल देश को दे सके। जब रामदेव ही अपने योग के अनुसार अपने संकट के दौरान अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं कर सके तो फिर कीडे-मकौडे की तरह योग करने वालों के बारे में आकलन करना समय की बर्बादी है।

     योग के महता मैंने बहुत सुनी है पर महता के अनुसार गुण और शक्ति किसी योगकर्ता में मैंने नहीं देखी। जिस प्रकार सर्प में मनी होती है, उस मनी को पाने के लिए दुनिया में लाखों लोग स्वाहा हो गये पर आज तक दुनिया में एक भी मनी नहीं मिली। योग करने के बाद भ्रष्ट अफसरों , अपराधियों और मलेच्छो की आत्मा क्यों नहीं शुद्ध हो पाती। इनके अपराध और भ्रष्ट आचरण दूर क्यों नहीं होते? क्या कोई योग कर्ता यह प्रण करता है कि मैं रिश्वत नहीं लूंगा, अपराध नहीं करूंगा, बलात्कार नहीं करूंगा, कालाबजारी नहीं करूंगा, झूठ बोल कर किसी को जेल नहीं भेजवाउंगा, किसी सभ्य आदमी को परेशान नहीं करूंगा आदि-आदि। पतजंलि ने शरीर की शुद्धता के पूर्व मन ओर दिमाग की शुद्धता देखी होगी, सुनिश्चित की होगी, पतजंलि ने पहले स्वयं को शुद्ध किया होगा। सबसे बडी बात यह है कि उनका जीवन फैशन आधारित नहीं होगा, वे जंगलों में तपस्या और योग करते थे। इसलिए पंतजलि ने योग से जीवन को नियंत्रित करने की शक्तियां हासिल की थी। क्या पंतजंलि ने किसी राक्षस, किसी मलेच्छ और किसी खूंखार अपराधी को योग सिखाया होगा? जिस प्रकार से परमाणु बम विफल और हिंसक देश के पास नहीं होने देने का सिद्धांत है उसी प्रकार से अपराधियों, माफियाओं, भ्रष्ट-रिश्वतखोर अधिकारियों, बईमान और मलेच्छों को भी योग करने का अधिकार नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे स्वस्थ रहकर मनुष्यता विरोधी कार्य ही करेंगे। रामदेव और भारत सरकार में इतनी शक्ति तो होनी ही चाहिए थी कि घोषणा करते कि मेरी योग शिविर में मन की शुद्धता रखने वाले ही आयें, अपराधी, माफिया और बईमान लोग नहीं आयें। फिर रामदेव को पंतजंलि का फोटो काॅपी भी नहीं माना जाना चाहिए।

     योग की उत्पति सनातन की देन है। सनातन ही दुनिया की प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म है। पर सनातन के सम्मान और सुरक्षा में इस आधुनिक योग कर्ताओ के योगदान की व्याख्या होनी चाहिए, आकंलन होना चाहिए।  धर्म के लिए लड़ने वाले जितने भी योद्धा थे उनमें से कोई योगकर्ता नहीं थे। हिन्दुत्व के लिए लड़ने वाले कोई नामी-गिरामी योगकर्ता नहीं रहे हैं। सभी सामान्य लोग रहे हैं। योगकर्ता हिन्दुत्व के लिए लड़ने की शक्ति क्यों नहीं दिखा पाते ? योग कर्ता केरल और पश्चिम बंगाल जाकर अपनी योग शक्तियों का प्रदर्शन कर आयातित संस्कृति के हिंसक और मलेच्छो का संहार कर हिंदुओ की सुरक्षा क्यों नहीं करते ? योगकर्ता कभी भी अवैध घुसपैठियों रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ कोई संघर्ष क्यांें नहीं करते हैं? कोई योग कर्ता दयानंद सरस्वती और श्रद्धानंद सरस्वती क्यों नहीं बन पाते? कोई योगकर्ता आदि शंकराचार्य क्यों नहीं बन पाते हैं?

     इसके विपरीत आप मुसलमानों को देख लीजिये। एक मुसलमान खड़ा होकर सैकड़ों योगकर्ता और हिन्दुत्व के प्रहरियों का सामना कर लेता है। मदरसे का एक मुस्लिम बच्चा दर्जनों गुरूकुल के बच्चे को सीधे रौंद डालता है। अगर आपको विश्वास नहीं है तो पांच मुस्लिम बच्चों के सामने दर्जनों गुरूकुल के बच्चे को खड़ा कर दो, सभी गुरूकुल के बच्चे मार खाकर लौट आयेंगे। रामदेव के इस योग ने हिन्दुत्व की कब्र भी खोदी है, लव जिहाद को भी बढावा दिया है। कट्टरंपथी मुसलमानों ने रामदेव के इस योग को हथकंडा बना दिया है। मुस्लिम युवक योग गुरू बन कर हिन्दु लडकियों को लव जिहाद और धर्मातंरण का शिकार बना रहे हैं, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मुस्लिम योग गुरूओं की ऐसी कहानी बहुत ही घृणित है और राष्ट विरोधी है।

     शक्ति दिगाम में होती है। जब दिमाग में किसी चीज के प्रति संघर्ष की भावना व क्षमता नहीं होगी तो फिर लाख योग कर लो, कोई लाभ नहीं है। रामदेव या किसी अन्य योग कर्ता के दिमाग में किसी विचार और लक्ष्य , निशाने के प्रति समर्पण और संघर्ष की भावना ही नहीं होती हैं, लोगों के दिमाग में रिश्वतखोरी घुसी है, बईमानी घुसी है, राष्टद्रोह घुसा है। इसीलिए रामदेव को औरत बनकर भागना पड़ता है, अन्य योग कर्ता हिंदुत्व पर उत्पन्न खतरो के प्रति उदासीन और बेखबर रहते हैं। योग गुरू सिर्फ पैसे और सुदंरता के व्यापारी बन गये हैं, योग सिर्फ मनोरंजन बन गया है, फैशन बन गया है। योग गुरूओं के अपनी शिष्याओं के साथ रंगरेलियों की खबर भी सामने आती रहती है।

     इसीलिए मैंने विशेष योग नहीं कर इस पर चिंतन किया करता हूं कि भारत को कैसे इस्लाम का घर बनने से रोका जाये, जिहादी और हिंसक लोगों से भारत को कैसे बचाया जाये। चीन के समर्थकों को कैसे संहार किया जाये, उन्हें राष्टवाद का पाठ कैसे पढाया जाये, पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वालों को कैसे नकेल डाला जाये, केरल और पश्चिम बंगाल के हिंदुओ को मलेच्छों से कैसे बचाया जाए, दलितों और पिछड़ों को सनातन में सम्मान और प्रतिष्ठा कैसे दिलाया जाये।

     मैं बहुत बड़ा विद्वान नहीं हूं। पर वर्तमान परिस्थितियों में चिंतन करने का प्रयास करता हूं। मेरा चिंतन यही है। राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि है, राष्ट्र सुरक्षित हैं तो हम सब सुरक्षित है। राष्ट्र का लोकतंत्र तभी तक बचा है जब तक हिंदुत्व बहुमत में है। इस्लाम और कम्यूनिष्ट शासन में लोकतंत्र  होता ही नहीं। इसलिए विशेष योग करने या फिर पर्यावरण बचाने का नाटक बंद करना चाहिए, हिंदुत्व को बचाने के लिए समय का सदुपयोग करना चाहिए।

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    (लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और ये लेखक के अपने स्वयं के विचार हैं )