पुरुषों द्वारा महिलाओं पर अत्याचार,उनका शोषण व उत्पीड़न करने की अनेक घटनायें आये दिन सुर्ख़ियों में रहती हैं। अक्सर महिलाओं द्वारा संगठित होकर ऐसे अपराधों व अपराधियों के विरुद्ध आवाज़ भी उठाई जाती है। ऐसे अवसरों पर महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखने वाले व उनके मान सम्मान व महिला अधिकारों की क़द्र करने वाले तमाम पुरुष,युवक व छात्र उनके साथ उनकी आवाज़ से आवाज़ मिलाते भी देखे जाते हैं। क्योंकि हर न्यायप्रिय मानवतावादी पुरुष यह भी जानता है कि वह भी किसी महिला का पुत्र उसका भाई,पति या पिता है। महिलाओं की शिकायतों के समाधान हेतु सरकार द्वारा महिला आयोग गठित किये गये हैं। कई जगह महिला थाने बनाये गये हैं। परन्तु हमारे ही देश में यह कहावत भी ख़ूब प्रचलित है कि औरत की सबसे बड़ी दुश्मन औरत ही होती है। ज़ाहिर है आम भारतीय परिवारों में प्रायः होने वाले सास-बहू,ननद-भाभी,जेठानी आदि से होने वाले घरेलू झगड़ों के चलते यह कहावत प्रचलन में आई होगी। यह भी सच है कि एक महिला अपनी बहू से बेटा पैदा करने के लिये जितनी आस लगाकर रखती है उतना उसका बेटा भी नहीं रखता। और ख़ुदा न ख़्वास्ता किसी औरत ने एक या दो तीन बेटियों को लगातार जन्म दे दिया तो सबसे अधिक सास की नज़रों में वह बहू खटकने लगती है। उसकी नज़रों से गिर जाती है। जहालत भरी इस सोच ने न जाने कितने घरों को बर्बाद किया है। तमाम बहुओं को इन्हीं परिस्थितियों में ख़ुदकशी तक करनी पड़ी है। नारी संबंधी अपराध की भी यदि पड़ताल करें तो हमारे ही समाज में अनेकानेक ऐसी महिलायें भी मिलेंगी जो कभी प्रेमिका के रूप में दूसरी महिला का घर उजाड़ देती हैं। कहीं महिलायें ही युवतियों को देह व्यापर में धकेल देती हैं, कहीं पेशेवर अपराधी बनकर महिलायें समाज को कलंकित करती और वह भी महिलाएं ही होती हैं जो अपने नवजात शिशुओं विशेषकर नवजात कन्याओं को कभी कूड़े के ढेर पर तो कभी नालों में कुत्तों के नोचने के लिये फेंक आती हैं। और यदि ऐसी ही विकृत व घृणित मानसिकता की कोई लड़की कॉलेज या विश्वविद्यालय तक पहुँच जाये तो कितनी ही लड़कियों की इज़्ज़त और उनकी ज़िन्दिगी से खिलवाड़ करने से भी नहीं हिचकिचाती।
ऐसी ही अपराधी व विकृत मानसिकता की एक लड़की पर आरोप है कि उसने पिछले दिनों चंडीगढ़ से 24 किलोमीटर दूर चंडीगढ़-लुधियाना राजमार्ग पर घंडुआ क़स्बे में स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी नामक एक निजी विश्व विद्यालय में लड़कियों के छात्रावास के बाथरूम में नहाते समय कथित तौर पर अपनी लगभग 60 साथी छात्राओं का गुप्त रूप से वीडियो बनाया था। छात्रा पर आरोप है कि उसने ऐसे आपत्तिजनक वीडियो बनाकर उन्हें अपने किसी युवक मित्र को शिमला भेज दिया। और उस लड़के ने कथित तौर पर इनमें से कुछ आपत्तिजनक वीडियो इंटरनेट के माध्यम से वायरल कर दीं। यह वीडियो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय के छात्र व छात्राएं ग़ुस्से में सड़कों पर उतर आये प्रदर्शन के दौरान कई लड़कियों के बेहोश होने की ख़बरें आईं। "हॉस्टल के अंदर काफ़ी तोड़फोड़ हुई और अभियुक्त लड़की को इसी विश्वविद्यालय से व उसके मित्र सहित एक अन्य लड़के को शिमला से गिरफ़्तार कर लिया गया है । यह दोनों ही अभियुक्त रोहड़ू (हिमाचल प्रदेश ) के रहने वाले बताये जा रहे हैं। इस घटनाक्रम में कुछ पीड़ित छात्राओं द्वारा आत्म हत्या किये जाने की भी अपुष्ट व भ्रामक ख़बरें आई थीं। परन्तु पुलिस व विश्वविद्यालय प्रशासन ने आत्म हत्या किये जाने की ख़बरों को महज़ अफ़वाह बताया। घटना की जांच हेतु पंजाब पुलिस ने तीन सदस्यों की महिला टीम गठित की है। परन्तु इस घटना के बाद छात्राएं ख़ुद को असुरक्षित ज़रूर महसूस कर रही हैं और चाहती हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी सुरक्षा के कड़े क़दम उठाए। घटना से क्षुब्द कई अभिभावक अपने बच्चों को छात्रावास से वापस बुला रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि विश्वविद्यालय में हालात सुधरने पर उन्हें वापस भेज दिया जायेगा। उधर इस मामले के सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी में छुट्टी भी कर दी गई है।
इस विषय पर प्रशासनिक व क़ानूनी कार्रवाई से अलग चिंतन करने का जो सबसे बड़ा विषय है वह यह कि अपने अपने घरों में मिलने वाले पारिवारिक सुख चैन को छोड़कर परिजनों से दूर छात्रावास में रहकर अपने उज्जवल भविष्य के सपने संजोने वाली इन युवतियों से विश्वासघात करने व उनके जीवन व भविष्य से खिलवाड़ करने वाली भी एक छात्रा ही है। वह एक लड़की है न कि कोई लड़का ? ज़रा सोचिये यदि कोई पुरुष चोरी-छुपे इस तरह बाथरूम में स्नान करती हुई लड़कियों के वीडीओ बनाता तो यह कहा जाता कि यह पुरुषों की 'वासनावादी सोच' का नतीजा है। पुरुष तो होते ही ऐसे हैं,आदि आदि। परन्तु जब एक विश्वविद्यालय की एक छात्रा ही इतनी गन्दी व घटिया सोच के साथ छात्राओं के बीच रह रही है और न केवल उनकी आपत्तिजनक वीडीओ बनाती है बल्कि उन्हें अपने ब्वॉय फ़्रेंड को भेजकर उन्हें वायरल करवाने की भी भागीदार बनती है,ऐसी विकृत मानसिकता रखने वाली लड़की से उसके शेष जीवन में क्या उम्मीद की जा सकती है। उसकी इस शर्मनाक हरकत से न केवल पीड़ित लड़कियों को सारी उम्र शर्मिन्दिगी उठानी पड़ेगी बल्कि अपनी इस 'कारनामे' से अपराधी मानसिकता की इस अभियुक्त छात्रा ने स्वयं अपना जीवन भी दाग़दार बना डाला। उसने महिलाओं के प्रति अपना विश्वास हमेशा के लिये खो दिया। यह घटना उसके अपने भविष्य व चरित्र को भी हमेशा प्रभावित करेगी।
बहरहाल इस बेहद शर्मनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वास्तव में औरत की सबसे बड़ी दुश्मन औरत ही होती है। और साथ ही छात्रावास में रहकर पढ़ लिखकर अपने उज्जवल भविष्य के सपने देखने वाली बेटियों के सामने भी यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब बेटी ही हो जाये बेटी की दुश्मन,तब बेटी को कौन और बचाये ?