मानव जीवन का मूल्य क्या है ?

मानव जीवन सुख-दुःख, सफलता और असफलता का एक चक्र है। जीवन-चक्र में कभी-कभी अच्छे कार्य करने के बाबजूद लगातार असफलता ही मिलती रहती है।

पर सच्चाई यही है कि दुनिया का प्रत्येक मानव निरंतर सुख के ही तलाश में रहता है और इसे किसी भी तरह पूरा करना चाहता है | जीवन-ज्ञान, अस्तित्व-दर्शन ज्ञान, मानवीयता से भरा आचरण करने पर सुखी होने का मार्ग प्रशस्त करता है क्योंकि  इसमें ही सर्वसुख का आधार छिपा है | किंतु कड़वी सच्चाई यह है कि  लगातार दुःख और असफलता के चलते मनुष्य को घबराहट होने लगती है।  अंत में प्रश्न यह उठता है कि, जीवन मूल्य को पहचानने वाला भी कोई मिलेगा क्या ?

 इसके लिए भगवान बुद्ध के एक छोटे से मार्ग-दर्शन से इस बिषय को बखूबी समझा जा सकता है ।

हुआ यह कि, एक बार बहुत ही असमंजस में जूझ रहा एक मनुष्य ने भगवान बुद्ध से पूछा : जीवन का मूल्य क्या है ?

बुद्ध  नें उसे एक पत्थर (Stone) दिया

और कहा : जाओ और इस पत्थर का

मूल्य पता करके आओ , लेकिन ध्यान

रखना पत्थर को बेचना नहीं है I

 

वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

 

संतरे वाला चमकीले पत्थर को देख

कर बोला, "12 संतरे लेकर इस पत्थर को मुझे दे सकते हैं ।

फिर वहां से आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा,

"एक बोरी आलू लेकर इस पत्थर को मेरे पास छोड़ सकते हो"।

फिर वह व्यक्ति आगे एक सोना बेचने वाले के

पास गया, उसे पत्थर दिखाया और फिर उस सुनार

चमकीले पत्थर को देखकर बोला,  "50 लाख में ये पत्थर बेच सकते हो"l

फिर उस व्यक्ति के मना करने पर सुनार बोला "2 करोड़ में ये पत्थर खरीद सकता हूं  लेकिन उस व्यक्ति नें दो करोड़ में भी उस पत्थर को न बेचने पर कहा कि अब तुम ही बताओ इस पत्थर की क्या कीमत चाहते हो, मैं इसकी  कीमत जो माँगोगे वह दूँगा..।

उस आदमी ने फिर सुनार से कहा मेरे गुरू

 ने इसे बेचने से मना किया है l

फिर वह व्यक्ति आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे पत्थर दिखाया l

जौहरी ने जब उस बेशकीमती पत्थर को देखा, तो पहले उसने पत्थर के पास एक लाल कपड़ा बिछाया फिर उस बेशकीमती पत्थर की परिक्रमा लगाई, माथा टेका l

फिर जौहरी बोला, "कहाँ से लाया है ये बेशकीमती पत्थर ? सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती यह पत्थर तो बहुत मूल्यवान है l"

वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध  के पास आया l

अपने उपर बीती उपरोक्त समस्त घटनाक्रम को बताया और बोला,

"अब बताओ भगवान,

मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

 बुद्ध  बोले :

संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l

सब्जी वाले के पास गया उसने

इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l

आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई l

और जौहरी ने इसे "बेशकीमती" बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तू बेशक हीरा है..!!

लेकिन, सामने वाला तुम्हारी कीमत,

अपनी औकात – अपनी जानकारी –  अपनी हैसियत से लगाएगा।

घबराओ मत दुनिया में..

पहचानने वाले भी मिल जायेगे। जीवन का मूल्य भी पता चल जायेगा । जीवन एक अनमोल बेशकीमती हीरा है, इसे यूं ही व्यर्थ न गवाएं।

 

Respect Yourself,

We all are very Unique..