मोदी विरोध में पूरी के शंकराचार्य का अयोध्या जाने से इनकार
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
पीएम नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तो क्या मैं बैठकर ताली बजाऊंगा ? कहना यह कहना पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का है। नरेंद्र मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का संपन्न होना निश्चलानंद सरस्वती धर्म के खिलाफ मानते हैं। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या जाने से भी किया इनकार ।
इसी तरह की भाषा निश्चलानंद सरस्वती और स्वरूपानंद सरस्वती के गुरु करपात्री महाराज ने सरदार पटेल को दिया था और उन्होंने भी सोमनाथ मंदिर के प पुनर्निर्माण प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार कर दिया था। करपात्री महाराज की सोच थी की मंदिर में जाने का अधिकार सिर्फ उन्हीं की जाति को है ,बीएचयू में पढ़ने के अधिकार सिर्फ उन्हें की जाति को है, जबकि करपात्री महाराज की इस सोच के खिलाफ संघ और मदन मदन मोहन मालवीय थे । संघ और मदन मोहन मालवीय का कहना था कि सभी हिंदू एक हैं , सभी हिंदू बराबर हैं, इसलिए मंदिरों में सभी हिंदुओं का जाना समानता का अधिकार है , इससे किसी भी हिंदू को वंचित नहीं किया जा सकता है।
राम मंदिर की लड़ाई कोई निश्चलानंद सरस्वती या स्वरूपानंद सरस्वती ने नहीं लड़ी थी और न हीं स्वरूपा नंद सरस्वती की मृत्यु के बाद शंकराचार्य के पीठ पर विराजमान तथा कथित शंकराचारयों ने लड़ी थी । राम मंदिर की लड़ाई भाजपा और संघ ने लड़ी थी ,हजारों बलिदान संघ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने दी थी सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का प्रश्न राष्ट्रीयता के साथ जोड़कर मोदी सरकार ने मजबूती के साथ रखा था ,जिसके आधार पर राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया । भव्य मंदिर बनाने का पराक्रम विश्व हिंदू परिषद का है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के माध्यम से भारत को एक विश्व शक्ति बनाने की कोशिश को सफलता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं । जनमानस खुश है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नरेंद्र मोदी जी के हाथों संपन्न हो रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निश्चलानंद सरस्वती अयोध्या जाएं अथवा ना जाए पर राम मंदिर का भव्य प्राण प्रतिष्ठा नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न होगा और इसे दुनिया गर्व के साथ दिखेगी, सनातन विजय की का वैभव पूरी दुनिया में फैलेगा।