चाटुकारिता या ख़ुशामद परस्ती का हमारे भारतीय समाज के एक वर्ग से गहरा नाता है। इस 'कला ' में पारंगत लोग किसी का महिमामंडन व उसकी चापलूसी कर उसे ख़ुश करना चाहते हैं और इसके बदले कुछ हासिल कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। और अपनी तारीफ़ सुनने वाला व्यक्ति अपनी इस 'झूठी तारीफ़' के बदले में प्रायः उसे उपकृत कर देता है। राजा महाराजाओं, नवाबों व बादशाहों के वक़्त से चला आ रहा यह सिलसिला आज भी जारी है। इसे दूसरे शब्दों में किसी को ख़ुश करने का 'शार्ट कट' भी कह सकते हैं। अंग्रेज़ों ने भी हम हिन्दुस्तानियों की इस 'दुखती रग ' को बख़ूबी पहचान लिया था। और वे भी देश के लाखों प्रभावशाली लोगों को अपने पक्ष में करने के लिये उन्हें राय बहादुर,ख़ान बहादुर जैसी अनेक उपाधियाँ दिया करते थे। इसके बदले में उनकी रियासतों के क्षेत्रफल में विस्तार हो जाता था। पदवी बढ़ जाती थी, माल -ो -दौलत में इज़ाफ़ा हुआ करता था।
आज स्वतंत्र व लोकतान्त्रिक भारत में भी वही स्थिति है। आधे अधूरे वे लोग जिन्हें अपनी योग्यता व अपने कौशल पर विश्वास नहीं वे अपने आक़ाओं को ख़ुश करने में लगे रहते हैं। याद कीजिये आपातकाल यानी 1975 का वह दौर जब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देव कांत बरुआ ने प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की प्रशंसा में कहा था कि -इंदिरा इज़ इंडिया एंड इंडिया इज़ इंदिरा यानी इंदिरा भारत हैं और भारत इंदिरा है। कांग्रेस के शासन में भी अनेक नेताओं की 'दुकानदारी ' ख़ुशामद परस्ती व चाटुकारिता के दम पर ही चला करती थी। आज भी देखने को मिलता है कि कहीं कहीं सोनिया गाँधी व ममता बनर्जी जैसे नेताओं के 'भक्त ' उन्हें देवियों के रूप में पेश करते रहे हैं। परन्तु वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौर में तो ऐसी अनगिनत मिसालें हैं जिसमें लोगों ने मोदी को न केवल देवताओं व भगवान का अवतार बताया बल्कि अब तो 'भगवान को मोदी' का भक्त तक बता दिया गया। पिछले दिनों भाजपा के बड़बोले प्रवक्ता संबित पात्रा ने जोकि उड़ीसा के पुरी लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी भी हैं,ने तो भगवान जगन्नाथ को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भक्त बता डाला'। कुछ टी वी चैनल्स को साक्षात्कार देते हुए पात्रा ने यह कह दिया कि, "भगवान जगन्नाथ, पीएम मोदी के भक्त हैं"। चुनावी बेला में उनके मुंह से यह निकलते ही अनेक प्रमुख विपक्षी नेताओं ने पात्रा की 'इस चरम चाटुकारिता ' को लपक लिया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बयान को ओडिया की 'अस्मिता' को चोट पहुंचाना बताया। पटनायक ने एक्स में लिखा, कि "महाप्रभु श्री जगन्नाथ ब्रह्मांड के भगवान हैं। महाप्रभु को किसी अन्य इंसान का 'भक्त' कहना भगवान का अपमान है। यह पूरी तरह से निंदनीय है।" इससे भावनाएं आहत हुई हैं और दुनिया भर में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों और उड़िया लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।" जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस टिप्पणी को लेकर एक्स में लिखा कि "जब प्रधानमंत्री ख़ुद को सम्राट समझें और भगवान उन्हें दरबारी लगने लगे तो साफ़ है कि पाप की लंका का पतन क़रीब है। करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार मुट्ठी भर भाजपाइयों को किसने दिया? यही अहंकार उनके विनाश का कारण बन रहा है।”दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये भाजपा नेताओं के "अहंकार" को दिखाता है। केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट किया, "मैं बीजेपी के इस बयान की कड़ी निंदा करता हूं। उन्होंने सोचना शुरू कर दिया है कि वे भगवान से ऊपर हैं। यह अहंकार की पराकाष्ठा है। भगवान को मोदी भक्त कहना भगवान का अपमान है।
उधर मौक़े की नज़ाकत को भांपते हुये और आगामी 25 मई को पुरी के अपने चुनाव के नफ़े नुक़सान के मद्देनज़र संबित पात्रा ने भी मुआफ़ी मांगने के लिये कोई शब्द भी बाक़ी नहीं छोड़े। पात्रा ने भगवान जगन्नाथ पर अपनी इस शर्मनाक व अतिविवादित टिप्पणी पर मुआफ़ी मांगते हुये कहा कि वह अपनी 'जुबान फिसलने' के लिए माफ़ी मांगते हैं और वह भगवान से क्षमा प्रायश्चित करने के लिए अगले 3 दिनों तक उपवास रखेंगे। उन्होंने एक्स पर इसी आशय का एक वीडियो शेयर कर भगवान जगन्नाथ को लेकर की गयी अपनी ग़लत टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगते हुये लिखा कि "आज मैं भगवान जगन्नाथ के संबंध में की गई अपनी ग़लती से बहुत परेशान हूं। मैं भगवान जगन्नाथ के चरणों में सिर झुकाकर माफ़ी मांगता हूं। अपनी ग़लती का प्रायश्चित करने और पश्चाताप करने के लिए मैं अगले तीन दिनों तक उपवास रखूंगा।" यही संबित पात्रा कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के साथ एक टी वी डिबेट के दौरान मोदी को 'अपना बाप' भी कह चुके हैं। यही बदज़ुबान पात्रा एक टी वी डिबेट में आचार्य प्रमोद कृष्ण जो इत्तेफ़ाक़ से अब भाजपा में शरण ले चुके हैं उन्हें ठग और पाखण्डी संत बोल चुके हैं।
मोदी की शान में चरम चाटुकारिता करने वालों की सूची बहुत लम्बी है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव व विश्व हिन्दू परिषद नेता चंपत राय भी प्रधानमंत्री को 'दिव्य शक्ति संपन्न' बताया चुके हैं। । चंपत राय ने राम मंदिर सहित राष्ट्र मंदिर निर्माण का श्रेय मोदी को देते हुए कहा था कि वह अति मानवीय और दिव्य योग्यताओं से युक्त हैं। चंपत राय ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भगवान विष्णु का अवतार बताया था । भाजपा का यह नारा बेवजह नहीं गढ़ा गया है कि 'जो राम को लाये हैं ,हम उनको लायेंगे'। इसी तरह मंडी लोकसभा प्रत्याशी व अभिनेत्री कंगना रनौत भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'भगवान विष्णु का ही अंश बताती हैं। कंगना के अनुसार नरेंद्र मोदी का नाम भी भगवान विष्णु के नाम पर है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि वह भी उनके ही अंश हैं, जो हमारा पालन कर रहे हैं'। हद तो तब हो गयी जब प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक प्रदर्शनी लगी थी जिसमें नरेंद्र मोदी को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया था। यहाँ मोदी @20 नाम के प्रोग्राम में मंच के पोडियम पर नरेंद्र मोदी के विष्णु अवतार रूप की चित्रकारी की गई थी जिसमें मोदी के 12 हाथ बनाए गए थे। गोया शिक्षण संस्थानों में भी इस तरह की अंधभक्ति फैलाने की कोशिश की गयी ? हालांकि मोदी को भगवान विष्णु का अवतार बताये जाने पर शिव सेना नेता संजय राउत का कहना है कि-'अंधभक्त, मोदी को विष्णु का 13वां अवतार मानते हैं। अगर ऐसा है तो मोदी ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर पर लोकसभा का चुनाव करा कर देख लें, 33 करोड़ देवी-देवता भी उन्हें हार से बचा नहीं सकेंगे।' परन्तु इन चुनौतयों को स्वीकार करने से इतर जयकारे और ज़िंदाबाद के गगनचुम्बी नारे लगाने वाले हमारे देश में नेताओं की चाटुकारिता अपने चरम पर है।