अध्यात्म के पुंज : स्वामी विवेकानन्द

(12 जनवरी, युवा दिवस)
 

विश्व धर्म मंच के, केन्द्रीय पुरूष हे ।

सहिष्णुता के देवल, दिव्य मनुज हे ।।


वेद-ऋचा मन में, सत्य भाव उर में

संतत्व से पूरित, ओज वाणी स्वर में

मातृ साधना के, महा तपस्वी हे।


“उत्तिष्ठत् जाग्रत” के, अलख जगाने वाले

“वसुधैव कुटुम्बकम्” के, प्रेरणा देने वाले

“दरिद्र देवो भव” के, पथ प्रदर्शक हे।

धर्म होकर तर्क थे, भक्ति में थे ज्ञान

सम्पूर्ण संस्कृति-सार, संतसूर सुजान

सप्तर्षि के महर्षि, पुराण-पुरूष हे ।

 

तव भाव उर में रख के, श्रद्धा-सुमन है अर्पित

धन्य-धन्य होगा जीवन, कर तन-मन समर्पित

अज्ञानतम नर उर के, प्रकाश-पुंज हे।


बुद्ध के शांति थे, महावीर के अहिंसा

चाणक्य के विवेक, परमहंस के साधना

दिक्-दिगन्त में वंदित, दैदीप्य मनुज हे ।


तव ओज वाणी सुनकर, भावुक मन हो जाते

अयस्क स्वर्ण बनते, स्पर्श दिव्य पा के

सहस्त्र शिष्य बन गये, निवेदिता सम हे।

 

                                      – रतन चंद्र जायसवाल