एस. पी. मित्तल
केरल के वायनाड से निर्वाचित होने के बाद 27 नवंबर को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने लोकसभा में सांसद पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण करते वक्त प्रियंका ने अपने हाथ में संविधान की प्रति भी ले रखी थी। प्रियंका गांधी के भाई और कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी भी सार्वजनिक सभाओं में संविधान की पुस्तक को दिखाते हैं। दोनों भाई बहन का कहना है कि इन दिनों संविधान को खतरा है। वे संविधान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर संविधान को खतरा कौन पहुंचा रहा है? संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ, लेकिन 29 नवंबर तक संसद के दोनों संसद एक दिन भी भी नहीं चल पाए।
जिस संविधान से संसद चलती है, उसी संसद में राहुल और प्रियंका वाली कांग्रेस के सांसद हंगामा कर रहे हैं। लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ प्रातः 11 बजे आकर सदन की शुरुआत तो करते हैं, लेकिन कांग्रेस के सांसदों के कारण सदन की कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित करनी पड़ती है। राहुल और प्रियंका जब संविधान को बचाने की बात कर रहे हैं तो फिर संसद को चलने क्यों नहीं दिया जा रहा है? क्या संसद में हंगामा करना संविधान को खतरे में डालना नहीं है? भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यदि संसद को न चलने दिया जाए तो इसे संविधान को बंधक बनाना माना जाएगा। संविधान की रक्षा तो तभी होगी, जब संसद में जनहित के मुद्दों पर चर्चा हो। सरकार की ओर से बार बार कह जा रहा है कि वह विपक्ष द्वारा बताए हर मुद्दे पर बहस करने को तैयार है, लेकिन फिर भी कांग्रेस और उसके सहयोगी दल संसद को चलने नहीं दे रहे है।