केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इतिहास का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पृष्ठ पलटकर सारे देश को दिखा दिया है। उन्होंने ‘केरल हिंदू आॅफ नार्थ अमेरिका’ नामक संस्था को संबोधित करते हुए कहा कि प्रसिद्ध मुस्लिम नेता और बड़े चिंतक सर सय्यद अहमद खान ने अब से लगभग डेढ़ सौ साल पहले आर्यसमाज की एक सभा में यह बात दो-टूक शैली में कही थी कि उन्हें अपने आप को हिंदू कहने में जरा भी संकोच नहीं है। उन्होंने सभी श्रोताओं से कहा कि आप चाहें तो मुझे हिंदू ही कहें, क्योंकि जो आदमी भारत में पैदा हुआ है, जो व्यक्ति यहां का अन्न खाता है और यहां की नदियों का पानी पीता है, वह हिंदू नहीं है तो कौन है? उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द का धार्मिक अर्थ निकालना गलत है।
हिंदू शब्द तो शुद्ध भौगोलिक है। हिंदू शब्द की व्याख्या करते हुए यही बात मैंने अपने ग्रंथ ‘‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’’ में विस्तार से प्रतिपादित की है। सच्चाई तो यह है कि हिंदू या हिंदुत्व शब्द भारत के किसी भी धर्मग्रंथ में नहीं है। मैंने वेद, उपनिषद्, दर्शन ग्रंथ और पुराण ग्रंथ भी पढ़े हैं। इन सभी ग्रंथों में यहां तक की रामायण और महाभारत में भी हिंदू शब्द कहीं नहीं आया है। भारत के निवासियों के लिए प्रायः आर्य शब्द का ही प्रयोग होता रहा है। वास्तव में हिंदू शब्द का प्रयोग अरब और फारस के मुसलमानों ने पहली बार किया है। वास्तव में हिंदू शब्द के इस्तेमाल की उत्पत्ति हम खोजने लगें तो हमें यह मानना पड़ेगा कि यह इस्लामी शब्द है लेकिन इसका इस्लाम से कुछ लेना देना नहीं है। यह मजहबी नहीं, भौगोलिक शब्द है। हिंदू शब्द सिंधु से बना है। फारसी भाषा में ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ होता है। सिंधु को फारसी भाषा में ‘हिंदू’ कहते हैं। सिंधु नदी के इस पार जो लोग रहते हैं, उन्हें हिंदू कहा जाता है। यह हिंदू शब्द चीन में ‘इंदु’ बोला जाता है। मैं चीन के गांवों में जाता था तो चीनी लोग चीनी भाषा में कहते थे कि ‘मैं इंदू हूं’, क्योंकि मैं ‘इंद’ से आया हूं। एक बार मेरे साथ शांघाई में कुछ मुंबई के मुसलमान मित्र भी बाजार में घूम रहे थे। उन्हें भी चीनी लोग ‘इंदु रैन’ याने हिंदू आदमी ही बोल रहे थे। दूसरे शब्दों में हर भारतीय हिंदू ही है। उसे विदेशों में अलग-अलग उच्चारणों से जाना जाता है। उसे ‘हिंदी’, ‘हिंदवी’, ‘हून्दू’, ‘हन्दू’, ‘इंदू’, ‘इंडीज़’, या ‘इंडियन’ भी कह दिया जाता है।
मेरी इस हिंदू शब्द की व्याख्या को आरिफ भाई ने सर सय्यद की मोहर लगाकर और अधिक प्रामाणिक बना दिया है। स्वयं आरिफ भाई बड़े विद्वान नेता हैं। मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने पिछले दिनों कई बार इस कथन को दोहराया है कि हिंदू और मुसलमानों का डीएनए एक ही है। इसीलिए हमारी मुसलमान मोहम्मदी हिंदू हैं और हमारे ईसाई मसीही हिंदू हैं। यही भाव भारत की एकता को सबल बना सकता है। हमारे मुसलमानों और ईसाइयों को मैं इसीलिए दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मुसलमान और सर्वश्रेष्ठ ईसाई कहता हूं, क्योंकि उनकी रग-रग में हजारों वर्षों का भारतीय संस्कार जिंदा बहता है।