ड्रग माफियाओं तक नही पहुंच पा रहे बरसठी पुलिस के लंबे कानूनी हाथ,पुछल्लों को पकड़कर थपथपा रही अपनी पीठ
राकेश कुमार सिंह की कलम से
जौनपुर, उप्र। बरसठी थानाक्षेत्र इस समय ड्रग,गांजा और मादक पदार्थो का धंधा करने वालों के लिए सबसे मुफीद क्षेत्र बन गया है लेकिन बरसठी पुलिस इन सब मामलों से बिल्कुल अंजान बनी रहती है।जब कोई क्षेत्रीय जिम्मेदार व्यक्ति या मीडिया इस तरफ पुलिस का ध्यान आकृष्ट कराती है तो बरसठी पुलिस इस अवैध धंधों में शामिल दो एक पुछल्लों को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपाने लगती है, मीडिया में भी पुलिस की यह जाबांजी सुर्खियां बनती है।किंतु जो इस धंधे के घाघ मुखिया हैं वह विंदास होकर अपने अवैध मादक पदार्थो के धंधे को अंजाम देते हुए मोटी कमाई करते रहते हैं।जिसका नतीजा यह होता है कि इस नशे के लत में पड़े युवा नशा के लिए पैसे की व्यवस्था करने के लिए क्षेत्र में छोटी बड़ी चोरी की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं।जिसका परिणाम क्षेत्र की भोलीभाली जनता को उठाना पड़ता है।
ताजा मामला बरसठी थानाक्षेत्र के बारीगांव का है ।पिछले आठ जून को बारीगांव का एक जिम्मेदार नागरिक थाना पर आकर पुलिस से गुहार लगाता है कि हमारे गांव और बाजार में खुलेआम भोर्रा (ड्रग) गांजा और अवैध दारू जोरों से बिक रही है, क्षेत्र के युवा इस नशा के आदी होकर चोरी आदि जैसे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।क्षेत्र के युवाओं को इससे बचाया जाय ।मीडिया में भी यह बात प्रमुखता से दिखायी गयीं ,तब जाकर बरसठी पुलिस अपने कुम्भकर्णी नींद से उठी और बीते 21/22 जून की रात में गश्त के दौरान दो लोगों को 17 पुड़िया नशीला पदार्थ के साथ भैंसहा नहर की पुलिया के पास से गिरफ्तार कर जेल भेजकर अपनी पीठ थपथपाती है।यह बरसठी पुलिस के गुड वर्क में शुमार होता है।लेकिन क्षेत्रीय जनता पुलिस की इस तरह की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हुए यह जानना चाहती है कि क्या बरसठी पुलिस को यह नहीं मालूम था की उसके कार्यक्षेत्र बारीगांव और आसपास के क्षेत्रों में यह धंधा जोरो पर चल रहा है।तीन चार वर्ष पहले बरसठी पुलिस मुखबीर की सूचना पर ड्रग माफियाओं को गिरफ्तार करने बारीगांव गयी थी ,दबिश के दौरान ड्रग माफिया पुलिस टीम पर ही हमला कर दिये थे जिसमें कई पुलिस वालों को चोट भी आई थी,तब पुलिस टीम का बचाव करने थाना के समस्त होमगार्डो से लेकर सभी पुलिसकर्मियों को बारीगांव जाना पड़ा था तब जाकर ड्रग माफिया पकड़े गये थे और पुलिस की जान बची थी।तीन चार माह बाद सभी ड्रग माफिया जमानत पर छूटकर आने के बाद पूरी ताकत और सक्रियता से ड्रग के धंधे को आगे बढ़ाने में लग गये और फिर पूरा नेटवर्क तैयार कर लिये और स्थानीय तथा हल्का पुलिस को इसकी भनक तक नही लगी।यदि ऐसा है तो यह पुलिस और उसके सूचना तंत्र की सबसे बड़ी खामी है कि गांव की जनता और मीडिया पुलिस को क्षेत्र में हो रहे अवैध कारोबार के बारे में बताये तब पुलिस सक्रिय होगी।
दूसरा अहम प्रश्न यह है कि जो 17 पुड़िया नशीले पावडर के साथ दो लोगों को जिनमे एक मछलीशहर थानाक्षेत्र का दूसरा पवारा थानाक्षेत्र का निवासी था दोनों बरसठी थानाक्षेत्र में कब से स्मैक का धंधा कर रहे थे,बरसठी के बारीगांव का वह कौन सा माफिया है जो इनको पुड़िया बनाकर स्मैक की सप्लाई करने के लिये देता है या बाहर का वह कौन सा व्यक्ति है जो बरसठी में ड्रग सप्लाई कब से करा रहा है।जिसकी जानकारी बरसठी पुलिस को नही हो पाई है।क्या गिरफ्तार किये गये दोनों ड्रग सप्लायर पुलिस की पूछताछ में यह बताये की किसके संरक्षण और देखभाल में क्षेत्र में स्मैक का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है।
क्षेत्र के हर बाजार में खुलेआम गांजा की बिक्री हो रही है।यहांतक की चाय पान की गुमटी में भी गांजा और अन्य मादक पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहा है और बरसठी पुलिस के जिम्मेदार यह कहें कि उनकी जानकारी में नही है तो क्या जिले के पुलिस के आलाधिकारी और क्षेत्रीय जनता इस बात पर विश्वास करेगी।क्षेत्र में अवैध ढंग से चल रहे मादक पदार्थो की बिक्री में आबकारी विभाग भी कम जिम्मेदार नही है।आबकारी विभाग के जिम्मेदार और सिपाही समय समय पर क्षेत्र में आकर इन धंधों से जुड़े लोगों से अपने पहले से निर्धारित हिस्से का उत्कोच लेकर आंख मूंदकर चले जाते हैं।भले ही मोदी और योगी गला फाड़ फाड़कर चिल्लाये की न खाऊंगा और न किसी को खाने दूंगा।बरसठी पुलिस और आबकारी विभाग सरकार के इस दावे को सिर्फ जुमला साबित करने पर तुले हुए हैं कि आप खाओ या न खाओ ,हम तो खाएंगे भी और खिलाएंगे भी।
बरसठी की जनता नवागत पुलिस अधीक्षक से यह मांग कर रही है कि बरसठी में अनवरत रूप से चल रहे मादक पदार्थों की अवैध धंधों पर लगाम लगाते हुए इस धंधे को संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों की भी जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही करे जिससे क्षेत्र में फलफूल रहा मादक पदार्थों के धंधे पर रोक लग सके।