भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए उपरोक्त बातें चेतन स्वरूप रमैया जी महाराज ने भारत वार्ता से एक साक्षात्कार के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे विविधता वाला राष्ट्र है। पोशाक, भाषा शैली, देश अलग अलग सांस्कृतिक पहचान का सबसे जटिल मिश्रण हमारे देश में मिलता है। इस तरह के करीबी और सही तरीके से एक साथ बुनाई गई विभिन्न संस्कृतियों की बड़ी संख्या, भारत की विविधता को दुनिया के चमत्कारों में सबसे अनोखा और अलग बनाती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि प्राचीन व नवीन में सामंजस्य स्थापित कर, पुराने को बनाए रखने व नए विचारों को आत्मसात करने का सामर्थ्य होना। भारत सबसे अच्छा देश है क्योंकि जीवंत रंगों, लुभावने परिदृश्य और समृद्ध इतिहास की एक अनूठी भूमि, भारत किसी अन्य से अलग है। अपनी बात को अागे बढ़ाते हुए रमैया जी महाराज ने कहा कि भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है । भारत ने संसार को शून्य के आविष्कार से विश्व को अभिभूत किया है जिसके बिना किसी गणना कि कल्पना भी नहीं किया जा सकता है । शून्य के अतिरिक्त अन्य गणितीय संकल्पना पाई को भारत ने ही विश्व को दिया है। खगोलशास्त्र, ज्यामिति आदि में भारत ने विश्व को योगदान दिया है जिसे न तो झुठलाया जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है ।
आगे चेतन स्वरूप जी ने भारतीय संस्कृति की वर्ण विशेषता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारतीय संस्कृति में आश्रम – व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का विशिष्ट स्थान रहा है। वस्तुत: इन पुरुषार्थों ने ही भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता के साथ भौतिकता का एक अलग ढंग से संगम कर दिया। हमारी संस्कृति में जीवन के ऐहिक और पारलौकिक दोनों पहलुओं से धर्म को विशेष रूप से जोड़ा गया है।
रमैया जी भारतीय वैदिक संस्कृति के बारे में कहा कि भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारतीय संस्कृति का अद्भुत रूप सबसे पहले हमें वैदिक युग में प्राप्त होता है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी, सशक्त एवं जीवंत रही हैं, जिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति का अद्भुत समन्वय पाया जाता है।
आगे चेतन स्वरूप रमैया जी महाराज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, मेरा देश महान है और इसकी कई विशेषताएं हैं प्रथम, ध्यात्मिकता आध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति की सबसे प्रमुख विशेषता है। दूसरी, प्राचीनता एवं अविच्छिन्नता भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से है। तीसरा, साम्प्रदायिकता एकता और सहिष्णुता चौथा, वर्णाश्रम व्यवस्था पांचवां, खुली दृष्टि और ग्रहणशीलता षष्ठ, विधता में एकता सप्तम, समानता व कल्याणकारी आठवां, संयुक्त परिवार प्रणाली है जो हमें मोती की लड़ियों की तरह एक में पिरो के रखा है।
चेतन स्वरूप रमैया जी महाराज ने हमारी कमजाेरी जातिवाद के बारे में बताते हुए आगे कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों ने कई सदियों से अपनी ताकत से हमें जाितवाद में उलझाकर, लड़ाकर हमें गुलाम बनाया है। गुलाम होने के बावजूद भी यहां पर लोगों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। आज भी हमारे देश की मिट्टी की अत्यंत ही सुगंधित है, किसान आज भी खेतों में मेहनत करके धरती से सोना पैदा कर रहेे हैं किंतु हमें जातिवाद के मोहपास से मुक्त होना है वर्ना शत्रु हमारी कमजोरी का लाभ उठाते रहेंगे।
आगे रमैया जी महाराज ने सावरकर के हिंदुत्व के बारे में अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा कि‘’हिन्दू-राष्ट्र शब्द उस भू-भाग का बोध कराता है, जहां पवित्र हिमालय पर्वत है, जहां गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, ब्रह्मपुत्रादिक अनेक नदियां बह रहे हैं। जो अनेक अवतारों की जन्मभूमि है। जिसे अनेक धर्मगुरुओं ने पवित्र किया है। जहां अनेक वीर तथा वीरांगनाओं की गाथाएं हम सबके कानों में गूंज रही हैं।
वहीं , रमैया जी महाराज ने गुप्त साम्राज्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुप्त साम्राज्य के दौरान- लगभग 320 से 550 सीई तक- उस समये के राजाओं ने हिंदू धर्म को एक एकीकृत धर्म के रूप में इस्तेमाल किया और हिंदू शिक्षाओं को शामिल करने वाली शैक्षिक प्रणालियों को बढ़ावा देकर इसे लोकप्रिय बनाने में सहायता किया, इसके साथ ब्राह्मण वर्ग को हृदय खोलकर दान दिया।
अध्यात्म को बढ़ावा देने वाले रमैया जी महाराज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्र क्यों आवश्यक है? उन्होंने बताया कि भारत हमेशा एक संपन्न देश रहा है और हमेशा इस पर शत्रुओं ने अपनी कुदृष्टि हमारी शस्य-श्यामल धरती पर गड़ाये रखी है। यवनों, मुगलों और अंग्रेजों ने हम पर बहुत अत्याचार किये हैं, हम सबके पूर्वजों के साथ बहुत अन्याय हुआ कहीं मतीन दास को आरे से चीर दिया गया तो, कहीं गुरू तेग बहादुर के सर को चॉंदनी चौक में सर को धड़ से अलग कर दिया गया। मुगलों के हरम िहन्दू औरतो से पटी रहती थी। हमारे पूर्वजों ने न जाने कितने कष्ट सहकर अपने धर्म को संजोकर आज तक जीवित रखा हमें अपने पूर्वजों और अपने इस धर्म पर गर्व है।
अन्त में रमैया जी महाराज ने रक्तबीजों के बारे में बताया कि पूर्व तोड़क शक्तियाें के रक्तबीज अभी भी जीवित हैं वे अभी भी लगी हुई हैं हम सबको और हमारे देश को बर्बाद करने के लिए इसलिए हमें इसकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना होगा, यदि पूर विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं ऐसे में यदि एक देश हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा तो कौन सा कहर मच जाएगा?