उप्र। उत्तर प्रदेश के बहुत से तहसीलों व पुलिस स्टेशनों में बहुत ही भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है। तहसील हो या पुलिस स्टेशन पैसा कमाने का अड्डा बन गये हैं। ऐसे ही एक मामला मड़ियाहूं तहसील से आया है कि वहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को पूरा का पूरा शत-प्रतिशत रिपोर्ट फर्जी बनाकर दिया जा रहा है जिससे जौनपुर जिला व उत्तर प्रदेश की छवि खराब हो रही है।
इसी तरह बहुत से पुलिस स्टेशन में भी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक को फर्जी रिपोर्ट बनाकर दिया जा रहा है जिससे न केवल एतिहासिक शहर जौनपुर अपितु पूरे देश में उत्तर प्रदेश की भी छवि खराब हो रही है।
ऐसे ही एक मामला बरसठी पुलिस स्टेशन का आया था जहां का पूर्व एसएचओ श्याम दास वर्मा पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री उप्र को फर्जी भेज रहा था बाद में पकड़े जाने पर योगी जी ने उसकी दरोगई छिनवा ली।
आगे दूसरा मामला मड़ियाहूं तहसील के अंतर्गत ग्राम/पोस्ट परियत से आया है। जहां एसडीएम, तहसीलदार व पूर्व महाभ्रष्ट लेखपाल राम शिरोमणि प्रजापति 74 वर्षीय बुजुर्ग महिला को उसके अपने चहारदिवारी में गेट नहीं लगाने दे रहे हैं। जबकि विपक्षी अपनी जमीन में मकान बना लिया है और आगे की जमीन आबादी व आम रास्ता है। सोचिये, भ्रष्ट अधिकारियों ने पहले कहा कोर्ट से अनुतोष लो और जब अनुतोष ले लिया तब मुकदमा समाप्त होने की कापी दिखाओ जबकि ये आदेश सिविल कोर्ट ने अलग से उपरोक्त बुजुर्ग महिला को गेट लगवाने के लिए दिया है। एक प्रकार से देखा जाए तो उपरोक्त अधिकारियों के विरूद्ध कंटेम्प्ट आफ कोर्ट का मामला बनता है। लेकिन मड़ियाहूं के नायब तहसीलदार का कहना है कि ऐसे कंटेम्प्ट आफ कोर्ट हर सप्ताह हम लोगों के उपर आता रहता है हम इससे नहीं डरते हैं।
उपरोक्त मामले पर, गत वर्ष मड़ियाहूं का पूर्व एसडीएम संजय मिश्र चाहता तो उपरोक्त बुजुर्ग महिला का गेट लग जाता मगर उसने अपने भ्रष्ट लेखपाल रामशिरोमणि के कहने पर गेट नहीं लगवाने दिया और उसे अवैध करार दिया और उस 74 वर्षीय बुजुर्ग महिला को कोर्ट से अनुतोष लेने को कहा।
उपरोक्त बुजुर्ग महिला को सिविल कोर्ट से अनुतोष लेने के बाद भी सिविल कोर्ट के विरूद्ध वर्तमान एसडीएम आदि गलत रिपोर्ट लगाकर मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं।
पत्रकार असोसीएशन को पता चला तो पत्रकार संगठन ऐक्शन लेगा
यदि आइडियल जर्नलिस्ट असोसीएशन इस तरह के भ्रष्टाचार की पूरी तरह से निंदा करता है। यदि उपरोक्त तरह के कोई भी भ्रष्टाचार असोसीएशन का पता चला तो पत्रकार संगठन कठोर ऐक्शन का पक्षधर है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष, आइडियल जर्नलिस्ट असोशीऐशन
उपरोक्त तरह के भ्रष्टाचार पर आइडियल जर्नलिस्ट असोसीएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद वाचस्पति का कहना है कि झूठी रिपोर्ट बनाने वाले अधिकारियों को की खैर नहीं। इस तरह के भ्रष्ट अधिकारियों को पदमुक्त कराने के लिए आइडियल जर्नलिस्ट असोसीएशन किसी भी सीमा तक जाएगा।
अवधेश सिंह, अधिवक्ता (उच्चतम न्यायालय)
तहसील व पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता अवधेश सिंह का कहना है कि भ्रष्टाचार एक महामारी का रूप ले लिया है। हमें इस तरह के भ्रष्टाचार पर कड़ा रूख अपनाना होगा और हर एक भ्रष्टाचारी का पर्दाफाश करना होगा। हमें डटकर मुकाबला करेंगे व उन्हें बेनकाब करेंगे तभी हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पाएंगे। जनता के टैक्स से जीवन—यापन करने वाले अधिकारी जनता को ही अपना नौकर समझते हैं।
रविन्द्र कुमार द्विवेदी: कार्यकारी अध्यक्ष, हिमस
वहीं, हिन्दू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी का कहना है कि इस तरह का समाचार मुझे कई बार पढ़ने और जानने को मिला। मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को फर्जी रिपोर्ट देना बहुत ही संगीन मामला है। अतिशीघ्र जौनपुर के डीएम ने मामले को संज्ञान में लेकर फर्जी रिपोर्ट देने वाले मड़ियाहूं तहसील के पूर्व भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए पुन: जांच कराकर दोषियों को दंडित कराना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो दिल्ली से लेकर लखनऊ तक धरना-प्रदर्शन किया जाएगा दोनों जगह आंदोलन कर उपरोक्त अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने के लिए बाध्य कर दिया जाएगा।