कारगिल दिवस : हुतात्मा हुए वीर-जवानों को याद करने का दिन

     क्या आप जानते हैं कि हर साल क्यों मनाया जाता है कारगिल दिवस? 26 जुलाई 1999 को हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए सेना के तमाम जवानों और अधिकारियों के बलिदान के याद करते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। ज्ञात हो कि 5 मई 1999 को पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ी चोटियों मई से जुलाई महीने में युद्ध हुआ। युद्ध करीब 84 दिनों तक चला। 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ युद्ध आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ।26 जुलाई 1999 का वो दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन था, जब 25 साल पहले भारतीय वीर सपूतों ने पाकिस्तानियों को हराते हुए कारगिल की चोटी पर झंडा फहराया था। 26 जुलाई का दिनांक  इसीलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इस दिन ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) भी पूरी तरह सफल हुआ था। और, याद रहे कि यह जंग तब आरंभ हुई जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीरी आतंकवादियों के रूप में, नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। LOC विवादित कश्मीर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक सीमा का काम करती है।

     ज्ञात रहे कि कारगिल नाम दो शब्दों खार और र्किल से मिलकर बना है । खार का मतलब है महल और र्किल का मतलब है केंद्र, इस प्रकार यह महलों के बीच का स्थान है क्योंकि यह स्थान कई राज्यों के बीच स्थित है।

      जब-जब कारगिल युद्ध की जब भी चर्चा होगी तब कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम देशवासी बहुत ही गर्व के साथ लेंगे जिन्होंने चोटिल होने के बावजूद अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए पॉइंट 4875 कब्जा किया था, इस दौरान उनका नारा 'ये दिल मांगे मोर' खूब चर्चा में था।  उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। आज उनकी वीरता को हर देशवासी बहुत ही गर्व के साथ लेता है।

      सनद हो कि इस कारगिल की लड़ाई में तीन भारतीय रेजिमेंट : सिख, ग्रेनेडियर्स और नागा ने टाइगर हिल की लड़ाई में शेष पाकिस्तानी उत्तरी लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के तत्वों से बड़ी बहादुरी पूर्वक लड़ते हैं और, करीब 12 घंटे से अधिक चली इस लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने इस क्षेत्र पर फिर से कब्ज़ा कर लिया और वहां तिरंगा फहराने में सफल हुए।

      कारगिल युद्ध के तीन महीने के भयंकर लड़ाई में भारतीय तोपखाने ने 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान लगातार 2,50,000 से अधिक गोले, बम और रॉकेट दागे। लगभग 300 तोपों, मोर्टार और एमबीआरएल की रणनीतिक तैनाती ने प्रतिदिन लगभग 5,000 तोपों के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट दागे।

     26 जुलाई को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं मगर इस सन् 1999 के युद्ध में कम से कम 543 भारतीय सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया और चार को परमवीर चक्र प्राप्त हुआ।

     हम सब देशवासी कारगिल युद्ध में अपनी आहुति देकर सीमा की रक्षा करने वाले वीर जवानों को सच्चे हृदय से नमन करते हैं। हम सबको हमेशा ध्यान रहे, 26 जुलाई, वीर-जवानों को याद करने का दिन है।