गुलाबी अभियान से कांग्रेसियों के जुड़ाव की

गहलोत के गुलाबी अभियान की गुलाबियत का सवाल!
 

शोक गहलोत आजकल अपने अब तक के जीवन के सर्वाधिक सक्रिय स्वरूप में हैं। कब सोते हैं, कब जागते हैं, कोई नहीं जानता। राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार लाने का उनका सपना हैं। पूरा दारोमदार अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर हैं। प्रचार आक्रामक है और गुलाबी इश्तेहारों पर गहलोत की मुस्कुराती तस्वीर सचिन पायलट को छोड़, सबको लुभा रही है। मगर ये मुस्कुराहट आबाद रहेगी, यह सबसे बड़ा सवाल है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत का गुलाबी अभियान दम दिखा रहा है। महंगाई राहत कैंप के जरिए जनता तक पहुंच बढ़ रही है। दस योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति को दिए जाने की बात है। लेकिन कुछेक  जनप्रतिनिधि ही कहीं कहीं इस अभियान में सक्रिय हैं, ज्यादातर कांग्रेस और कांग्रेसियों का इस अभियान से गहरा जुड़ाव कहीं नजर नजर आता। महंगाई राहत कैंप का अभियान एक तरह से सिर्फ उन सरकारी अधिकारियों के भरोसे है, जो आचार संहिता के घोषित होते ही किसी और का हुकुम बजाने में लग जाएंगे। मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार से अधिकारियों का क्या लेना देना। हमारा लोकतंत्र संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र की मुश्किल यह है कि लोगों को हर बात लगातार याद दिलानी होती है। फिर लाभार्थियों को याद कौन दिलाएगा कि गहलोत ने उनका संसार संवारने की कोशिश की है, इसलिए समर्थन भी उन्हीं को देना है। कांग्रेसी ज्यादातर कन्नी काट रहे हैं, फिर भी अधिकारियों का जवाब है कि अभियान सरकारी है, सो उन्हें तो चलाना ही है।

ऐसे में कांग्रेस को सबसे पहले, अपने संगठन को संवारना होगा, कार्यकर्ता को कसना होगा और नेताओं को निजी जिम्मेदारियां सौंपनी होगी। कांग्रेस के लिए निश्चित तौर पर यह सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन लाभ लेनेवालों को वोट देने वाले व्यक्ति के रूप में तब्दील करने की कोशिश किये बिना फिर से कांग्रेस की सरकार को लाना आसान नहीं है। लोकतंत्र में वैसे भी चुनाव जीतना आप तौर पर बेहद मुश्किल होता है। फिर राजस्थान में तो हर पांच साल में बदलाव की बयार में अरमानों का बह जाना भी आम बात है। इसलिए कांग्रेस और कांग्रेसियों को जीत की जिद के साथ जुटना होगा। माना कि राजस्थान रंगों का प्रदेश है, लेकिन कार्यकर्ता ही अगर कोशिश ही नहीं करेंगे, तो गहलोत के गुलाबी अभियान के गुलाब की पंखुड़ियों का रंग भी आखिर कब तक गुलाबी रहेगा!