आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र सामने आ गया, चुनावी घोषणा पत्र को कांग्रेस ने न्याय पत्र का नाम दिया है। इसमें अस्वाभाविक कुछ भी नहीं है, सभी स्वाभाविक ही हैं, प्रत्याशित भी हैं, कांग्रेस का चरित्र चुनावी न्याय मित्र पत्र में साफ झलकता है। कांग्रेस का चरित्र क्या है? कांग्रेस का भूत और वर्तमान चरित्र एक ही समान है, वह है अति और कुख्यात तुष्टिकरण के साथ ही साथ घोर हिन्दू विरोध। कांग्रेस का तुष्टिकरण क्या है, किसके लिए है और किसके खिलाफ है? कांग्रेस का तुष्टिकरण के केन्द्र में मुस्लिम आबादी है, मुस्लिम आबादी के मजहबी और शरिया मामलों का समर्थन करने के लिए तुष्टिकरण कांग्रेस करती है और हिन्दुओं के खिलाफ तुष्टिकरण के माध्यम से जहर बोती है। ऐसी तुष्टिकरण की नीति कांग्रेस के अंदर आज की देन नहीं है, ऐसी तुष्टिकरण की नीति कांग्रेस के जन्मकाल से ही चली आ रही है। महात्मा गांधी का मुस्लिम प्रेम कौन नहीं जानता है? जवाहर लाल नेहरू ने तुष्टिकरण की सभी हदें पार की थी, संविधान में तुष्टिकरण की नीति अपनायी थी, मुस्लिम प्रेम संविधान में साफ झलकता है, मुस्लिम मजहबी कानूनों को संरक्षण दिया गया जबकि हिन्दुओं को धर्मनिरपेक्षता के जेल में कैद कर दिया गया। नेहरू कहते थे कि मैं गलती से हिन्दू धर्म में जन्म ले लिया हूं, मैं व्यवहार और दर्शन में मुस्लिम हूं, इस्लाम मेरा सर्वश्रेष्ठ धर्म है। इसी नीति इंदिरा गांधी भी चली, राजीव गांधी भी चले। अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी नेहरू की तुष्टिकरण से भी कई कदम आगे चल रहे हैं। अब यहां यह प्रश्न उठता है कि तुष्टिकरण से पूर्ण घोषणा पत्र लाने की जरूरत ही क्या थी? क्या इससे कांग्रेस को भारत की सत्ता प्राप्त हो जायेगी, नरेन्द्र मोदी परास्त हो जायेंगे? इस तरह के घोषणा पत्र का प्रभाव क्या होगा, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा पर अभी से ही इस पर तरह-तरह के आक्षेप, दुष्परिणामों की भाषा बह रही है। कांग्रेस की इस घोषणा पत्र को मौत का घोषणा पत्र कहा जा रहा है।
अपने घोषणा पत्र को न्याय पत्र का नाम देना कांग्रेस की बहुत बडी चालांकी ही नहीं बल्कि धतूर्ता भी है। न्याय का अर्थ सभी से होता है, न्याय निष्पक्ष होता है, न्याय निरपेक्ष होता है, न्याय किसी का साथ या किसी का विरोध में नहीं होता है, न्याय में तुष्टिकरण जैसी करतूत और भाषा का कोई अर्थ ही नहीं रखता है। क्या कांग्रेस के न्याय पत्र में मुस्लिम तुष्टिकरण की बात नहीं है, मुस्लिम विशेषता को स्थापित करने की बात नहीं है, क्या मुस्लिमों की मजहबी नीति को धर्मनिरपेक्ष संविधान पर लादने की करतूत नहीं है? अगर हिन्दुओं और मुस्लिमों सहित सभी धर्म के लोगों के लिए समान अवसर और धार्मिक रूप से कोई भेदभाव नहीं करने का वायदा होता तो फिर कांग्रेस की घोषणा पत्र को न्या पत्र कहा जा सकता था? सही तो यही है कि सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीतिक पार्टियां न्याय की हत्या करती रही हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कांग्रेस अपने जन्म काल से ही हिन्दुओं के साथ अन्याय और उत्पीडन की नीतियां लादी है।
मुस्लिमों के लिए कैसे-कैसे वायदे किये गये हैं, कैसे-कैसे हिंसक मानसिकता का पोषण करने के वायदे किये गये हैं, यह देख कर आप भी दंग रह जायेगे। कांग्रेस के घोषणा पत्र में खान पान की स्वतंत्रता की बात कही गयी है। खान-पान की स्वतंत्रता का सीधा अर्थ गौ हत्या से जुडा हुआ है। मुस्लिम आबादी कहती है कि उसके लिए सस्ता मांस और प्रोटीन युक्त मांस जरूरी है, इसलिए इस तरह के मांस के सेवन से उन्हें रोकना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। गौ हत्या को लेकर हिन्दुओं की भावनाओं को किस प्रकार से आहत की जाती है, यह स्पष्ट है। गौ हत्या को लेकर कांग्रेस का रूख और नजरिया हिंसक है और हिन्दुओं की भावनाओं के विपरीत है। इंदिरा गाध्ंाी की सरकार के दौरान गौ हत्या का प्रकरण तेज आंदोलन बना था और उस आंदोलन का संहार हिंसक रूप से इंदिरा गांधी ने की थी। करपात्री महराज हजारों साधुओं और गौ माता के साथ दिल्ली की संसद को घेर लिया था और गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग रखी थी। शांतिपूर्ण प्रदर्शन-आंदोलन पर इंदिरा गांधी ने सैनिक कार्रवाई की थी। इस सैनिक कार्रवाई में दस हजार से अधिक साधु मारे गये थे और गौ माता का खून बहा था। दिल्ली की सडके साधुओं और गौ माता के खूनों से लाल हो गयी थी। अब फिर सोनिया गांधी-राहुल गांधी मुस्लिम आबादी को खानपान के दायरे में गौ हत्या करने का अप्रत्यक्ष अधिकार देना चाहते हैं।
मुस्लिम आबादी को खुश रखने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 9 प्वाइंट लेकर आयी थी। संविधान के अनुच्छेद 15,16,25,29,20 और 30 में मुस्लिमों को मिलने वाले विशेष संरक्षण के अधिकार का कांग्रेस आदर करेगी, समर्थन देगी और बढावा भी देगी। भाषा की दृष्टि से भी कांग्र्रेस मुस्लिम आबादी के साथ खडी रहेगी, यानी की कांग्रेस मुस्लिमो की मुगल भाषा उर्दू और विदेशी भाष अरबी-फारसी भाषा का विकास करेगी और संरक्षण देगी। सबसे बडा विवाद और हिंसा तथा टकराव संविधान के अनुच्छेद 15 के प्रति अति सक्रियता से उत्पन्न होगा। संविधान के अनुच्छेद 15 का नियम कहता है कि जाति, धर्म के आधार पर सार्वजनिक भौजनालयों, दुकानों, होटलों, मनोरंजन स्थलों , कुंओ, तलाब घरों और सडकों सहित पब्लिक प्रतिष्ठानों पर जाने से किसी भी भारतीय नागरिक को रोका नहीं जा सकता है। अगर इस नियम का पालन कांग्रेस करायेगी तो फिर किस प्रकार की हिंसक नीति उत्पन्न होगी, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। अगर कोई मुस्लिम अड जाये कि हिन्दू मंदिरों में जाने का उनका मौलिक अधिकार है तब स्थिति कैसी उत्पन्न होगी? इस संविधान अनिवार्यता का पालन खुद मुस्लिम आबादी कभी नहीं करती है। मस्जिद में मुस्लिम पुरूषों के साथ मुस्लिम महिलाएं नमाज नहीं पढ सकती है। इस मौलिक अधिकारों के उल्लंधन रोकने को लेकर कांग्रेस कभी भी कोई आवाज तक नहीं उठाती है। मुस्लिम महिलाआंें के साथ भेदभाव पर किसी कांग्रेसी से प्रश्न कीजिये, उनका उत्तर होगा कि आप संघी हैं।
कांग्रेस ने बुर्का कुप्रथा का समर्थन किया है। कांग्रेस का घोषणा पत्र कहता है कि वह बुर्का कुप्रथा का समर्थन करेगी, स्कूलों और कालेजों में बुर्का पहन कर मुस्लिम छात्राएं जा सकती हैं और उसका विरोध करने वालों को कानूनो का पाठ पढाया जायेगा। देश भर बुर्का कुप्रथा को लेकर आवाज उठी हैं, विरोध प्रदर्शन हुए हैं, स्कूलों-कालेजों में बुर्का पहन कर आने को लेकर आंतकवादी संगठन ने पीएफआई ने जिहाद का संचालन कर रहा है, बुर्काधारी मुस्लिम लडकियां सीधे तौर पर स्कूलों और कालेजों को इस्लामिक रंग में तब्दील करने की नीति पर चल रही है। इस बुर्का कुप्रथा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने तीन विशेष कानून लाये थे जो मुस्लिम आबादी से जुडे हुए हैं। उन तीनों कानूनों को नष्ट करने की बात भी कांग्रेस करती है। सीएए भी कांग्रेस नष्ट करेगी। हेट स्पीच पर हिन्दुओं की स्वतत्रता का दमन, न्यायपालिका में मुस्लिम जजों की प्राथमिकता आदि कई अन्य बातें भी कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में की है।
कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को मौत का घोषणा पत्र कहा जाना चाहिए, मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र कहा जाना चाहिए, जिन्ना का घोषणा पत्र कहा जाना चाहिए। ऐसी भाषा आजादी के पूर्व मुस्लिम लीग ही बोलती थी, जिन्ना ही बोलता था। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को देख कर कहा जा सकता है कि अभी भी कांग्रेस कम्युनिष्ट और मुस्लिम एक्टिविस्टों के मकडजाल से बाहर नहीं निकली है। अति मुस्लिम वाद से ही कांग्रेस आज अपनी सबसे बूरी स्थिति में पहुंच चुकी है। इस अति मुस्लिमवाद से जुडा हुआ घोषणा पत्र कांग्रेस के अंधरी सुंरग में ढकेल देगा।
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(ये लेखक के अपने निजी विचार हैं )