मामूली बारिश में शहर जलमग्न होना,व्यवस्था की नाकामी

         वर्षा ऋतु का सावन माह अपने शबाब पर है। देश के विभिन्न भागों में हलकी,तेज़ तो कहीं बहुत तेज़ बारिश के समाचार हैं। पिछले दिनों 10 -11 अगस्त को पंजाब,हिमाचल व हरियाणा के कई इलाक़ों में तेज़ बारिश हुई। इसी बारिश का प्रकोप हरियाणा के भी कई ज़िलों में देखने को मिला।परन्तु अम्बाला शहर में  11 अगस्त रविवार की सुबह और दोपहर में केवल दो दो घंटे की बारिश ने तो लगभग पूरे शहर को ही डुबो कर रख दिया। न तो बारिश इतनी ज़्यादा हुई व इतनी देर तक चली न कहीं से बाढ़ का पानी आया। परन्तु पूरा शहर पानी पानी हो गया। शहर का दृश्य ऐसा था गोया सड़कें नदी दिखाई दे रही थीं । हज़ारों घरों व दुकानों में पानी भरा हुआ था। अनेक बाज़ार बंद थे । अनेक वाहन सड़कों पर पानी में फंसे हुए थे। लोगों का कारोबार चौपट था। हद तो यह है कि रेलवे लाइन पर भी पानी भरा था और उसे पंप द्वारा निकालने की कोशिश की जा रही थी। बारिश के मौसम में अम्बाला शहर के एक बड़े इलाक़े को अक्सर ही इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

       परन्तु सवाल यह है कि ऐसा क्यों और  शहरवासियों की यह दुर्दशा कब तक? और यह भी कि क्या इसके लिये सरकार व सम्बंधित व्यवस्था की कोई ज़िम्मेदारी भी है ? अम्बाला शहर में पिछले दस वर्षों से एक ही भाजपा विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। इन्हें मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में वर्ष 2022-23 में 14 वीं हरियाणा विधानसभा में हरियाणा के प्रथम सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में चुना गया था। यह विधायक प्रदेश के सभी 90 विधायकों में इसलिये भी प्रथम पाए गये थे क्योंकि वे सदन में जनहित के मुद्दे उठाते थे। शायद इसी योग्यता के चलते ही इन्हें वर्तमान नायब सिंह सरकार में मंत्री का पद भी मिल गया है । कुछ वर्ष पूर्व जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं को 'प्रधान सेवक ' कहलाने लगे थे उस समय इन विधायक जी ने भी अपने नाम में विधायक के स्थान पर  'नगर सेवक' लिखवाना शुरू कर दिया था।

      लिहाज़ा आज जब मात्र दो घंटे की बारिश में शहर में जल प्रलय हो जाता है तो लोगों का यह पूछना स्वभाविक है कि जिस विधानसभा क्षेत्र के जनहित के मुद्दे आप सदन में उठाते थे जिसके चलते आपको हरियाणा का प्रथम सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था वे मुद्दे आख़िर क्या थे ? उन मुद्दों में प्रत्येक वर्ष बारिश में शहर में जल प्रलय हो जाने जैसा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा भी था अथवा नहीं ? यदि था तो आपके दस वर्षों के शासन काल में इसमें क्या प्रगति हुई ? पार्क, तालाब आदि जो बन रहे थे वे भी आधे अधूरे हैं। पूरे शहर जाम हैं व अभी से टूटने भी लगे हैं। इसी बारिश के पहले विधायक जी की टीम ने एक वीडियो वायरल की जिसमें दिखाई दिया कि मंत्री जी स्वयं नाले की सफ़ाई का निरीक्षण कर रहे हैं और सफ़ाई कर्मियों को सख़्त निर्देश दे रहे हैं। उस वीडिओ को देखकर ऐसा लगा कि शायद इस बार विधायक जी के मंत्री बन जाने के बाद नगर वासियों को बरसाती जलप्रलय रुपी नर्क से मुक्ति मिल जाएगी। परन्तु इस बार तो केवल दो घंटे में ही पूरा शहर पानी पानी हो गया ?

      विधायक जी के हाथों से उद्घाटन किया हुआ सिटी रेल स्टेशन के साथ लगता सबसे व्यस्त रेल अंडरपास भी है। इसे विधायक जी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर पिछले साल ही उद्घाटित किया था। यह रेल अंडरपास बरसात में स्वीमिंग पूल बना रहता है। यहीं नहीं बल्कि बारिश में शहर के तीनों अंडर पास तालाब बन जाते हैं। गोया न ही अंडर पास के पानी की व्यवस्थित निकासी है न ही शहर के मुख्य नालों  व नालियों की। परन्तु आपको विकास कार्य पूरे वर्ष होते दिखाई देगा। विकास कैसा ? कहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ चौक, तो कहीं एल ई डी की चमकदार रौशनी ,कहीं कुछ चौक पर लगी लाल बत्तियां तो कहीं चौक चौराहों पर स्टील द्वारा की गयी सजावटें। कुछ ही दिनों बाद लाल बत्तियां भी बंद और एल ई डी भी गुल। निर्माणाधीन पार्कों में लगी पत्थरों की क़ीमती जालियां अभी से टूटने लगी हैं। परन्तु इनसबसे जनता को क्या दिलचस्पी। अम्बाला शहर की जनता की सबसे बड़ी समस्या है शहरी जल भराव। और इससे निजात पाने का एकमात्र उपाय है जल निकासी व इसका सुचारु निष्पादन और इसके लिये कारगर,समुचित व भ्रष्टाचार मुक्त योजना।

     आज शहर के अधिकांश नाले न केवल जाम पड़े हैं बल्कि टूटे हुए भी हैं। कई जगह तो टूटे हुये नालों का लेवल साथ लगती कालोनियों की ज़मीन के बराबर है। परिणामस्वरूप नालों में ज़रा भी पानी ओवरफ़्लो होता है वह आगे बढ़ने के बजाये कॉलोनी में घुस आता है। शहर की सीवरेज व्यवस्था लगभग फ़ेल हो चुकी है। जगह जगह सीवर के मेन होल ओवर फ़्लो हैं। ओवर फ़्लो सीवर का गंदा व बदबूदार पानी कालोनियों में फैल रहा है। कई जगह तो सीवर के मेन होल के या तो ढक्कन टूट गए हैं या फिर पूरा मेन होल ही धंस गया है। ज़िला प्रशासन सहित इस व्यवस्था से सम्बंधित अधिकारियों को स्थानीय समाजसेवियों व पत्रकारों द्वारा कई बार इस दुर्व्यवस्था व बारिश में होने वाले संभावित जलप्रलय के प्रति सचेत भी किया गया। परन्तु नतीजा वही है जो लगभग हर साल बारिश में दिखाई देता है। इसी दुर्व्यवस्था के चलते हरियाणा की सबसे बड़ी कपड़ा मार्किट प्रभावित होती है। तमाम दुकानों में पानी भरने से करोड़ों का नुक़्सान हो जाता है। दुकानें बंद,ग्राहकों का आवागमन बंद,सड़कें  नदी बन जाती हैं। हद तो यह है कि ज़िलाधिकारी कार्यालय के चारों ओर कई कई दिन तक पानी भरा रहता है ,स्टेट बैंक की शहर की सबसे मुख्य ब्रांच में पानी घुसा रहता है ,नगर निगम के चौक जगाधरी गेट पर जलभराव ,धनाढ्यों व नव धनाढ्यों के रहने वाले कथित पॉश इलाक़े सेक्टर्स व मॉडल टाउन,इनको चौक,जंडली, प्रेम नगर, आदि सभी जगह पानी रुका रहता है। शुकुल कुंड रोड,बादशाही बाग़ ,सोनिया कॉलोनी,रणजीत नगर,महावीर नगर जैसे दर्जनों इलाक़े जलमग्न रहते हैं। लोगों के घरों के फ़र्नीचर और अनेक ज़रूरी सामान बरसाती पानी घुसने से ख़राब हो जाते हैं। लोगों का काम काज ठप्प हो जाता है। शहर में जब तक पानी की  निकासी न हो तब तक दुर्गन्ध का साम्राज्य रहता है। मामूली सी बारिश में शहर का जलमग्न हो जाना निःसंदेह केवल संबद्ध व्यवस्था की नाकामी का ही परिणाम है जो जनता भुगतने के लिये मजबूर रहती है। जनता को हर साल बारिश में होने वाली ऐसी परेशानियों के लिये किसी न किसी को ज़िम्मेदार तो ठहरना ही पड़ेगा ?