साहित्य

सुहागिन रात हो गई
जन्माष्टमी पर विशेष गीत गीत तुमसे तन-मन मिले प्राण प्रिय! सदा सुहागिन रात हो गई होंठ हिले तक नहीं लगा ज्यों जनम-जनम की ...
ऐ चांद ! मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना…
ऐ चांद ! मेरे महबूब से फ़क़्त इतना कहना... अब नहीं उठते हाथ दुआ के लिए तुम्हें पाने की ख़ातिर... हमने दिल की वीरानियों में दफ़न कर ...
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
कैफ़ियात मशहूर शायर कै़फ़ी आज़मी के सात काव्य संग्रहों का संकलन है, जिसमें इनकार, आख़िर-ए-शब, मसनवी, आवारा सजदे, इब्लीस की ...
साहित्य और समाज
साहित्य समाज का दर्पण है, समाज का प्रतिबिम्ब है, समाज का मार्गदर्शक है तथा समाज का लेखा-जोखा है. किसी भी ...
है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
ये राम की सरज़मीं हैं... उस राम की ,जिस पर हिन्दुस्तान को हमेशा नाज़ रहेगा... ये हमारी ख़ुशक़िस्मती है कि ये ...
आपको मुझसे क्यूँ मुहब्बत है
सारी दुनिया को इससे हैरत है, आपको मुझसे क्यूँ मुहब्बत है! दोस्ती का हुनर सिखाती है, कितनी दिलकश तेरी अदावत है!! झुठ को सच ...
देह प्रदर्शन का पर्याय बनते विज्ञापन
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी हिन्दी कविता की ये पंक्तियां पारंपरिक भारतीय समाज ...
हिंदुत्व पर करें पुनर्विचार – डाॅ. कैलाश वाजपेयी
समीक्षा-लेख डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का यह ग्रंथ समय-समय पर उनके द्वारा समाचार पत्रों में लिखे गए विभिन्न लेखों का संग्रह हैं। ...
कहाँ गई वे बोलियाँ ?
पिछले 50 साल में लगभग सवा दो सौ भारतीय बोलियाँ समाप्त हो गई हैं। 1961 में भारत में 1100 भाषाएँ ...