भारत की रक्षा क्रांति उड़ान भर रही है!

नरेन्द्र मोदी 

ल (29 अक्टूबर) का दिन भारत की रक्षा एवं एयरोस्पेस यात्रा में एक महत्वपूर्ण पल था, जब हमने स्पेन के राष्ट्रपति और मेरे मित्र श्री पेड्रो सांचेज के साथ वडोदरा में सी-295 विमान निर्माण परिसर का उद्घाटन किया।

हमारी कार्यान्वयन की गति आश्चर्यजनक रही है— आधारशिला रखे जाने से लेकर परिचालन सुविधा शुरू होने में सिर्फ दो वर्षों का समय! यह एक नई कार्य-संस्कृति और भारत के लोगों की क्षमताओं की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।

भारत की इस सफलता को आंकड़ों में देखा जा सकता है :

•रक्षा उत्पादन बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपये (2023-24) हो गया है।
•रक्षा निर्यात 2014 में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर आज 21,000 करोड़ रुपये हो गया है।
•सिर्फ 3 साल में 12,300 से ज्यादा वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया गया है।
•डीपीएसयू द्वारा घरेलू विक्रेताओं में 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया गया है।
•रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत उद्योग-आधारित नवाचार के लिए रखा गया है।
लेकिन आंकड़ों के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो सभी को खुशी प्रदान कर रही हैं।

संपूर्ण रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव हो रहा है:

1. विनिर्माण सफलता:

• स्वदेशी युद्धपोत हमारे जलक्षेत्र में गश्त कर रहे हैं
•भारत में निर्मित मिसाइलें हमारी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर रही हैं
•घरेलू स्तर पर निर्मित बुलेटप्रूफ जैकेट हमारे सैनिकों की रक्षा कर रही हैं
•हम रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहे हैं और रक्षा उपकरण निर्माता के रूप में शीर्ष स्थान पर आने के लिए भी काम कर रहा है

2. रणनीतिक अवसंरचना:

•उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में दो आधुनिक रक्षा गलियारों का निर्माण।

3. नवाचार पहल:

•iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) एक संपूर्ण स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बना रहा है।
•एमएसएमई रक्षा आपूर्ति शृंखला का अभिन्न अंग बन रहे हैं
•उद्योग-अकादमिक भागीदारी, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दे रही है

हमारी युवा शक्ति की ताकत और कौशल तथा सरकार के प्रयासों के कारण हम निम्नलिखित प्रभाव देख रहे हैं:

•आयात निर्भरता में कमी
•रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन
•युवाओं के लिए कौशल विकास
•रक्षा क्षेत्र में एमएसएमई को बढ़ावा मिल रहा है

एक समय वह था, जब हमारी सेनाओं को आवश्यक उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ता था; उससे लेकर आज के आत्मनिर्भरता के युग तक; यह एक ऐसी यात्रा है जिस पर हर भारतीय गर्व कर सकता है।

आह्वान:

हमारे युवाओं, स्टार्टअप्स, निर्माताओं और नवोन्मेषकों के लिए— भारत का रक्षा क्षेत्र आह्वान कर रहा है! इतिहास का हिस्सा बनने का यह आपका समय है। भारत को आपकी विशेषज्ञता एवं उत्साह की आवश्यकता है।

नवाचार के लिए दरवाजे खुले हैं, नीतियां सहायक हैं, और अवसर अभूतपूर्व हैं। हम सब मिलकर भारत को न केवल रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि रक्षा विनिर्माण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता भी बनेंगे।
आइए, हम सब मिलकर एक मजबूत, ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण करें!

(लेखक भारत के प्रधानमंत्री हैं)

Source : Kamal Sandesh

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