भूख,बर्बादी और हिंसा से तड़पेगा बांग्लादेश

राष्ट्र चिंतन

  आचार्य विष्णु श्रीहरि

 

      दिल्ली में मुझसे बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हस्र पर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने प्रश्न किया। मैंने इसका उत्तर बहुत ही नाखुश करने के तरीके से दिया। मैंने उनसे ही प्रश्न किया कि शेख हसीना का हस्र? शेख हसीना का हस्र कैसा? हस्र तो बांग्लादेश की शांति की हुई है, हस्र तो बांग्लादेश के विकास का हुआ है, हस्र तो बांग्लादेश के कपड़ा मार्केट का हुआ है, हस्र तो बांग्लादेश के लोकतंत्र का हुआ है, हस्र तो अमेरिका और ब्रिटेन के वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अभियान का हुआ है, हस्र तो संयुक्त राष्टसंघ के लोकतांत्रिक पद्धति का हुआ है, हस्र तो बांग्लादेश की भूखमरी के शिकार और कुपोषित लोगों का हुआ है, हस्र तो शिक्षा व्यवस्था का हुआ है, हस्र तो महिला स्वतंत्रता और विकास का हुआ है, हस्र तो आपदा प्रबंधन का हुआ है। यह कोई क्रांति नहीं है जिसका भ्रम मुस्लिम अतिवादी और मुस्लिम दुनिया के लोग फैला रहे हैं। यह सिर्फ और सिर्फ जिहादी इस्लाम की स्थापना की हिंसा है जो जमाते इस्लामी की करतूत है।

      वैश्विक दुनिया अब एक और विफल देश का सामना करेगी, अपने संसाधनों का दुरूपयोग बांग्लादेश जैसे विफल राष्टों के लोगो को जीवन रक्षक समस्याओं पर करेंगे। अभी हिंसक, भक्षक बन कर लोकतंत्र का गला घोटने वाले लोग कल दुनिया के सामने गरीबी और भूखमरी से बचाने की भीख मांगेगे और मानवता के प्रति कर्तव्य निर्वाह्न का सीख देंगे। यानी आज का हिंसंक और भक्षक बांग्लादेश का नागरिक कल अपने आप को प्रभावित होने का पात्र घोषित कर देंगे, ऐसा ही चरित्र दुनिया के मजहबी मुस्लिम आबादी का है।  दुनिया पहले से ही अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सूडान, सोमालिया, जैसे विफल देशों का सामना कर रही थी और अब बांग्लादेश के रूप मे एक नयी समस्या खडी हो गयी है। भारत के सामने आबादी आक्र्रमण के तौर पर बहुत बडा खतरा उत्पन्न हुआ है, लाखों मुस्लिम आबादी भारत में घुसपैठ करेंगे और भारतीय नागरिक बन कर भारत का लोकतंत्र समाप्त कर देंगे। भारत कितना सावधान रहेगा, यह कहना मुश्किल है। फिलहाल चीन और पाकिस्तान की नीतियों का डंका बज ही गया, उनके मंसूबे पूरे हो गये । अब चीन भारत को और भी आक्रामक ढंग से घेराबंदी करेगा, अपने जासूसी जहाजो से भारत की सामरिक परिस्थितियो की जासूसी करायेगा।

      अगर भारत पूरी तरह से सावधानी बरते, आत्मघाती मानवता नहीं दिखाये, अपनी तिजोरी बंद रखें तो फिर बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति क्या होगी? बांग्लादेश के लोगों के घरों का चुल्हा कैसे जलेगा, बांग्लादेश के भूख से तडपते हुए लोगों को रोटी कहां से मिलेगी? हर साल आने वाली बाढ और अन्य आपदाओं से लडने के लिए पैसे कहां से आयेंगे? विश्वविद्यालयों और स्कूलों को पैसा कहां से आयेगा? विदेशी आय का एक मात्र साधन कपडा मार्केंट अपनी शान कैसे स्थिर रख सकता है? गृहयुद्ध को शांत रखने के लिए अतिरिक्त धन कहां से आयेगा? क्या चीन और पाकिस्तान पैसा देगा, भूखमरी को थामेथा, विकास करायेगा और शांति स्थापित करायेगा? पाकिस्तान तो खुद भूखहर है, उसने खूद आतंकवाद के चक्कर में अपना लूटिया डूबा चुका है, दुनिया में कठोरा लेकर भीख मांग रहा है, उसे भीख नहीं मिल रही है, उसे सिर्फ और सिर्फ अपमान व शर्मिदंगी मिल रही है। चीन चन्ने के झांड पर चढा देता है, गुलाम बना लेता है, मोहरा बना लेता है, अपने दुश्मन देश से लडा देता है और फिर अपना हित साध लेता है, आर्थिक मदद करने के समय कन्न्ी काट लेता है, आखें मुंद लेता है, अपनी तिजोरी बंद कर देता है और संदेश दे देता है कि खुद के भाग्य-भरोसे लडों और अपना समाधान करो। श्रीलंका इसका उदाहरण है। श्रीलंका सिर्फ उदाहरण ही नहीं बल्कि भुक्तभोगी भी है और चीन का असली चेहरा भी देखा है। श्रीलंका ने भी भारत को आंख दिखाने की कोशिश की थी और भारत को बेमतलब चुनौती देने तथा सबक सिखाने की कूटनीति अपनायी थी। इस अहंकार में श्रीलंका ने चीन की गोद में बैठना स्वीकार कर लिया था और श्रीलंका की खुशफहमी हो गयी थी कि चीन उसकी अर्थव्यवस्था को संकट को दूर कर देगा, हमें भारत की तरह खूब पैसा देगा और हम चीनी पैसो पर जमकर मौज मस्ती करेंगे। चीन ने भी पासा फेंका जमकर कर्ज दिया और अपने कर्ज के जाल मंे फंसा दिया। चीन ने श्रीलंका के सामरिक स्थलों और मुख्य व्यापारिक जगहों पर कब्जा कर लिया। दुष्परिणाम बहुत ही भयानक हुआ, श्रीलंका दिवालिया हो गया। श्रीलंका के दिवालिया होते हुए चीन देख अपने उपर गर्व कर रहा था पर वह श्रीलंका को दिवालिया की स्थिति से बाहर निकालने के लिए आगे नहीं आया। भारत ने ही श्रीलंका को फिर आर्थिक मदद देकर और मानवीय सहायता देकर दिवालिया की स्थिति से बाहर निकाला। भारत ने अगर मानवीय सहायता नहीं की होती और आर्थिक मदद नहीं दी होती तो आज श्रीलंका के लोग भूखों मरने की स्थिति में होते और श्रीलंका का भविष्य अंधकारमय हो जाता।

      यह कोई अचानक नही हुआ है। यह आरक्षण से निकली हुई आग नहीं है। चीन और पाकिस्तान ने बहुत ही चालांकी से अपनी नीतियां आगे बढायी थी। चीन की खुन्नश थी कि बांग्लादेश ने चीनी कर्ज लेने से इनकार कर दिया था और चीन के एक मंत्री ने बयान दिया था कि चीन के कर्ज के जाल में जो देश फंसा वह बर्बाद हो गया। इसलिए बांग्लादेश को चीनी कर्ज और मदद नहीं चाहिए। भारत को दबाने और घेरने के लिए शेख हसीना सरकार का पतन जरूरी था। इसके लिए आरक्षण की समस्या तो एक अवसर था। जमाते इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी मोहरा बनी थी। जमाते इस्लामी पर शेख हसीना के पिता बंग बंधु शेख मिजुबर्रहमान की हत्या का आरोप है, बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में जमाते इस्लामी ने पाकिस्तान का साथ दिया था। शेख हसीना ने अपनी सरकार के दौरान जमाते इस्लामी के दर्जनों नेताओं को फांसी पर लटकवायी थी। फांसी लटकने वाले जमाते इस्लामी के नेताओं ने पाकिस्तान का साथ देकर अपने लोगों पर हिंसा बरपायी थी और महिलाओ के साथ बलातकार किये थे। इस कारण जमाते इस्लामी पहले से ही शेख हसीना से मुक्ति चाहती थी। बीएनपी के नेता खालिदा जिया सहित उनके हजारों समर्थक जेल में बंद थे। खालिदा जिया अपने शासन के दौरान पाकिस्तान का मोहरा थी और बांग्लादेश को जिहादी इस्लाम में बदलने की कोई कसर नहीं छोडी थी।

      छात्र आंदोलनकारी स्वतंत्र विचारधारा के भी नहीं थे। उनकी विचारधारा जमाते इस्लामी ही थी। छात्र शिविर संगठन ने जो आंदोलन का नेतृत्व किया वह किसी रूप में स्वतंत्र नहीं है। छात्र शिविर संगठन जमाते इस्लामी का ही छात्र संगठन है। जमाते इस्लामी की विचारधारा क्या है? उसकी विचारधारा इस्लाम है, तालिबान की संस्कृति है, आईएस की संस्कृति है, जिहाद है, काफिर की मानिसकता है। अभी  भी बांग्लादेश संवैधानिक स्तर पर इस्लामिक देश है पर जमाते इस्लामी को वर्तमान संवैधानिक स्थिति स्वीकार नहीं है। जमाते इस्लामी चाहती है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश मे इस्लामिक राज व्यवस्था कायम हो और बांग्लादेश इस्लाम का सशक्त प्रवक्ता बनें।

      बांग्लादेश के हिन्दुओं का क्या होगा? क्या बांग्लादेश के हिन्दुओं का कत्लेआम होगा, उन्हें इस्लाम स्वीकार करना ही पडेगा? भारत बांग्लादेश के हिन्दुओं को बचा नहीं सकता है। हिन्दुओं को बचाने के लिए भारत को बंाग्लादेश में सैनिक हस्तक्षेप करना होगा, जो संभव नहीं है। हिन्दुओं को जमाते इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के लोग जिंदा छोडेंगे नहीं। सैंकडों मंदिरों को आग में झोक कर स्वाहा कर दिया गया है, दर्जनो हिन्दुओं की हत्या हो चुकी है। संयुक्त राष्टसंघ ने हिन्दुओं की हत्याओ और हिन्दुओं के मंदिरों को जलाने पर कोई आवाज नहीं प्रकट की है, उनकी खामोशी यह बताती है कि संयुक्त राष्टसंघ सिर्फ आतंकवादियो और मुस्लिम देशाों तथा हिंसकों का गुलाम भर है। भारत सरकार की भूमिका क्या होनी चाहिए? भारत सरकार अपनी तिजोरी बंद रखें और अपनी सीमा सुरक्षित रखें, बांग्लादेश से होने वाले आबादी आक्रमन को रोके। फिर बांग्लादेश की स्थिति अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी बद्तर हो सकती है।

 

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