Author: निर्मल रानी

‘आधी आबादी’ को भी कुछ अपने लिये तय कर लेने दो

                                 दुनिया में कहीं भी जब महिलाओं की स्वतंत्रता या उनके अधिकारों की चर्चा छिड़ती है उस समय दुनिया ...

चुनाव पूर्व ‘पी एम’ व ‘सी एम’ का चेहरा घोषित करना कितना उचित ?

   भारतीय संविधान के अनुसार जो भी व्यक्ति चुनवोपरांत बहुमत प्राप्त संसदीय दल के सदस्यों द्वारा अपना नेता चुना जाता ...

पुरुष प्रधान समाज की वीभत्स कल्पना है भूतनी या चुड़ैल

     पिछले दिनों भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने देश की अनेक हस्तियों को देश के सबसे बड़े एवं ...

भ्रष्टाचार व कुप्रबंधन के चलते बारिश में डूबता हमारा देश

     भीषण गर्मी से त्राहिमाम कर रहे पश्चिमी उत्तर भारत लोगों  ने मानसून की आमद से निश्चित रूप से काफ़ी ...

टीकाकरण अभियान की सार्थकता को संदिग्ध करते ये विशिष्टजन

      कोरोना की पहली लहर के दौरान सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश अमेरिका से गत 14 मई को ...

बंगाल चुनाव और ‘महिला सशक्तीकरण’ के दावे ?

                                                                                                                        वैसे तो देश के असम ,केरल,पुदुचेरी,तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल जैसे पांच राज्यों में ताज़ातरीन विधान सभा चुनाव संपन्न हुए। ...

सुविधा के लिए जनता पर शुल्क तो असुविधा के लिए सरकार पर जुर्माना क्यों नहीं ?

                                    सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों में जनता को जो भी सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं कमोबेश प्रत्येक सुविधाओं ...

समाज के नैतिक पतन का प्रतीक है यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं

      संस्कार,संस्कृति,चरित्र और सदाचार की बढ़ चढ़ कर बातें करने वाले भारत वर्ष में लड़कियों के यौन शोषण ...

जनमत का अपमान करते ये “थाली के बैंगन “

                  राजस्थान की राजनीति में गत दिनों एक बार फिर स्वार्थी व सत्ता की घोर चाहत रखने वाली राजनीति का ...

उचित नहीं धार्मिक विषयों का राजनीतिकरण

                हमारे देश में राजनेताओं द्वारा लोकलुभावन राजनीति किए जाने की शैली ने राजनीति का स्तर इतना गिरा दिया है ...