संजय सक्सेना
आर्य समाज मंदिर का नाम सुनते ही एक धार्मिक संस्था की छवि सामने आती है,लेकिन अब ऐसा नहीं है। क्योंकि आर्य समाज मंदिर जैसे पवित्र संस्था पर भी कुछ अराजक तत्वों की नजर पड़ गई है।अब यहां शादी के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किये जाते हैं। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लिया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या उत्तर प्रदेश में फर्जी तरीके से चल रहे आर्य समाज मंदिर हिन्दू लड़कियों को बरगला कर शादी कराने के अडडे तो नहीं बनते जा रहे हैं। यह चिंताजनक है कि आर्य समाज मंदिर हिन्दू समाज की लड़कियों के लिये बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। यह कथित आर्य समाज मंदिर शादी के नकली दस्तावेज बनाने के अलावा यौन उत्पीड़न,मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी की साजिश में भी लिप्त पाये जाते रहे हैं, लेकिन कभी इसकी जांच नहीं हुई कि ऐसे कथित आर्य समाज मंदिर के पीछे कौन सी साजिशें काम कर रही हैं। अब यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने प्रयागराज में आर्य समाज नाम से संचालित संस्थाओं की विस्तृत जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से कहा है कि पता लगाया जाए कि विवाह कराने वाली ये संस्थाएं किस नाम और पते के साथ किन क्षेत्रों में संचालित हो रही है। किन क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं। उनके अध्यक्ष सचिव और पुरोहित जो शादी कराते हैं, उनके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की जाए। यह भी पता लगाया जाए कि घर से भागे हुए युवक-युवतियों से ये संस्थाएं किस प्रकार के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाने में इनका मददगार कौन है? लड़के-लड़कियों को कौन संरक्षण देता है? इन संस्थाओं के वित्तीय लेनदेन की भी जानकारी की जाए। संस्थाओं द्वारा शादी करवाने के लिए ली जाने वाली फीस (दक्षिणा) की जानकारी भी करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने मानसी व अन्य सहित 42 याचिकाओं पर अपर स्थायी अधिवक्ता ओपी सिंह को सुनकर दिया है। न्यायालय ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष अगली सुनवाई तिथि 25 सितंबर को प्रस्तुत करें। पुलिस आयुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी उपस्थित रह सकते हैं। याचीगण का कहना है कि उन्होंने परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की है वे बालिग हैं। जान को खतरा है। इसलिए उनकों सुरक्षा मुहैया कराई जाए। याची मानसी ने सिविल लाइंस में संचालित आर्य समाज संस्थान का विवाह प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है जो खुद को पंजीकृत संस्था बताते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ से संबंध होने का दावा करती है। कोर्ट ने कहा, सभी संस्थाएं पंजीकृत और आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ से संबंध होने का दावा करती है। पुलिस ने जब इन संस्थाओं द्वारा जारी प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया तो पता चला कि यह विवाह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। दस्तावेज, विशेष कर आधार कार्ड फर्जी पाए गए। शपथ पत्र भी फर्जी मिला। याचियों के नाम और पते गलत मिले। विवाह पंजीकरण अधिकारी इन्हीं फर्जी दस्तावेजों पर विवाह का पंजीकरण कर रहे है। कोर्ट ने कहा, ऐसे विवाहों से मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न तथा बंधुआ मजदूरी को बढ़ावा मिलता है। सामजिक असुरक्षा के कारण नाबालिग लड़कियां भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक सदमे का शिकर होती है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि वह स्वयं जांच की निगरानी करें।