सामान्यतः जब मटन को काट लिया जाता है, तब वह सामान्य परिस्थितियों में केवल छः घंटे ही बिना रेफ्रिजेरेशन के शुद्ध रह सकता है और यदि फ्रिज या बर्फ में रखा जाए तो दो दिनों तक सुरक्षित रह सकता है. मटन विक्रेताओं और कोल्ड स्टोरेज मालिकों/मैनेजरों के अनुसार कटे हुए मटन को दो दिनों के बाद फेंकना ही पड़ता है. लेकिन भारत के रक्षा अनुसन्धान की प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने इसका इलाज खोज निकाला है और एक ऐसे बैक्टीरिया का पता लगाया है जो मटन को एक सप्ताह से लेकर पन्द्रह दिनों तक एकदम ताजा रखेगा.
मैसूर स्थित डिफेन्स रिसर्च लेबोरेटरी (DFRL) ने अनार के छिलकों से एक विशेष द्रव्य तैयार किया है, जिसे कटे हुए माँस पर छिडकने अथवा उसका इंजेक्शन लगाने पर उस मटन में उत्पन्न होने वाले हानिकारक बैक्टीरिया का नाश होगा और उसे सड़ने से बचाया जा सकेगा ताकि मटन का प्राकृतिक स्वाद और सुगंध बरकरार रहेगी. DFRL के वैज्ञानिकों ने आगे बताया कि उनका रिसर्च मुख्यतः मटन को लेकर ही था, लेकिन अनार के छिलकों से तैयार होने वाले इस उपयोगी द्रव्य को चिकन एवं पोर्क (सूअर के माँस) को भी सुरक्षित रखने में उपयोग किया जा सकेगा. वर्तमान में मटन को सुरक्षित रखने के लिए रासायनिक परिरक्षकों का उपयोग किया जाता है, यह रसायन इस मटन को अधिकतम बीस से चौबीस घंटे ही शुद्ध रख पाते थे, उसके बाद उसमें सड़ने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है. भारत के सुदूर पहाड़ी, बर्फीले और समुद्री इलाकों में तैनात भारतीय सैनिकों को मैदानी इलाकों से भोजन के लिए मटन भेजा जाता है, लेकिन अक्सर वह उन्हें तुरंत ही खत्म करना होता है. कई बार लद्दाख, लेह, कारगिल, अंडमान जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भोजन सामग्री पहुँचाने वाले विमानों की उड़ान में देरी अथवा किसी अन्य कारण से सैनिकों को दिए जाने वाले मटन के खराब होने की नौबत आ जाती थी.
अब DRDO के इस शोध के बाद यह स्थिति नहीं नहीं आएगी. DFRL के प्रमुख वैज्ञानिक पीई पत्की ने बताया कि अनार का छिलका एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, और इससे उत्पन्न होने वाले “मित्र बैक्टीरिया” भोजन को सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं. ऐसे में यदि मटन पर इसका छिड़काव किया जाए तो न सिर्फ सैनिकों को रासायनिक अपशिष्ट से बचाया जा सकेगा, बल्कि भोज्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकेंगे. बर्फ अथवा कोल्ड स्टोरेज से बाहर रखने पर मटन में Escherichia coli, salmonella, campylobacter jenuni, Clostri-dium botulinum, Clostridium perfringens, जैसे कई हानिकारक बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो कि खाने वाले के लिए घातक होते हैं. इन बैक्टीरिया से सिरदर्द, पेटदर्द, डायरिया जैसी बीमारियाँ आम होती हैं. पत्की के अनुसार इनसे बचाव के लिए जो रसायन छिड़के जाते हैं, वे भी एक-दो दिन बाद घातक रूप ग्रहण कर लेते हैं. इसलिए ऐसे किसी खाद्य रक्षक की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो कि भोजन को लंबे समय तक शुद्ध और स्वादिष्ट बनाए रख सके.
अंततः DRDO के वैज्ञानिकों की मेहनत सफल हुई और अनार के छिलकों से एक विशेष द्रव्य बना लिया गया, जो गीले-सूखे सभी पदार्थों, विशेषकर मटन-चिकन को आराम से पूरा सप्ताह भर सुरक्षित रख सकता है.