बात सेना के बंकर को तोड़ने की नही , बात है सेना के मनोबल को तोड़ने की !!!
मेरी समझ से परे है कि कश्मीर के ज़हरीले तीर भारतीय तरकश में समाना ही नहीं चाहते तो फिर क्यों आखिर सेना को पत्थर खाने के लिये , गोली खाने के लिये सरहद पर तैनात कर रखा है ??? दे दो पाकिस्तान को कश्मीर , जिससे अपने बच्चे नहीं पले वो भला माँ बाप को पाल लेगा ???
दे दो कश्मीर पाकिस्तान को और साथ में उन लोगों को भी पाकिस्तान को सौंप दो जो भारत की सरज़मीं में पाक का नापाक झंडा जब तक अपने पिछवाड़े में डालकर लहराते है फिर उसके बाद जो पाकिस्तान का नारा लगाये उसे चीर कर चौहत्तर कर दो मगर सेना हाथ में बंदूक़ लेकर भी पिटे और पत्थर खाये , यह बर्दाश्त नही !!!
कूटनीति जाये भाड में मगर जिन सैनिको ने अपने परिवार की रोटी को छोडकर अपनी छातियों पर गोली खाने की आदत डाल ली है उन्हें यूँ अपमान का घूँट पीते नहीं देख सकते साहब !!! आप जिस आपसी सौहार्द की बातें करते हो वो सौहार्द सिर्फ़ सम्मेलनों तक ही सीमित है क्योंकि हक़ीक़त में तो समस्त ब्रह्मंड को इस्लाम के तहत एक कर देने का खुदाई फर्मान पूरा करना है !!!
महज़ एक गिरफ़्तारी के नाम पर एक बंकर का टूटना सेना की हार और अलगाववादियों की जीत है जिससे हिंदू पस्त और मुल्ला मस्त है और अगर सैनिकों की शहादत पर कश्मीर को पत्थर खाकर भी रखने की ज़िद है तो यह जिद कम से कम मुझे तो मंज़ूर नही !!! साले हमारे पैसों पर पलने वाले सूअर हमारे ही भाईयों को काटे , यह बर्दाश्त नही !!! दे दो कश्मीर फिर देखे तो पाक दिल्ली कब माँगता है ???
कोई शक ???
व्यथित ह्रदय से वंदेमातरम !!!
अमित जी के व्यथित हृदय से निकले शब्द
अमित आनंद के फेसबुक प्रोफाइल से