है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़

ये राम की सरज़मीं हैं… उस राम की ,जिस पर हिन्दुस्तान को हमेशा नाज़ रहेगा…

ये हमारी ख़ुशक़िस्मती है कि ये हमारी भी जन्मभूमि है, कर्मभूमि है…

 

बक़ौल अल्लामा इक़बाल-

लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द

सब फ़लसफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे-हिन्द

ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर

रिफ़अत में आस्मां से भी ऊंचा है बामे-हिन्द

इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त

मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़

अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द

एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है

यही रोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द

तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था

पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था…