… और अब सोनिया गांधी
बोफोर्स ने राजीव गांधी को ऐसा डुबाया कि वे जीते जी उससे उभर नहीं सके। अब अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकाप्टरों ने सोनिया गांधी का पीछा करना शुरु कर दिया है। कैसा दुःसंयोग है कि दोनों मामले इटली से जुड़े हैं। आक्तोविया क्वात्रोची भी इटली का था और अब 3600 करोड़ रु. के इस सौदे पर जो प्राणलेवा फैसला आया है, वह भी इटली की अदालत का है।
इटली से उठने वाले आरोप राजीव-सोनिया परिवार पर जरा जोर से चिपकते हैं। उन पर लोग आसानी से विश्वास करने लगते हैं। आज तक यह सिद्ध नहीं हुआ है कि बोफोर्स तोपों के सौदे में राजीव गांधी ने 62 करोड़ की रिश्वत खाई थी लेकिन जनता ने उन्हें उल्टा लटका दिया। इसी तरह मिलान की ऊंची अदालत ने यह तो कहा है कि एयर मार्शल एस.पी. त्यागी और उसके परिवारवालों ने रिश्वत खाई है लेकिन सोनिया गांधी ने रिश्वत खाई है, यह कहीं नहीं कहा। लेकिन सारे सौदे के पीछे सोनिया ही असली ताकत है और उस दस्तावेज में प्रणब मुखर्जी और अहमद पटेल के नाम भी आए हैं।
इन कांग्रेसी नेताओं के नाम इतालवी अदालत में उछले हैं तो यह मामला अब तूल पकड़े बिना नहीं रहेगा। जब यह मामला पहली बार उछला था तो मनमोहनसिंह सरकार ने डर के मारे इस सौदे को रद्द कर दिया था लेकिन यह काफी नहीं है। यदि यह नहीं उछलता तो बोफोर्स की तरह यह भी आया-गया हो जाता। यह कितनी दुखद बात है कि तत्कालीन रक्षामंत्री ए.के. एंटनी द्वारा रिश्वत की बात स्वीकार की जाने के बावजूद हमारी जांच एजेंसियां और अदालतें अभी तक सोई पड़ी हैं।
रिश्वत देने वालों को इटली सरकार ने सजा दे दी है और रिश्वत खाने वाले भारत में खुले घूम रहे हैं। यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। मोदी सरकार इस वादे पर बनी थी कि ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ लेकिन वह कर क्या रही है? संसद में सिर्फ हंगामा करने और नौटंकी रचाने से काम नहीं चलेगा। सोनिया को बदनाम करके भी आप क्या पा जाएंगे? कांग्रेस तो पहले ही अधमरी हो चुकी है। आप यदि भारत मां की पीठ में 250 करोड़ की रिश्वत का छुरा मारने वाले अपराधियों को पकड़ सकें, उनसे सारे पैसे उगलवा सकें और उन्हें कठोर सजा दिलवा सकें तो आप अपनी इज्जत बचा सकेंगे और शायद बढ़ा भी सकेंगे।