राष्ट्र के स्वास्थ्य को लेकर पिछले कुछ महीनों से सरकारी स्तर पर सक्रियता बढ़ी है। सरकार ने नई दवा नीति-2013 को लागू कर दिया है। सरकार दावा कर रही है कि नई दवा नीति लागू होने से दवाइयों के मूल्यों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। हालांकि कुछ संगठन एवं बुद्धिजीवी सरकार के दावों को सच नहीं मान रहे हैं। खैर, स्वास्थ्य चिंतन का मसला केवल सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। इसमें आम आदमी की भागीदारी जरूरी है। जब तक आप अपने स्वास्थ्य के बारे में चिंतित नहीं होंगे, सरकार की किसी भी योजना का लाभ आप तक नहीं पहुंच सकता। ऐसे में जरूरी है कि हम और आप स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें, अपने अधिकारों को जाने-समझे।
डॉक्टर-मरीज संवाद बहुत जरूरी
नई दवा-नीति लागू होने और 400 दवाइयों के नाम एसेन्शीयल मेडिसिन लिस्ट में आने भर से आम उपभोक्ताओं को लाभ मिल ही जायेगा, इसकी गारंटी अभी कोई नहीं दे सकता है, हाँ यह जरूर है कि आप जाग गए तो आपका ईलाज बेहतर हो सकता है। इसके लिए कुछ मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
दवा दुकानदार से सरकारी रेट लिस्ट मांगे
नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग ऑथोरिटी (एनपीपीए) के गाइडलाइंस के अनुसार प्रत्येक दवा दुकानदार के पास एसेंशियल मेडिसिन लिस्ट में शामिल दवाइयों के सरकारी मूल्य की सूची होनी चाहिए। प्रत्येक उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह दवा दुकानदारों से सरकारी रेट लिस्ट माँग सके। अगर आप इतनी-सी पहल कीजियेगा तो सरकार द्वारा तय मूल्य से ज्यादा एम.आर.पी की दवा आपको दुकानदार नहीं दे पायेगा। डॉक्टर भी महंगी दवाइयां लिखने से पहले कई बार सोचेंगे। तो अपने केमिस्ट से सरकारी दवा की मूल्य सूची जरूर माँगे।
साफ-साफ अक्षरों में दवाइयां लिखने के लिए डॉक्टर से कहें
आप यदि किसी डॉक्टर को शुल्क देकर अपना ईलाज करा रहे हैं तो यह आपका अधिकार है कि आप डॉक्टर से कह सके कि वह साफ-साफ अक्षरों में दवाइयों के नाम लिखे। साफ अक्षरों में लिखे दवाइयों के नाम से आपको दवा खरीदने से लेकर उसके बारे जानने-समझने में सुविधा होगी। केमिस्ट भी गलती से दूसरी दवा नहीं दे पायेगा। जिस फार्म्यूलेशन की दवा है, उसे आप एसेंशीयल मेडिसिन लिस्ट से मिला सकते हैं। ज्यादा एम.आर.पी होने पर आप इसकी शिकायत ड्रग इंस्पेक्टर से लेकर एनपीपीए तक को कर सकते हैं।
अपने डॉक्टर से कहें सबसे सस्ती दवा लिखें
जिस फार्म्यूलेशन का दवा आपको डॉक्टर साहब लिख रहे हैं, उसी फार्म्यूलेशन की सबसे सस्ता ब्रान्ड कौन-सा है, यह आप डॉक्टर से पूछे। केमिस्ट से भी आप सेम कम्पोजिशन की सबसे सस्ती दवा देने को कह सकते हैं। दवा लेने के बाद अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं। गौरतलब है कि डॉक्टरों पर सस्ती और जेनरिक नाम की दवाइयां लिखने के लिए सरकार कानून लाने की तैयारी कर रही है।
सेकेंड ओपेनियन जरूर लें
यदि किसी गंभीर बीमारी होने की पुष्टि आपका डॉक्टर करता हैं तो ईलाज शुरू कराने से पहले एक दो और डॉक्टरों से सलाह जरूर लें। कई बार गलत ईलाज हो जाने के कारण मरीज की जान तक चली जाती है।
एंटीबायोटिक दवाइयां बिना डॉक्टरी सलाह के न लें
बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन न करें। पहले आप कौन-कौन सी एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन कर चुके हैं, उसका विवरण डॉक्टर को जरूर दें। बिना जाँच के कि कौन-सी एंटीबायोटिक आपको सूट करेगी, एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सेहत के लिए नुक्सानदेह है। अगर आपका डॉक्टर कोई एंटीबायोटिक लिख रहा है तो उससे पूछिए की इसका क्या फंक्शन है। ध्यान रखिए कि डॉक्टर साहब आपके सेवक हैं, जिन्हें आप सेवा शुल्क दे रहे हैं। डॉक्टर और मरीज का संवाद बहुत जरूरी है।
मेडिकल हिस्ट्री जरूर माँगे
आप जहाँ भी ईलाज कराएं, ईलाज की पूरी फाइल संभाल कर रखें। यदि अस्पताल में आप भर्ती हैं तो डिस्चार्ज होते समय मेडिकल हिस्ट्री जरूर माँगे। इसको सम्भाल कर रखे। आपकी मेडिकल हिस्ट्री भविष्य में आपके ईलाज में बहुत सहायक साबित होगी।