इलेक्शन के दौरान नरेन्द्र मोदी भारतीय रेल में व्यापक सुधार लाने के जो बात किये थे, और देश में हाईस्पीड ट्रेन चलाने का जो वादा किये थे वह वादा अभी पूरा होने जा रहा है I अभी सफर के घंटे कम करने केलिये टेलगो जैसे हाईस्पीड ट्रेन देश में चलाने की काम शुरू हो चुका है I हाईस्पीड ट्रेन का पहला ट्रायल बरेली से मुरादाबाद के बीच पूरा हो गया है। दिल्ली-मुबंई के बीच टेलगो ट्रेन का अंतिम परीक्षण चल रहा है I रेलवे बोर्ड ने दिल्ली और मुम्बई स्टेशनों के बीच पड़ने वाले सभी रेलवे जोन को खत लिख कर हाईस्पीड ट्रेन चलने से पहले की सभी इंतजाम कर लेने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही टाइम टेबल भी जारी कर दिया है। ट्रायल सफल रहने पर इसके नियमित परिचालन का निर्णय रेलवे बोर्ड लेगा।
इससे पहले बरेली-मुरादाबाद और पलवल-मथुरा के बीच ट्रायल रन सफल रहा है। अलग-अलग स्पीड में अलग-अलग ट्रैक्स पर ट्रेन का ट्रायल करने का मकसद ट्रेन और ट्रैक्स के हर पहलू की जांच करना है। ट्रायल के ज़रिए ये साफ हो पाएगा कि मौजूदा ट्रैक्स पर टेलगो ट्रेन अपनी अधिकतम स्पीड में दौड़ सकती है या नहीं।
हाईस्पीड टेलगो ट्रेन के डब्ल्यूडीपी4 इंजन में 220 किमी स्पीड की क्षमता है। ट्रैक बेहतर हो तो 250 से लेकर 275 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इस ट्रेन को दौड़ाया जा सकता है।
एक टेलगो ट्रेन की कैपिसिटी 550 यात्रियों को ले जाने की होती है। कंपनी का दावा है कि इस ट्रेन में सफर के दौरान दूसरे ट्रेनों के मुकाबले यात्रियों को कंपन काफी कम महसूस होता है। साथ ही इससे होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी काफी कम होता है। टेलगो ट्रेन दूसरे ट्रेनों के मुकाबले काफी हल्की होती है, ऐसे में करीब 30 फीसदी बिजली की बचत होती है और चलाने का खर्च भी कम आता है।
ट्रेन में क्या है खास?
9 कोच वाली है टेलगो ट्रेन
स्पेन की यह ट्रेन 9 कोच वाली है। जिसमे एक कोच जनरेटर, एक रेस्टूरेंट कार के अलावा 5 सामान्य एसी चेयर कार और 2 एसी एक्सक्यूटिव क्लास कोच है। हर सामान्य कोच में 35 और एक्सक्यूटिव क्लास कोच में 26 यात्रियों के बैठने की सीट है।
सुविधाजनक डिब्बों से युक्त
टेलगो ट्रेन के डिब्बे में काफी जगह है। जगह ज्यादा होने की वजह से कोच की चेयर्स के बीच उचित दूरी है। जिससे यात्रियों को निकलने में सुविधा होती है। हाईस्पीड ट्रेन के कोच में बैठने के लिए एयरोप्लेन की तरह सीटें हैं तो वहीं सोने के लिए बेहद आरामदायक स्लीपर कोच भी हैं। इसके अलावा सामान रखने के लिए भी पर्याप्त जगह है।
लगे हैं लो फ्लोर कोच
टेलगो ट्रेन में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा गया है। ट्रेन में लो फ्लोर कोच लगे हुए हैं, जिससे यात्रियों को प्लेटफॉर्म से ट्रेन में चढ़ने-उतरने में काफी आसानी होती है। ये देखिए ट्रेन के रुकने पर जैसे ही कोच के दरवाज़े खुलते हैं। उसी समय नीचे से एक ऑटोमैटिक फूट स्टेप बाहर आ जाता है कि जिससे प्लेटफॉर्म और डिब्बे के बीच का गैप भर जाता है और हादसा होने की आशंका ख़त्म हो जाती है।
ट्रेन तकनीकी खूबियों से लैस है जो इस बेहतरीन, सुरक्षित और आरामदायक सफर का अहसास देती है। ट्रेन के कोच को बनाने में लाइटवेट कंस्ट्रक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। एल्युमिनियम से इसके कोच बने हैं।
कैसे जुड़े हैं दो कोच
टेलगो ट्रेन में दो डिब्बों को जोड़ने के लिए भी खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। दो कोचों को जोड़ने वाली इस तकनीक को आर्टिकुलेटेड यूनियन तकनीक कहा जाता है। इसकी वजह से दो कोचों के बीच गैप न के बराबर होता है।
पहिये भी अलग
जिन पहियों पर ये ट्रेन दौड़ती है वो भी औरों से अलग हैं। ट्रेन के पहियों में इंडिपेंडेंटे ब्हील और गाइडेड एक्सेल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक को काफी सुरक्षित माना जाता है और इससे ट्रेन हाइस्पीड में दौड़ने में भी सहूलियत होती है। इस टेलगो की एक और बेमिसाल तकनीक इसे बाकी ट्रेनों से अलग करती है वो है इसका वेरिएबल गेज सिस्टम। इस सिस्टम की खासियत ये है कि ट्रेन के पहियों को एक ऐसी खास तकनीक से बनाया गया है कि ये गेज के हिसाब से चौड़े हो सकते हैं और सिकुड़ भी सकते हैं।
टेलगो ट्रेन के तीन वर्जन हैं
टेलगो 350, टेलगो 250 और टेलगो 250 डूअल। भारत में टेलगो 21 वर्जन के कोच आए हैं। इस वर्जन की रफ्तार 160-200 किमी प्रतिघंटा हो सकती है। टेलगो के कोच काफी हल्के हैं। हालांकि एक कोच को बनाने की कीमत करोड़ों में हैं।
टैलगो के एक कोच की करीब 3.25 करोड़ रुपए है। बताया जाता है कि भारत में दौड़ने वाली टेलगो ट्रेन में एसी चेयर कार, एग्जीक्यूटिव चेयर कार और पावर कार होंगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि टेलगो ट्रेन सुविधा, सुरक्षा और स्पीड के मामले में बेमिसाल है। लिहाज़ा सबकी निगाहें इसके ट्रायल पर टिकी हैं।ट्रायल के नतीजों के बाद ही टेलगो ट्रेन का भारत में आगे का सफर तय होगा।
अलग से डाइनिंग कार
टेलगो ट्रेन में पैंट्री कार की जगह अलग से डाइनिंग कार है। टेलगो ने एक पूरी बॉगी को डाइनिंग कार के रूप में तैयार किया है। इस कोच में जगह जगह डाइनिंग टेबल लगे हैं, जहां यात्री मजे में खाना खा सकते हैं। उन्हें अपने सीट पर बैठे-बैठे खाना खाने की मजबूरी नहीं होगी।
खास डिजाइनिंग
इस ट्रेन की छत को खास रूप से डिजाइन किया गया। छत के बीचों बीच एलईडी स्क्रीन लगी है। सफर के दौरान यात्री इसका आनंद ले सकेंगे। इस कोच में सुविधायुक्त चेयर लगे हैं।
कम होगी बिजली की खपत
कंपनी का दावा है कि इस ट्रेन में ऊर्जा की काफी कम खपत होगी। इसे लाइट वेट एरोडायनेमिक तकनीक पर तैयार किया गया है। यह कोच फायर प्रूफ व साउंड प्रूफ है। इससे ट्रेन के चलने की आवाज़ यात्रियों के कानों में नहीं गूंजेगी।