भारत ने फ्रांस के साथ एक बड़ा सैन्य-सौदा किया है। कई वर्षों से यह सौदा हवा में लटका हुआ था। कभी युद्धक विमानों की कीमतों, कभी दलाली की अफवाहों और कभी किसी अन्य बहाने की वजह से यह टलता जा रहा था लेकिन भाजपा सरकार को बधाई कि उसने 36 रेफल विमानों का यह सौदा कल संपन्न कर लिया। फ्रांस में बने ये विमान तीन-चार हजार कि.मी. तक मार कर सकते हैं। अर्थात् चीन से लेकर तुर्की तक यदि भारत को किसी देश के आक्रमण का मुकाबला करना हो तो अब वह कर सकता है।
रुस से खरीदे गए मिग-विमान अब काफी पुराने हो गए हैं। अब वे भरोसे लायक नहीं रहे। भारत सरकार को अन्य कई देशों ने अपने विमान बेचने की पेशकश की लेकिन हमारे विशेषज्ञों ने इन्हें सर्वश्रेष्ठ पाया। इनकी कीमत 59000 करोड़ रु. है। ये विमान आधुनिक युद्ध-कला में निष्णात हैं। ये परमाणु बम भी चला सकते हैं। इन्हें भारत की सुरक्षा जरुरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष रुप से सुसज्जित किया जाएगा। अगले पांच साल तक इन विमानों के रख-रखाव और अतिरिक्त पुर्जों की आपूर्ति भी फ्रांस करेगा। इस सौदे की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें दलाली और रिश्वत खाए जाने का पूर्ण निषेध हो गया है।
बोफोर्स सौदे की तरह इसमें कोई दलाल और रिश्वतखोर नहीं है। यह सौदा फ्रांस और भारत की सरकारों के बीच हुआ है। इतने पारदर्शी समझौते रक्षा-खरीद में बहुत कम होते हैं। विदेशी कंपनियों से हथियार खरीदते समय नेता लोग जमकर कमीशनखोरी करते हैं। जनता की पसीने की कमाई का पैसा विदेशी तिजोरियों की सैर करता हुआ आखिरकार नेताओं की जेब गर्म करता है। इस सरकार ने इस समझौते के द्वारा जो यह नई परंपरा कायम की है, आशा है कि अब एक स्वच्छ आदर्श की तरह हमारे भावी सौदों का भी मार्ग-दर्शन करेगी।
इसमें शक नहीं कि रेफल विमानों का यह सौदा भारत की वायुसेना के मनोबल को बहुत ऊंचा कर देगा लेकिन आजकल हम जिस हाल में हैं, उसके कारण यह सवाल मन में उठता है कि हम हथियारों पर यह जो अरबों रुपया खर्च कर रहे हैं, क्या हमारी फौज का सिर्फ मनोबल बढ़ाने के लिए कर रहे हैं? भारत-पाक नियंत्रण-रेखा के अंदर जाकर हम 30-35 किमी पर भी कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करते और लड़ाकू जहाज ऐसे जुटा रहे हैं, जो तीन-साढ़े तीन हजार किमी तक मार कर सकें। यदि दुनिया को डराने के लिए परमाणु बम काफी हैं तो फिर इस सब टीम-टाम और खर्च की जरुरत क्या है? हम अपनी फौजी शक्ति जरुर बढ़ाएं लेकिन उसे जंग लगने के लिए छोड़ न दें। इतने मंहगे हथियार हम क्या सिर्फ दिखाने या सजाने के लिए खरीदते हैं?