नई दिल्ली : इस्लामिक बैंकिंग और शरिया कानून कभी UPA सरकार के लिए मुस्लिम वोटों के लिए प्रमुख हथियार रहा था और RBI के पूर्व गवर्नर श्री रघुराम राजन के लिए तो इस्लामिक बैंक तो उनके लिए मानो जैसे की वो तपस्या रही हो और केरल में इस्लामिक बैंक की नीवं रखी गई, इसके उपरान्त भाजपा के कुछ तथाकथित हिंदूवादी नेताओं ने बड़ी बड़ी गोष्ठियां रखीं तो किसी ने उन नेताओं को हिन्दू हृदय सम्राट तक की उपाधि दे दी और पानी पी-पी कर इस्लामिक बैंक की निंदा की गई ! इस्लामिक बैंक का अर्थ यह है कि कुरान और हदीस के अनुशार मुसलमान बैंकों को अपना धन देगा और या लेगा जो कि शरिया कानून का ही एक अंग है ! इस्लामिक बैंक को मान्यता देने का अर्थ यह है कि भारत में शरिया कानून को मान्यता देना !
जब से मोदी जी अरब राष्ट्र की यात्रा करके आये हैं तब से राम-राम कि जगह रहीम-रहीम रटने लगे हैं और सबसे पहले इस्लामिक बैंक कि शाखा भी गुजरात में खुलवा दि जिससे मुसलमान शरिया कानून के तहत बैंक से अपना लेन देन कर सकें !
अब तो माननीय मोदी जी यही ही नहीं रुके उन्होंने इससे भी आगे बड़ते हुए RBI में इस्लामिक बैंकिंग के लिए अलग से "इस्लामिक बैंक विंडो" खोलने के लिए हरी झंडी दे दी !
हिन्दू महासभा(लोकतान्त्रिक) ऐसे कुकृत्य कि निंदा करती है और इसे रोकने के लिए हम अपने आपको बलिदान करने को भी तैयार हैं और हम भारत का इस्लामीकरण नही होने देंगे ! जो कुकृत्य UPA सरकार ने किया था अब उसी कुकृत्य को भाजपा सरकार कर रही है !
एक तरफ तो भाजपा "समान नागरिक संहिता" की बात करती है तो दूसरी तरफ इस्लामिक बैंक के नाम पर शरिया कानून को मान्यता दे रही है ये दोमुंही बातें क्यों ? क्या भाजपा के मुंह में राम और मन में रहीम है ?
भाजपा सरकार तुरंत ऐसे निर्णय को निरस्त करे अन्यथा हिन्दू-महासभा(लोकतान्त्रिक) को आन्दोलन हेतु बाध्य होना पड़ेगा !
अंध-भक्ति छोड़ो-राष्ट्रवादी होने का परिचय दें और इस्लामिक बैंक का पुरजोर विरोध करें अन्यथा इस राष्ट्र को सभी सेक्युलर दल बर्बाद कर देंगे !