प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि उन्होंने लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन कर दिया है। उसने इसे ‘लाल-रेखा’ कहा है। कौनसी लाल-रेखा या लक्ष्मण-रेखा? यह रेखा वह है, जिसके अनुसार एक देश दूसरे देश के आतंरिक मामलों में दखलंदाजी नहीं करता। बलूचिस्तान और गिलगित के बारे में मोदी ने जो कहा, क्या वह आतंरिक मामलों में दखलंदाजी है? नहीं, बिल्कुल नहीं। उन्होंने तो सिर्फ यह कहा कि आप हमारे कश्मीर का रोना रोते रहते हो लेकिन यह क्यों नहीं बताते कि आपके बलूचिस्तान, गिलगित और ‘आजाद कश्मीर’ का क्या हाल है?
ऐसा पूछने में बुराई क्या है? नेपाल या बांग्लादेश में भूकंप या बाढ़ वगैरह आ जाते हैं तो हम सारे देश दौड़ पड़ते हैं या नहीं? बलूच हों, कश्मीरी हों, सिंधी हों, पंजाबी हों, पठान हों, तिब्बती हों- सभी हमारे परिवार के सदस्य हैं। इसी तरह यदि भारत में किसी खास समुदाय पर कोई मुसीबत आ जाए तो पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश अपनी सहानुभूति क्यों नहीं प्रकट कर सकते? मोदी ने यही किया है।
लेकिन किसी भी देश को तोड़ने की बात बिल्कुल गलत है, चाहे वह पाकिस्तान करे या भारत करे। मोदी ने बलूचिस्तान को तोड़ने की बात नहीं कही है। उन्होंने कौनसी लाल-रेखा लांघ दी है? कश्मीर में पाकिस्तान जो कुछ कर रहा है, उसके मुकाबले क्या भारत ने कभी बलूच, पठान या सिंधी इलाके में ऐसा कुछ किया है? हालांकि सरकारें इस तरह की जवाबी कार्रवाइयां अक्सर करती ही हैं। भारत तो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा, सबसे ताकतवर और सबसे मालदार देश है। यदि वह दक्षिण एशिया के डेढ़ अरब लोगों की चिंता नहीं करेगा तो कौन करेगा? लेकिन इस लायक बनने के लिए भारत को पहले अपने ही घर को सुधारना होगा। उसे देखना होगा कि उसका कोई कश्मीरी, कोई नगा, कोई मिजो, कोई तमिल, कोई सिख, कोई मुसलमान, कोई दलित ऐसी परेशानी में न रहे कि किसी पड़ौसी देश को उस पर उंगली उठाने की जरुरत पड़े। भारत यह चमत्कार कर सकता है, क्योंकि यह जागरुक लोकतंत्र है।