कहते है मन चंगा तो कठोती में गंगा’, लेकिन मन अत्यधिक चंचल होता है पल में हां और पल में न कहतेे एवं एक पाले से दूसरे पाले में ढुंलकते देर भी नहीं लगनी लक्ष्मी भी चंचल होती हैं, मन और लक्ष्मी किस पर कृपा बरसा दे ठीक-ठीक कहा भी नहीं जा सकता लेकिन जब मन फटता है और लक्ष्मी रूठती है तो राजा से रंक बनते भी देरी नहीं लगती जब लक्ष्मी और पद मिलते है तो व्यक्ति को कर्मान्ध कर देते हैं, फिर वो सब कुछ विरले ही होते हैं जिससे सिर्फ और सिर्फ स्वयं को ही आनंद मिले। कुछ विले ही होते हैं जो इन दोनों के होते हुए भी मदहोशी में भी वह पूर्ण होश में रहते हैं ऐसे ही व्यक्ति उचित एवं अनुचित में भेदकर जनोचित के बारे में सोचते हैं। यही गुण उन्हें संत बनाता है, इसके उलट शैतान। धर्मों में भी कहा गया है जो छिपाया वही पाप बता देने पर, उजाकर कर देने पर पाप, पाप नहीं रह जाता। इसी तर्ज पर शासन भी कार्य करता है मसलन कमाए गए धन का ब्यौरा टेक्स एजेन्सी को बताना सफेद धन, छिपाना काला धन होता है। सरकार बनाने से बिगाड़ने का खेल इसी कालेधन के रामबाण से होता है। विगत एक दशक से कुछ ज्यादा ही हो-हल्ला कालेधन को लेकर मचाया जा रहा है यू.पी.ए. सरकार को पानी पी-पी कर कोसने वाली एन.डी.ए. जिसका प्रमुख चुनावी मुद्दा 100 दिन में काले धन को विदेश से भारत वापस लेकर आयेंगे रहा आज पांच माह व्यतीत हो जाने के बाद भी स्थिति न केवल जस की तस है बल्कि और भी शर्मनाम है जिस कालेधन पर कुबेर की सूची को यू.पी.ए. सरकार ने बुलाया अब एन.डी उसे ही ब्लैकमेलिंग का राजनीतिक हथियार बनाने में क्यों जुटी? हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय एच.एल.दत्तू की पीठ ने काले धन की सुनवाई में कहा सरकार काले धन वालों का अंब्रेला बन उन्हें बचाने की कोशिश क्यों कर रही है? सरकार हमें सारे नाम बताए हम तय करेंगे कि इसकी जांच सी.बी.आई. करेेगी, एस.आई. टी. करेगी या आई.टी.करेगी। कोर्ट के चाबुक के चलते वित्त मंत्री ढाई घर चलने के स्थान पर सीधे-सीधे उनके पास उपलब्ध काले धन कुबेरों की सूची को न्यायालय के हवाले कर दिया।
यहां यक्ष प्रश्न उठता है कि क्या वाकई में हम इतने निकम्मे हो गए हैं बिना डण्डे के अपने मन से कुछ अच्छा नहीं कर सकते? 627 नाम का एक ही बैंक के हैं या अन्य के भी? प्रस्तुत ब्यौरा 2006 का स्टेटमेंट है इतना तो कांग्रेस ही कर चुकी थी फिर सूची को कोर्ट के सामने में प्रस्तुत करने में इतनी आनाकानी क्यों की गई, कहीं ब्लैकमैलिंग की राजनीति की रणनीति का हिस्सा तो नहीं?
सरकार की नियत पर कई समाज सेवी वकील भी प्रश्न उठा रहे हैं, मसलन कालेधन कुबेरों को जेटली क्यों बचा रहे हैं राम जेठमलानी ने बड़ी सख्ती से कहा। बाबा रामदेव कहते हैं सरकार बताए किस के पास कितना कालाधन? उनसे वसूली कब शुरू होगी? डॉ.सुब्रमण्यम कहते यदि में वित्तमंत्री होता तो दो महिने के भीतर 120 लाख करोड़ रूपये देश में लाता और आरोपी जेल में होते, अन्ना हजारे ने ताल ठोकते हुए शीत सत्र में पुनः अनशन करने की धमकी दे डाली।
यूं तो कालाधन स्विटजरलंेड, मॉरीशस, साइप्रस, बरमूड़ा, जिब्राल्टर, जर्मनी एवं फ्रांस के बैंक में होता है यहां फिर प्रश्न उठता है कोर्ट को प्रस्तुत सूची कहा की है? अन्य का क्या?
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी कहते हैं विदेश में खोले गए सभी खाते अवैध नहीं है हम इसे देखते है अवैध खाता होने पर आई.टी.एक्ट के तहत् कानूनी कार्यवाही की जाती है यहां पुनः प्रश्न उठता है अभी तक कितनों के खिलाफ सरकार ने कार्यवाही की? यदि नहीं तो क्यों? कही ये चोर सिपाही का खेल तो नहीं है?
कितना काला धन विदेशों की बैंकों में जमा है इसका ठीक-ठीक अंदाजा किसी को भी नहीं है। सभी अंधेरे में अपना तीर चला रहे हैं। भाजपा के अनुसार 65 लाख करोड़, कंपनियों के अनुसार 70 हजार करोड़, बाबा रामदेव के अनुसार 4 लाख करोड़, डॉ. सुब्रमण्यम 120 लाख करोड़ बताते हैं। जी.एफ.आई (अमेरिका की संस्था) के अनुसार 21 लाख करोड़, अर्थशास्त्री अरूण कुमार के अनुसार 30 लाख करोड़, ए.पी.सिंह.सी.बी.आई. के अपूर्व निदेशक के अनुसार 31.4 लाख करोड़, वाशिंगटन स्थित वित्तीय अनुसंधान संगठन ग्लोबल फाईनेंशियल इंटिग्रेटि की रिपोर्ट के अनुसार 343.4 अरब डॉलर, आस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शोद्यार्थी रत्नबेंड इस और डुक न्गुथेन ट्रांग के अनुसार 1992-2012 के बीच 186 अरब डॉलर कालाधन विदेश भेजे जाने का अनुमान है।
कुछ लोगों का मानना है कि देश से बाहर कालाधन भेजने के लिए डायमंड का इस्तेमाल होता है। देश की खुफिया एजेन्सियां इस बारे में पहले से ही आगाह कर चुकी है इनके अनुसार इम्पोर्ट की रकम को बढ़ाकर या अनेक छोटे-छोटे सौदों को दिखाकर बैंकिंग चेनल के माध्यम से यह पैसा देश से बाहर भेजा जाता रहा है। डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस एण्ड कस्टम अथॉरिटी ने पहले ही इस बारे में रिजर्व बैंक को आगाह कर दिया कि किस तरह बैंकों का इस्तेमाल ऐसे कार्याें के लिए हो रहा है। ग्लोबल फाइनेंशियल इन्टीग्रिटी ने बताया कि कालाधन बाहर भेजने के माामले से भारत दुनिया के टॉप 10 देशों में है।
कालेधन के इस एपीसोड में निःसंदेह मोदी सरकार की काफी किरकिरी हुई है अब देखना यह होगा कि किस तरह मोदी काले कुबेरों को उनके बिलों से खींच कर भारत की जनता की अदालत में पेश करेंगे ताकि जनता भी देश के लुटेरों एवं गद्दारों को भली भांति देख सके।