सुब्रह्मनयन स्वामी ने सोनिया गान्धी और राहुल गान्धी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाये हैं । आरोपों के प्रमाण इतने पुख्ता हैं कि सोनिया कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी को स्वीकारना ही पड़ा कि कांग्रेस ने एसोसिएटड जर्नलज लिम कम्पनी को नब्बे करोड़ का कर्ज़ा दिया है । द्विवेदी भी जानते हैं कि यह गैरक़ानूनी है । लेकिन उनका भाव कुछ इस प्रकार का है कि आप ने हमारा जो बिगाड़ना हो, बिगाड़ लो । यह घमंड़ की पराकाष्ठा है । केजरीवाल ने कुछ आरोप सोनिया गान्धी के दामाद राबर्ट बढ़ेरा पर लगाये हैं( जो आजकल पता नहीं क्यों अपने आप को वाड्रा कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं) हरियाणा सरकार ने उनमें झाँकने का साहस करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक खेमका को ही निपटा दिया । कांग्रेस का स्स्पष्ट है । भारतीयों को सोनिया परिवार पर आरोप लगाने का साहस नहीं करना चाहिये । वैसे यह परिवार अपने पर लगे आरोपों का जबाव भारतीयों को देने के लिये स्वयं को बाध्य भी नहीं मानता । क्योंकि उनको दबाव देना भी उनकी अहमियत को स्वीकारना होगा । जबान देने का काम दरबारी कर रहे हैं । वे भी जबाव नहीं दे रहे , बल्कि आरोप लगाने वालों की औकात को ही प्रश्नित कर रहे हैं । पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवाड़ी का लहजा कुछ ऐसा ही था । सरकार इन आरोपों की जाँच करेगी, ऐसा तो सोचना ही बबूल से आम के फल की आशा करना ही होगा । आरोप केवल कांग्रेस द्वारा एसोसिएटड ,जो पब्लिक कम्पनी है, को कर्ज़ा देने तक ही सीमित नहीं हैं । सोनिया गान्धी और उनके बेटे ने यंग इंडियन नाम की एक प्राइवेट कम्पनी बनाई जिसमें माँ बेटे की ७६ प्रतिशत हिस्सेदारी है । इस प्ायवेट कम्पनी ने कालान्तर में एसोसिएटड को ख़रीद लिया और उसकी करोड़ों की सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया ।
इस के विपरीत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी पर केजरीवाल ने जो आरोप लगाये हैं , उस पर गडकरी स्वयं माँग कर रहे हैं कि सरकार इन की जाँच करवाये ताकि केजरीवाल अपने आरोपों से जो भ्रम फैला रहे हैं , वे छँट सकें । सोनिया परिवार आरोप स्वीकार करने के बाद भी हेकड़ी दिखा रहा है जबकि गडकरी आरोपों को नकारने के बाद जाँच की चुनौती दे रहे हैं । पूर्ति कम्पनी का गठन गडकरी ने किया है , इस के किस्से वे अध्यक्ष बनने के पहले दिन से ही सुना रहे हैं । विदर्भ क्षेत्र में पूर्ति क्या काम करती है और इससे किस प्रकार किसानों को लाभ होता है , इसकी कहानियाँ भी उनके भाषणों का हिस्सा होती हैं ।उन्होंने इन चीजों को कभी छिपाया नहीं क्योंकि इसमें छिपाने लायक कोई चीज है ही नहीं । कुछ अन्य कम्पनियों ने पूर्ति में निवेश किया है । इन अन्य कम्पनियों के पास पैसा कहाँ से आया , इस का उत्तर देने का दायित्व उन कम्पनियों का है । यदि सरकार को शंका है , तो उसे तुरन्त जाँच करवानी चाहिये और यदि किसी क़ानून का उल्लंघन हुआ है तो दोषी को पकड़ा जाना चाहिये । यह माँग तो गडकरी स्वयं कर रहे हैं । पूर्ति कम्पनी में भी गडकरी के अंश इतने नहीं है कि उनको इसका मालिक मान लिया जाये । यंग इंडिया नामक प्राइवेट कम्पनी में तो सोनिया और राहुल के ७६ प्रतिशत हिस्से हैं । यंग इंडिया ने पचास लाख रुपये में एसोसिएटड जर्नलज की १६०० करोड़ रुपये से भी ज्यादा सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया है । गडकरी पर किसी ने यह आरोप नहीं लगाया है कि उन्होंने नाजायज तरीके से सम्पत्ति पर कब्जा किया है । किसानों की ज़मीन पर कब्जा करने की बात करके कुछ विशेष चैनल चुप हो गये और किसी भी किसान ने उनके आरोप का समर्थन नहीं किया । आखिर यह ज़मीन आकाश में तो हो नहीं सकती । जो अंग्रेजी के दो चैनल गडकरी पर आरोप लगाने में सब से आगे थे , उन्होंने भी मौके पर जाकर इस आरोप की जाँच करना जरुरी नहीं समझा , क्योंकि उनकी रुचि निष्पक्ष जाँच में नहीं बल्कि गडकरी को बदनाम करने में ज्यादा थी । यही उनका ऐजंडा है ।
राष्टीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसवोले ने भी उचित ही कहा है कि देश के क़ानून के अनुसार जाँच की जानी चाहिये और कोई भी दोषी हो उस पर कार्यवाही होनी चाहिये । लेकिन निर्णय तो क़ानून के अनुसार और जाँच के बाद ही हो सकता है । इसके विपरीत सोनिया परिवार तो देश के क़ानून से भी अपने आप को ऊपर मानता है । पार्टी के महामंत्री जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया परिवार पर लगे आरोपों की बात करते हुये यही कहा । उनका कहना था कि एसोसिएटड जर्नलज को पार्टी द्वारा जनता से इक्कठे किये गये पैसे में से नब्बे करोड रुपये का कर्ज़ा देना, राजनैतिक कामों में आता है या नहीं इसका फैसल क़ानून नहीं बल्कि पार्टी स्वयं करेगी । गडकरी अपने पर लगे आरोपों के हर पक्ष पर बात करने को तैयार हैं सोनिया गान्धी तो एक बार भी मुँह खोलने के लिये तैयार नहीं है । एक बात और ध्यान में रखनी चाहिये कि सोनिया और राहुल पर आरोप केजरीवाल ने नहीं बल्कि स्वामी ने लगाये हैं । केजरीवाल हवा में बात उछाल कर चुप हो जाते हैं । क्योंकि उनके लिये किसी पर आरोप लगाना शाब्दिक जादूगरी से ज्यादा नहीं है । आरोप लगाना , उनके लिये अपनी राजनैतिक ज़मीन की तैयारी का पूर्वाभ्यास है । लेकिन स्वामी के पास अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त सबूत होते हैं । वे टू जी घोटाले में इसे प्रमाणित कर चुके हैं ।