राहुल गाँधी नें कितने किसानों को एमपी, एमएल या मिनिस्टर बनाया ?
नई दिल्ली। ”किसानों के हमदर्द बनने वाले राहुल गाँधी नें कितने किसानों को एमपी, एमएल या मिनिस्टर बनाया, राहुल गांधी सिर्फ और सिर्फ किसानों का मसीहा बनने की नौटंकी कर रहे हैं।” उपरोक्त बातें ‘‘किसान, खेत, मजदूर कांग्रेस कमेटी’’ के मीडिया सलाहकार रिजवान राजा नें भारत वार्ता से एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि । आगे कांग्रेसी किसान नेता रिजवान नें अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 2013 से शमसेर सूरजेवाला नें इस्तीफा दिया तब से अब तक किसान प्रकोष्ठ का कोई अध्यक्ष नहीं रहा।
राहुल गाँधी किसानों का मसीहा होने का ढोंग कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें किसानों के हित की जरा सी भी परवाह नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि यूपी में तो किसान प्रकोष्ठ का कोई अध्यक्ष ही नहीं है, और जब अध्यक्ष ही नहीं होगा तब फिर जिलाध्यक्ष, विधानमण्डल अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष कैसे बनेगा ? और तो और, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही कोई नहीं तब प्रदेशाध्यक्ष कौन है, और प्रदेशों को कौन नेतृत्व कर रहा है ?
जब चुनाव आता है तब यह पार्टी कितने किसानों को किसान कोटे से टिकट देती है ? इतना ही नहीं जब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ थी तो किसान कोटे से कितने किसानों को सत्ता में भागीदारी दी थी। देखा जाये तो एक आँकड़े के अनुसार पूरे देश में 60 प्रतिशत किसान है। लेकिन उन किसानों के जनसंख्या के हिसाब से कांग्रेस पार्टी नें न तो अपने पार्टी में न सत्ता में कभी भी कोई भागीदारी नहीं दी। यदि मजदूरों को देखा जाए तो उनके लिए इंटेक, जो कि मजदूरों का संगठन है जिसका भाईवीर सिंह मार्ग में बिल्डिंग है, यूथ कांग्रेस के लिए रायसेना में एक बड़ा कार्यालय है। किंतु किसान कांग्रेस के लिए एक छोटा सा कमरा किसान प्रकोष्ठ के रूप में जो 24, अकबर रोड, 42 नंबर में स्थित है, जिसमें शमसेर सूरजेवाला के नाम की एक छोटी सी तख्ती लगी है मगर वहाँ काम देखने वाला कोई नहीं है। इस विषय पर किसान नेता व पत्रकार रिजवान रजा करीब 5 बार राहुल गाँधी से मिले, एक बार सोनिया गाँधी से मिले। इतना ही नहीं, इसके बाद कांग्रेस के हर शीर्ष नेता से किसानों की समस्याओं को लेकर मिले। जो कांग्रेस का किसान प्रकोष्ठ 2013 से बंद है उसमें नियुक्ति के लिए इसके कार्यालय प्रभारी अविनाश काकड़े जो कि कभी भी प्रकोष्ठ बंद होने के बाद कार्यालय नहीं आए।
आगे रिजवान नें कांग्रेसी नेताओं को धिक्कारते हुए कहा कि हर 35 मिनट पर एक किसान आत्महत्या कर रहा है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, और 50 साल देश पर किस पार्टी का शासन था ? किसानों के वोट सभी पार्टियों को चाहिए लेकिन किसी पार्टी नें किसान को एमपी, एमएलए या एमएलसी बनाया। कांग्रेस नें सचिन, रेखा आदि फिल्मी नायक नायिकाओं को तो राज्यसभा में भेजा, लेकिन अन्नदाता किसान को क्या आपने राज्यसभा में भेजा, राहुल गांधी को सच्चाई स्वीकार लेना चाहिए कि जब सत्ता में थे तो वे कुछ नहीं किये, अब किसान हितैषी होनें का ढोंग रच रहे हैं, प्रदेश-देश के किसान सब जानते हैं और आने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में उन्हें करारा सबक सिखाएंगे ?