मुझे याद नहीं पड़ता कि किसी प्रांत या केंद्र में गठबंधन की सरकार बनाने में इतनी देर लगी है, जितनी कि जम्मू-कश्मीर में लग रही है। कश्मीर-जैसा सूबा और दो माह से वहां सरकार ही नहीं है, इसका मतलब क्या हुआ? इसका एक मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि वहां सरकार की जरुरत ही नहीं है। जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार की! वहां तो राष्ट्रपति या राज्यपाल का शासन ही मजे से चल सकता है। क्या यह जम्मू और कश्मीर की जनता का अपमान नहीं है? उस जनता का, जिसने पीडीपी और भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें दी हैं?
इस अपमान की चिंता न पीडीपी को है और न भाजपा को! इन दोनों पार्टियों को जनता की चिंता होती तो क्या दो माह तक वहां की सरकार अधर में लटकी रहती? दोनों को चिंता इसलिए भी नहीं है कि वे जानती हैं कि कोई दूसरा गठबंधन सरकार नहीं बना पाएगा। ऐसे में केंद्र सरकार को सबसे ज्यादा चिंता होनी चाहिए लेकिन अखबारों का कहना है कि प्रधानमंत्री अड़े हुए हैं। वे पीडीपी की कोई भी बात मानने को तैयार नहीं हैं। इसीलिए महबूबा मुफ्ती उनसे मिले बिना ही श्रीनगर चली गई हैं।
क्या महबूबा कुछ ऐसा मांग रही हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है? नहीं। यदि हां तो वह भी देकर देखा जा सकता है। पुराने गृहसचिव और गहन अनुभवी व्यक्ति एन एन वोरा वहां राज्यपाल हैं। जबर्दस्त फौज उनके हाथों में है। जब शेख अब्दुल्ला जैसे बड़े नेता कुछ नहीं कर सके तो महबूबा क्या कर लेगी? दोनों पार्टियों ने फिजूल का हव्वा खड़ा कर रखा है। केंद्र सरकार दुश्मन बनाने की कला में उस्ताद है। वह दोस्त बनाने की कला कब सीखेगी?
महबूबा जो कुछ मांग रही हैं, उस पर लचीला रवैया अपनाने में कोई बुराई दिखाई नहीं पड़ती। स्थानीय पावर प्रोजेक्ट यदि प्रांतीय सरकार के हवाले कर दिए जाएं, जम्मू और श्रीनगर को चुस्त शहर बना दिया जाए, कुछ स्थानों से फौज हटा ली जाए और बाढ़-पीढि़तों को प्रचुर सहायता दे दी जाए तो महबूबा को उन लोगों का मुंह बंद करने की ताकत मिल जाएगी, जो इस गठबंधन के खिलाफ हैं। मुफ्ती साहब की अंत्येष्टि में लोगों ने जो बेरुखी दिखाई, उससे महबूबा को इस गठबंधन की फिसलती हुई लोकप्रियता का अंदाज हो गया। लोग पूछ रहे थे कि नेपाल तो विदेश है, फिर भी भारत सरकार ने भूकंप के दौरान उसकी इतनी जबर्दस्त मदद की लेकिन अपने ही देश के कश्मीर की बाढ़ में वह आनाकानी क्यों करती रही? इस मामले में सरकार को पूर्ण आत्म-विश्वास और परिपक्वता का परिचय देना चाहिए।