इश्क की क्या सजा दे गया है मुझे,
ज़ख्म देकर दवा दे गया है मुझे।
मेरी बर्बादियोँ पे वो हंसता हुआ,
जिन्दगी की दुआ दे गया है मुझे।
हर वरक़ पे लिखा बेवफा-बेवफा,
जो किताबे-वफा दे गया है मुझे।
कत्ल का हीँ इरादा कहीँ हो न हो,
अपने घर का पता दे गया है मुझे।
झूठ भी झूठ-सा कह न पाऊँगा मैँ,
सच का ऐसा सिला दे गया है मुझे।