अब आप और हम पैरोड़ी में यह कह सकते हैं कि ‘मैं तुलसी तेरी राज्यसभा की’। छोटे परदे पर गुजराती बहू ‘तुलसी वीरानी’ का किरदार निभाकर काफी विख्यात हुई स्मृति इरानी के लिए राज्यसभा के दरवाजे खुलने वाले है। बीजेपी ने उनकी उम्मीदवारी करीब करीब तय कर दी है। राज्यसभा के लिए वे गुजरात से भाजपा की उम्मीदवार होंगी।
स्मृति इरानी के नाम पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अब कोई एतराज नहीं है। वे गुजराती बहू के रूप में विख्यात हैं और वास्तव में गुजरात की बहू भी है। स्मृति फिलहाल बीजेपी के महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लेकिन देश के किसी भी बीजेपी नेता के मुकाबले कई गुना ज्यादा लोकप्रिय भी है। और यह तो सुषमा स्वराज को भी स्वीकार करना पड़ेगा कि उनकी बेटी की ऊम्र की स्मृति को देश में उनसे भी ज्यादा लोग जानते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि स्मृति की राज्यसभा में जाने की निश्चित तौर से मंशा रही होगी। लेकिन उससे भी ज्यादा पार्टी को उनकी जरूरत है। क्योंकि आनेवाले दिनों में बीजेपी में राष्ट्रीय छवि वाले नेताओं का अकाल पड़नेवाला है। बीजेपी खुद भी जानती है कि देश के स्तर पर जितने नेताओं की जरूरत है, उतने नए चेहरे पार्टी में पैदा नहीं हो रहे हैं। स्मृति को राज्यसभा में भेजकर बीजेपी यह नई कोशिश कर रही है। अपन दस साल से स्मृति को जानते हैं, और इस दौरान वे बहुत परिपक्व भी हो गई हैं। राज्यसभा में वे बीजेपी की लाज रखेंगी, यह उम्मीद उनसे की जा सकती है। वे सदन में पार्टी का चेहरा भी बनेंगी, यह भी कहा जा सकता है।
नरेंद्र मोदी ने अपने प्रदेश की इस बहू को शायद माफ कर दिया है। यह वही स्मृति है, जिन्होंने गुजरात में दंगों के मामले में मोदी की काफी खिंचाई की थी। उनके खिलाफ आमरण अनशन की घोषणा भी कर दी थी। यह तब की बात है, जब स्मृति राजनीति में नई नई आई थी। और उनको यह तक समझ नहीं थी कि देश की राजनीति में मोदी की मजबूती के मायने क्या है। बाद में तो खैर, उनकी अकल ठिकाने आ गई और पार्टी के आला नेताओं ने भी इस मामले में बीच बचाव किया। दिल्ली में चांदनी चौक से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। मगर हार गईं। लेकिन अब स्मृति बदल गई हैं। उनको राजनीति आती है, और इतनी आती है कि उनके हाव भाव और तेवर के सामने धुरंधर राजनेता भी उनके सामने फीके लगते हैं। अपने से बड़ों को सम्मान देना उनके निजी जीवन का हिस्सा है और राजनीति में इस सम्मान के फायदे और नुकसान क्या होते हैं, यह भी उनको पता है। यही वजह है कि जब भी मौका मिलता है, गुजरात के मामले में सीबीआई की खिंचाई करने और मोदी की तारीफ करने से वे नहीं चूकती।
गुजरात से इस बार बीजेपी के दो उम्मीदवार राज्यसभा में जाएंगे। 22 जुलाई को हो रहे राज्यसभा चुनाव के लिए गुजरात से स्मृति इरानी के नाम पर बीजेपी आलाकमान की मुहर लग गई है। अब पार्टी को वहां सिर्फ एक नाम ही तय करना है। जिसके लिए पार्टी ने मोदी को पूरी छूट दे दी है। वे जिसका भी नाम कहेंगे, पार्टी बिना किसी एतराज के उसकी घोषणा कर देगी।