गृहमंत्री राजनाथसिंह अगर चाहते तो बांग्लादेश के गृहमंत्री की तरह इस्लामाबाद नहीं जाते। दक्षेस-गृहमंत्रियों की बैठक का बहिष्कार कर देते लेकिन वे गए, उन्होंने बिल्कुल ठीक किया। उनका भाषण पाकिस्तानी चैनलों पर नहीं दिखाया गया, इसमें बड़ा अजूबा क्या हो गया? अन्य देशों के गृहमंत्रियों का भी नहीं दिखाया गया। अकेले राजनाथसिंह का ही क्यों दिखाया जाता? क्या इसलिए कि उन्होंने पाकिस्तान के शासकों को खरी-खरी सुना दी थी?
यदि किसी सदस्य-देश का गृहमंत्री पाकिस्तान की तारीफों के पुल बांधता तो वह भी नहीं दिखाया जाता, क्योंकि सिर्फ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के भाषण ही दिखाए गए थे। राजनाथसिंह ने दक्षेस-गृहमंत्रियों के साथ लंच भी नहीं लिया। इसके भी कई कारण हो सकते हैं। ये बातें ध्यान जरुर खींचती हैं लेकिन उन्हें तूल देकर तिल का ताड़ बनाना क्या उचित है?
मुद्दे की बात यह हुई कि राजनाथसिंह ने अपने भाषण में वे सारी बातें कह दीं, जो आतंकवाद के बारे में हम भारत में बैठकर सोचते रहते हैं या बोलते रहते हैं। और कहां कह दीं? पाकिस्तान के हृदय में! इस्लामाबाद में! राजधानी में। ऐसा भाषण देने के लिए हिम्मत चाहिए। यह किसकी हिम्मत है कि पाकिस्तान जाकर कोई भारतीय नेता यह कह दे कि आतंकवादियों को शहीद कहना बंद करो। कोई भी आतंकवादी अच्छा नहीं हो सकता है। जो हमारे लिए बुरा है, वह आपके लिए भी बुरा है। दक्षेस-देशों को सिर्फ आतंक का ही विरोध नहीं करना है बल्कि उन संगठनों, गिरोहों और देशों का भी विरोध करना है, जो आतंक को शै देते हैं।
राजनाथसिंह का भाषण गरिमापूर्ण लेकिन काफी पैना था। उसमें दक्षेस की मर्यादा का कहीं भी उल्लंघन नहीं हुआ। उन्होंने नाम लेकर पाकिस्तान को नहीं कोसा। उनका भाषण और भी बेहतर हो जाता, अगर वे यह बताते कि आतंक को शै देने वाले देशों की दशा भस्मासुरी हो जाती है। वे अपने ही देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। अब सितंबर में आतंक-विरोधी व्यवस्था तैयार करने की जो दक्षेस-बैठक भारत में होनी है, वह पता नहीं, होगी या नहीं? अमेरिका ने 300 मिलियन डालर की मदद रोक कर पाकिस्तान को एक चेतावनी कल ही दी है।
पाकिस्तान ने चीन, अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ मिलकर एक आतंक-विरोधी मोर्चा परसों ही खड़ा किया है लेकिन आश्चर्य है कि वह अपने घर में जन्मे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? क्या सिर्फ इसीलिए कि उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है? राजनाथसिंह ने इसी दुखती रग पर उंगली रख दी। उन्होंने गलत क्या किया?