जानिए भगवान शंकर की कृपा से वर पाने की इच्छा रखने वाली कन्याओ को आज की रात भगवान शिव की उपासना किस प्रकार करनी चाहिए |
१- सर्वप्रथम साफ मिट्टी ले कर उसे पानी दूध और गाय के घी में सान ले -"बं"मंत्र पढ़े | अब पहले गणेश जी बनाकर पीठ पर रखे -मंत्र है "ॐ हीं गं ग्लौ गणपतये ग्लौं गं हीं "108 बार "ॐ नमो हराय " मन्त्र पढ़ कर – बहेड़े के फल के बराबर मिट्टी अपने दाहिने हाथ में लेले |
२ – इस मिट्टी से आपको एक शिवलिंग बनाना है |शिवलिंग आपके अंगूठे से बड़ा और बित्सित यानि बित्ते से छोटा होना चाहिए | शिवलिंग बनाते समय आपको मंत्र पढ़ना है | " ॐ नमो महेश्वराय " 108 बार |
३ – अब इस शिवलिंग को चौकी पर अस्थापित करे और 108 बार मंत्र पढ़े " ॐ नमो शूलपाणी
४- अब बची मिटटी से सुन्दर सी कुमार की ( नौजवान की ) की मूर्ति बनाये और उसे भगवान शंकर के सीध में बैठकर 108 बार मंत्र पढ़े " ॐ एं हूं क्षूं क्लिं कुमाराय नम : "
५ – इसके बाद 108 बार " ॐ नमो शिवाय " मंत्र पढ़ कर प्रार्थना करे " ॐ नम : पिनाकिने इहगच्छ इह तिष्ठ " अब यह पीठ पूजा के लिए तैयार है | अब आप इस मूर्ति को -जल से, दूध से, दही से, घी से ,शहद से , और पंचामृत से स्नान और धूप दीप नैवेद्य आदि से पूजन करे | बेल पत्र अवस्य चढ़ाये | शिव के नैवेद्य मे बेल फल ,धतुरा ,भंग की पत्ती बेर का फल इत्यादी अवश्य शामिल करे |
अब इसके बाद निम्न प्रयोग करें—
01 – विवाह योग्य कन्या को शीघ्र वर प्राप्ति के लिए " हीं ॐ नम: शिवाय हीं " मंत्र से १०८ बेर के फल भगवान को मे तीन बार चढ़ाने से यतेष्ठ फल प्राप्त होगा |
02- यदि किसी लड़के को यतेष्ट कन्या की इच्छा हो तो उसे इसी मंत्र को पढ़ते हुए १०८ बार अमृता (गिलोय) की आहुति पलाश्कि समिधा से रात्रि मे तीन बार देनी चाहिए |
मनोवंच्छित वर /कन्या पाने के लिये—-अगर आपने अपना जीवन -साथी पहले ही पसंद कर लिया हो तो -आपको दूसरा मंत्र पढ़ना है| ये मंत्र लड़के -लड़कियो दोनो के लिए कामान है | मंत्र है –क्लिं ॐ नम: क्लिं इस मन्त्र को १०८ बार पढ़ते हुये ३ -३ पूर्वा से बेल की समिधा में हवन करने से मनोवांक्षित वर /कन्या की प्राप्ति होती है |
04 —- अगर विवाह में देर हो गई हो :-
अगर आपके विवाह में देर हो रही हो जो इसी बिधि से भगवान शंकर की स्थापना करके उन्हें शिव के दस द्रब्य चढ़ाये | ये दस द्रब्य इस प्रकार है | बेल का फल ,तिल पांच मुट्ठी ,खीर एक कटोरी ,सवा पाव घी , सवा पाव दूध ,सवा पाव दही,
108 दूर्वा , चार अंगुल की वट की पांच लकडिया ,चार अंगुल की पलाश की पांच लकडिया , और चार अंगुल की कत्थे यानि खैर की पांच लकडिया |
ये सामग्री शिव को अर्पित करके रात्रि में तीन बार भगवान की पंचोपचार पूजा करके तीनो बार
– 108 बार मंत्र जप करे | मंत्र है –`ॐ नमो भगवते रुद्राय `
05 – अगर आपको लगता है कि आपके रूप की कमी के कारण विवाह नहीं हो रहा हो तो आप उपरोक्त विधि से स्थापना करके खैर की समिधा से हवन करे | इसमे हवन सामग्री के तौर पर दूध और जौ का इस्तेमाल करना चाहिये |अगर खैर (कत्थे ) की लकड़ी न मिले तो उसकी जगह गम्मारी की लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते है | मंत्र है -` हीं ॐ नम: शिवाय हीं` `
06 – यदि आपका दाम्पत्य या प्रेम सम्बन्ध खतरे में पड़ गया हो तो –पहले बताई गई बिधि से स्थापना करके – अपने जन्म नक्षत्र में और शिवरात्रि के दिन गुडूची यानि गिलोय और बकुल यानि मौलश्री की समिधा से घी ,शहद और शक्कर से होम करने से प्रेम सम्बन्ध या दाम्पत्य जीवन अक्षुण बना रहता है | मंत्र वही होगा – `हीं ॐ नम ; शिवाय हीं ` रात्रि में तिन बार भगवान की पूजा करके हर बार १०८ आहुतिया मंत्र पढ़ते हुये देनी चाहिये |
07– अगर आपको लगता है कि आपके शारीरिक गठन कि वजह से आपके विवाह में बाधा आ रही है तो शिवरात्रि के दिन से अपने जन्म दिन तक नित्य जप से शारीरिक सौष्ठव बेहतर होकर शादी का रास्ता खुलता है | इसके लिये शिवरात्रि कि रात उपरोक्त बिधि से तिन बार भगवान का पूजन करके हर बार बरगद कि समिधा जला कर बेल फल का गुदा ,शहद और घी से १०८ बार आहुतिया प्रदान करे | इसके बाद नित्य एक माला मंत्र पढ़े | प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर को दूध चढ़ाये और अपने जन्म दिन कि रात यही प्रक्रया दोहराये मंत्र – हीं ॐ नम : शिवाय हीं इससे लाभ अवस्य होगा |
08 — विवाह में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने के लिये शिवरात्रि कि रात भगवान शिव कि पूजा करके क्षीरी वृक्ष कि समिधा और लावा से हवन करना चाहिये प्रदोष का व्रत करना चाहिये और मंत्र कि एक माला का जप शिवरात्रि कि रात तक तिन बार कर के होम कर पुन: वर प्राप्ति तक नित्य करना चाहिये मंत्र – `हीं ॐ नम: शिवाय हीं `
09 .— शिवरात्रि के दिन शिवजी जी की कृपा प्राप्ति तथा फल की प्राप्ति के लिए पंचामृत से शिवजी का अभिषेक करें और निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें.
मन्त्र – " ऊं ऐं ह्रीं शिव गौरीमव ह्रीं ऐं ऊं "
इस मन्त्र का जाप करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी तथा आपकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जायेंगी.
10. शिवरात्रि के दिन विवाहित स्त्रियाँ शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तथा अपने घर में सुख – सौभाग्य बनाये रखने के लिए शिवजी की पूजा करें और दूध से शिवजी का अभिषेक करें. अभिषेक करने के बाद निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें.
मन्त्र – " ऊं ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ऊं "
इस विधि से शिवजी की पूजा करने से आपके घर में हमेशा सुख – सौभाग्य बना रहेगा.
11. शिवरात्रि के दिन पूजा करने से लक्ष्मी माता भी प्रसन्न होती हैं. क्योंकि लक्ष्मी जी अपने अखंड स्वरूप में केवल शिव जी के आदेश पर ही किसी भी स्थान पर प्रकट होती हैं. लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए तथा धन प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की अर्चना करने के बाद नीचे दिए गये मन्त्र की दस माला का जाप करें.
मन्त्र – " ऊं श्रीं ऐं ऊं "
12. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी का विवाह माता पार्वती से हुआ था. इसलिए यदि किसी व्यक्ति का विवाह नहीं हो पा रहा हैं. तो वह भी इस दिन व्रत एवं पूजा करके इस समस्या से छुटकारा पा सकता हैं. जल्दी विवाह करने के लिए शिवजी की पूजा करें और नीचे दिए गये मन्त्र का उच्चारण करें.
मन्त्र – " हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम "
13. यदि आपके घर में लगातार समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. तो आप शिवरात्रि के दिन पूजा कर इन समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं. इसके लिए शिवरात्रि के दिन बेल पत्र, भांग, धतूरे को चढाने के बाद निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें.
मन्त्र – " ऊं साम्ब सदा शिवाय नमः "
14. यदि किसी व्यक्ति के पुत्र का विवाह नहीं हो पा रहा हैं. तो पुत्र का विवाह शीघ्र करने के लिए भी आप इस दिन भोले की अराधना कर सकते हैं. इसके लिए एक मूंगा की माला लें और शिवजी की पूजा करने के बाद निम्नलिखित मन्त्र की एक माला का जाप अपने पुत्र से करवाएं.
मन्त्र – " पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद्भवाम्। "
महिलाओं के लिए महत्व—-
ऐसा माना जाता है जब कोई महिला भगवान शिव से प्रार्थना करती है तो भगवान शिव उनकी प्रार्थना को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। भगवान शिव की पूजा में किसी विशेष सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ पानी और बेलपत्र के जरिए भी श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। यही वजह है कि महाशिवरात्रि का महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। ऐसा मानना है कि अगर अविवाहित महिला महाशिवरात्रि के दिन उपवास करती है तो उन्हें भगवान शिव जैसा ही पति मिलता है।
भगवान शिव की उपासना देव और दानव दोनों ही समान भाव से करते हैं । एक और रावण उनका परम उपासक है तो दूसरी ओर भगवान राम उनके गुण गाते नहीं थकते । वे रामकथा के प्रणेता हैं । परशुराम के गुरु हैं । भोले इतने कि भस्मासुर को बिना सोचे समझे वरदान दे दिया ।शिव भोले शंकर हैं, औघड़दानी हैं। औघड़ दानी ऐसा कि लंका रावण को दे दी । गण समूहों के मित्र हैं। गणों के साथ स्वयं भी नृत्य करते हैं। गण देवता गणेश स्वाभाविक ही उनके पुत्र हैं। वे रूद्र शिव एशिया के बड़े भूभाग में प्राचीन काल से ही उपासित हैं। सत्य आराध्य है। लेकिन शिव सत्य आनंददाता हैं। सत्य और शिव का एकात्म सुंदर होता है। शिव अखिल ब्रह्म की ऊर्जा हैं। लेकिन यह ऊर्जा सहज प्राप्य नहीं है। शिव प्राप्ति के प्रयास जरूरी हैं। पार्वती को भी शिव प्राप्ति के लिए महातप करना पड़ा था।शिव ही सभी रूपों में प्रकट होकर रूप रूप प्रतिरूप हैं। कालिदास के कथानक में जब तब शिव ने अपना रूप प्रकट कर दिया। शिव बोले अब मैं तुम्हारा दास हूं, पार्वती – तवस्मि दासः। मन करता है कि प्रश्न पूंछू शिव से – महादेव! इतना कठोर तप क्यों कराते हैं? लेकिन अपना प्रश्न वापस भी लेता हूं। शिव तप का पुरस्कार भी तो देते हैं। तप प्रभाव में वे स्वयं भक्त के भी भक्त बन जाते हैं।
शिव दुख हारी हैं – त्रिशूल धारक जो हैं। लेकिन सोंचने से मन नहीं भरता। मन यहां, वहां, जहां, तहां भागता ही है। राजनीति में हूं सो मंच, माला, माइक का त्रिशूल भीतर बहुत गहरे तक धंसा हुआ है। कह सकता हूं कि मैं भी त्रिशूलधारी हूं। सोम सामने है, भीतर ओम है। सोम ओम की यारी पुरानी है। लेकिन सोम से वंचित हूं। ओम् की अनुभूति नहीं।
ऋग्वेद के ऋषि वशिष्ठ ने आर्तभाव से पुकारा था न्न्यम्बक रूद्र को – हमें पकी ककड़ी की तरह मृत्यु बंधन से मुक्त करो। मैं भी डंठल से चिपका हुआ पका फल हूं। शिव निर्णय लें कि हमें कब संसार से मुक्त करना है? शिव को ओम् के साथ नमस्कार है – ओम नमः शिवाय।
हमें शिवरात्री पर संकल्प लेना चाहिए कि अपने अशिव संकल्पों का त्याग कर शिवसंकल्प करें । अपनी वासनाओं पर विजय प्राप्त करें और ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करें ।