मेडिसिन, इस शब्द को समझने के लिए यदि दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय शब्दकोषों में से एक ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी का सहारा लिया जाए तो वहां मेडिसिन शब्द को ‘बीमारियों व जख्मों का अध्ययन तथा उपचार’ के रूप में परिभाषित किया गया है। यहां गौर करने की बात है कि अध्ययन के बाद उपचार को जगह दी गयी है लेकिन आज स्थिति यह है कि अध्ययन या जानकारी का पक्ष मेडिसिन की दुनिया से नदारद हो चुका है और बिना जानकारी के ही मरीज केवल उपचार अपनाने को विवश है।
मेडिसिन, इस शब्द को समझने के लिए यदि दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय शब्दकोषों में से एक ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी का सहारा लिया जाए तो वहां मेडिसिन शब्द को ‘बीमारियों व जख्मों का अध्ययन तथा उपचार’ के रूप में परिभाषित किया गया है। यहां गौर करने की बात है कि अध्ययन के बाद उपचार को जगह दी गयी है लेकिन आज स्थिति यह है कि अध्ययन या जानकारी का पक्ष मेडिसिन की दुनिया से नदारद हो चुका है और बिना जानकारी के ही मरीज केवल उपचार अपनाने को विवश है। इसी चिंता को टटोलते हुए पिछले हफ्ते दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में बुद्धिजीवियों की एक बैठक इस बात को लेकर हो रही थी कि हमारे जीवन में दवाइयों का क्या महत्व है। हम जो दवा ले रहे हैं, उसके बारे में हम खुद कितना जागरूक है। डॉक्टर, फार्मा जगत से जुड़े लोग व स्वास्थ्य पत्रकारों के समूह का यह मंथन अब औपचारिक स्वरूप ले चुका है और इसकी परिणति के रूप में ‘नॉ योर मेडिसिन कैंपेन’ की शुरूआत हो गयी है जिसे स्वास्थ्य जागरूकता समूह ‘स्वस्थ भारत’ की ओर से संचालित किया जा रहा है।
एंटीबायोटिक दवाइयां बिना डॉक्टरी सलाह के न लें
दरअसल किसी चीज को जानना मनुष्य का स्वभाविक गुण है। अमूमन वो अपने-आस पास होने-वाली हलचलों के कारणों को जानना चाहता है। इस जानने की प्रकिया में ही वैश्विक स्तर पर सूचना तंत्र का विशाल जाल बुना जा चुका है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ कई बार हम जानने की प्रक्रिया में क्या जाने और क्या न जाने का फर्क नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही एक विषय है दवा व इसकी पर्याप्त सूचना का। पूरा का पूरा दवा उद्योग एक विस्मयकारी संजाल की तरह दिखता है। जिसकी पूर्ण तो छोड़िए अधूरी जानकारी भी बाजार में उपलब्ध नहीं है। यदि हम भारत की बात करें तो प्रत्येक तीसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी का शिकार है। परिणामतः उसे दवाइयों के चंगुल में फंसना पड़ता है। ऐसे में सबसे जरूरी बात तो यह है कि हम अपने शरीर के विज्ञान को समझें ताकि बीमारी को आने से पहले ही रोकने की कोशिश कर पाएं। यदि बीमारी आ भी जाए तो उसे प्राथमिक स्तर पर निदान कर पाएं। अगर यहां भी हम चुक गए तो हम कम से कम अऩुशासित तरीके से दवाइयों का सेवन करें। इन्हीं बातों को आम लोगों के बीच स्थापित करने का दूसरा नाम है नो योर मेडिसिन कैंपेन।
इस कैंपेन के माध्यम से दवा के व्याकरण को लोगों के बीच ले जाने का प्रयास स्वस्थ भारत अभियान कर रहा है। जिस तरह से जीवन का व्याकरण होता है उसी तरह दवा का भी व्याकरण है। इस व्याकरण को सही तरीके से या तो चिकित्सक समझा सकता है अथवा फार्मासिस्ट। भारत जैसे गरीब देश में दवाइयों की कीमते आसमान छू रही हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आम आदमी अपनी दवाइयों के बारे में मूल भूत जानकारी रखे ताकि उसे डॉक्टर-दवा दुकानदार-दवा कंपनियों के लूट से बचाया जा सके। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में आज भी अच्छे डॉकटरों की कमी नहीं है लेकिन जब खोटा सिक्का बाजार में चल जाता है तो उसका स्वभाविक गुण है कि वह खरे सिक्के को चलन से बाहर कर देता है।
ऐसे में स्वस्थ भारत ट्रस्ट द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य यह है कि खरा सिक्का पुनः बाजार में स्थापित किया जाए। चिकित्सकीय सेवाओं को शुभ-लाभ की कसौटी पर कसा जाए और आम लोगों को स्वास्थ्य के प्रति चिंतन-धारा विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाए।
अभियान को विभिन्न क्षेत्रों के जानी-मानी हस्तियों का साथ मिल रहा है। चिकित्सा, औषधि निर्माण, मार्केंटिंग, पत्रकारिता, बॉलीवुड आदि तमाम अंशधारकों क्षेत्रों से प्रतिनिधि अभियान के साथ जुड़ रहे हैं और संदेश को आगे बढ़ाने का काम शुरू कर चुके हैं। इस संदर्भ में ‘नॉ योर मेडिसिन’ नाम से लघु फिल्म यूट्यूब पर भी जारी की गयी है, जिसे बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकारों ने निर्देशित व अभिनीत किया है।
स्वस्थ भारत अभियान की नई पहल, अपनी दवा को जानें…
• आम लोगों के लिए ‘नो योर मेडिसिन कैंपेन’ की शुरूआत
• स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए स्वस्थ भारत ट्रस्ट ने स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत ‘नो योर मेडिसन कैंपेन’ की शुरूआत यहां शुक्रवार को की। नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित कैंपेन के उद्घाटन समारोह में दवाओं के प्रति जागरूकता की जरूरत को बताती हुई लघु फिल्म का लोकार्पण भी किया गया, जिसे बॉलीवुड के हस्तियों ने तैयार किया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विषय में रूचि रखने वाले बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, चिकित्सकों, फार्मा क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों और अन्य अंशधारकों ने सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।
• दवाओं के प्रति जागरूकता पर बनी इस फिल्म का निर्देशन जाने-माने फिल्म डायरेक्टर सुनील अग्रवाल ने किया है, वहीं इसकी एडिटिंग बल्लु सलुजा ने की है। पुनीत वशीष्ठ, संचिता बनर्जी व संजय बडोनी अभिनित ढाई मिनट की इस फिल्म में लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि वे दवा लेने की स्थिति में अपने डॉक्टर अथवा फार्मासिस्ट से उस दवा की सही जानकारी जरूर लें। उल्लेखनीय है कि दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण मरीज कई बार अनावश्यक दवाओं का भी सेवन करते चले जाते हैं जिसके दुष्परिणाम स्वास्थ्य पर दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो चितकित्सकों की ओर से भी दवाओं के बारे में जानकारी देने में आना-कानी की जाती है, जिससे मरीज अपनी बीमारी, अपने ईलाज और अंततः अपने स्वास्थ्य के बारे में ही जागरूक नहीं रह पाता है।
• स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मरीज को दवाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है और इसमें डॉक्टरों, फार्मासिस्टों तथा सरकार की भूमिका अहम है। खासकर इस संबंध में कड़े कानूनों के बनाए जाने और ठीक से उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है। फिलहाल तो डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी पर्चियों पर दवाओं का नाम तक स्पष्ट नहीं होता है और सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र तक के अस्पतालों में डॉक्टरों के पास मरीजों से बात करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता ताकि वे मरीजों को दवा के बारे में समझा सकें। यह स्थिति देश के स्वास्थ्य जगत के हितो के प्रतिकूल है और इसमें शीघ्रातिशीघ्र सुधार की आवश्यकता है।
• मौके पर फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने कहा की दवा के क्षेत्र में हर कदम पर भ्रष्टाचार है दवा को रेगुलेट करने वाली सर्वोच्च संस्थायें पीसीआई, सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ेड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन और स्टेट फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट और फार्मेसी एक्ट को लागु करने में नाकाम रहे हैं। विनय भारती ने आगे बताया इस वर्ष फार्मेसी काउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन 2015 लागु किया है। इसके अनुसार अब मरीज़ फार्मासिस्ट से दवा संबधी परामर्श ले सकते है। इसके एवज़ में डॉक्टर की तरह फार्मासिस्ट को भी शुल्क दिया जाना है।
• इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने इस कैंपेन की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है। वही मुख्य वक्ता डॉ मनीष कुमार ने दवाइयों के बारे में लोगों को जागरूक होने की अपील कहते हुए कहा कि हमें अपने शरीर को व्यवस्थित रखना है तो दवा का प्रयोग अनुशासित तरीके से करना पड़ेगा। सिम्पैथी के निदेशक डॉ. आर.कांत ने भी दवाइयों के पढ़ते दुरुपयोग पर अपनी चिंता जाहिर की। फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने कहा कि फार्मासिस्ट प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 के तहत फार्मासिस्ट से आम लोग दवा संबंधी परामर्श ले सकते हैं। अपनी दवा के बारे में जानने का पूरा हक है। वहीं वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार धनंजय कुमार, अरविंद कुमार सिंह और कुमार संजोय सिंह आदि ने देश में स्वास्थ्य चिंतन की धारा को तीव्र करने पर जोर दिया।
• आइडिया क्रैकर्स व स्वस्थ भारत अभियान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन सोशल मीडिया एक्सपर्ट कनिश्क कश्यप ने की। धन्यवाद संबोधन धीप्रज्ञ द्विवेदी ने की।
• नो योर मेडिसिन कैंपेन व लघु फिल्म पर टिप्पणियां
• नो योर मेडिसिन के निर्देशक सुनील अग्रवाल ने अपने विडियो संदेश में कहा कि स्वस्थ भारत अभियान द्वारा जनहित में जारी इस विडियो के माध्यम से हम देश-दुनिया को दवाइयों के बढ़ते साइड अफेक्ट के बारे में जागरूक करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि लोग दवा खाते समय विशेष सावधानी बरतें. डॉक्टर व मरीज के बीच एक हेल्थी संवाद सुनिश्चित हो। अतः हम चाहते हैं कि आप अपनी दवा को जानिए।
• बल्लु सलुजा, फिल्म एडिटर, नो योर मेडिसन ने कहा कि स्वस्थ भारत अभियान की यह पहल सराहनीय है। इस तरह फिल्में बनती रहनी चाहिए। इससे लोगों के बीच स्वास्थ्य-जागरूकता बढ़ेगी।
• अभिनेत्री संचिता बनर्जी ने कहा कि स्वस्थ भारत ट्रस्ट की यह पहल स्वागत योग्य है। इस फिल्म में काम करके मुझे बहुत सुकुन मिला। इस फिल्म से हम समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहते हैं। स्वास्थ्य हमारा सबसे बड़ा धन है, इसे बचाना जरूरी है। स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अपनी दवा को जानना जरूरी है। अपनी दवाइयों को जरूर जानिए।
• अभिनेता संजय बडोनी का कहना है कि इस फिल्म को बनाने के पीछे की सोच यही रही है कि लोगों के बीच मजबूती के साथ यह संदेश प्रेषित किया जा सके कि दवाइयों को जानना कितना जरूरी है। गलत दवा व दवा का गलत प्रयोग हमें और बीमार बना देता है।
• स्वस्थ भारत अभियान के ब्रांड एम्बेसडर एवरेस्टर नरिन्दर सिंह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को लेकर लोग सजग हो रहे हैं। नो योर मेडिसन के माध्यम से हम यह कहना चाहते हैं कि आप जो दवा ले रहे हैं, उसे चिकित्सक व फार्मासिस्ट के मार्गदर्शन में ही लें। दवा का संबंध सीधे आपके स्वास्थ्य से है। बॉलीवुड गीतकार डॉ. सागर का कहना है कि दवा आज जरूरत बन गयी है, किसी न किसी रूप में दवा से हमारा वास्ता पड़ ही जाता है। ऐसे में जरूरत है कि हम अपनी दवाइयों को जानें। दवा कब लेनी है, कैसे लेनी हैं, कितनी मात्रा में लेनी है, इसकी समझ विकसित हो।
• स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य के बारे मे जागरूक रहना व अपने मित्रो को जागरूक करना हमारा कर्तव्य है। यदि हम ऐसा नहीं कर रहे हैं तो खुद के प्रति व अपने दोस्तों के प्रति अन्याय कर रहे हैं। इस दिशा में यह फिल्म एक बेहतर संदेशवाहक की भूमिका निभायेगी। इस फिल्म को बनाने में जुटी पूरी टीम को साधुवाद देता हूं।